कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-31 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 31 के अनुसार किसी वर्ग या वर्गों की कंपनियां, जिनको प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड इस निमित्त विनियमों द्वारा उपबंधित करे, उसमें सम्मिलित प्रतिभूतियों की प्रथम प्रस्थापना के प्रक्रम पर रजिस्ट्रार के पास एक शेल्फ प्रास्पेक्टस फाइल कर सकेंगी, जो एक वर्ष से अनधिक की अवधि को ऐसे प्रास्पेक्टस की विधिमान्यता की अवधि के रूप में उपदर्शित करेगी, जिसे Companies Act Section-31 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 31 (Companies Act Section-31) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 31 Companies Act Section-31 के अनुसार किसी वर्ग या वर्गों की कंपनियां, जिनको प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड इस निमित्त विनियमों द्वारा उपबंधित करे, उसमें सम्मिलित प्रतिभूतियों की प्रथम प्रस्थापना के प्रक्रम पर रजिस्ट्रार के पास एक शेल्फ प्रास्पेक्टस फाइल कर सकेंगी, जो एक वर्ष से अनधिक की अवधि को ऐसे प्रास्पेक्टस की विधिमान्यता की अवधि के रूप में उपदर्शित करेगी।
कंपनी अधिनियम की धारा 31 (Companies Act Section-31 in Hindi)
शेल्फ प्रास्पेक्टस–
(1) ऐसे किसी वर्ग या वर्गों की कंपनियां, जिनको प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड इस निमित्त विनियमों द्वारा उपबंधित करे, उसमें सम्मिलित प्रतिभूतियों की प्रथम प्रस्थापना के प्रक्रम पर रजिस्ट्रार के पास एक शेल्फ प्रास्पेक्टस फाइल कर सकेंगी, जो एक वर्ष से अनधिक की अवधि को ऐसे प्रास्पेक्टस की विधिमान्यता की अवधि के रूप में उपदर्शित करेगी, जो उस प्रास्पेक्टस के अधीन प्रतिभूतियों की प्रथम प्रस्थापना के खोलने की तारीख से प्रारंभ होगी और उस प्रास्पेक्टस की विधिमान्यता की अवधि के दौरान जारी की गई ऐसी प्रतिभूतियों की कोई द्वितीय या पश्चात्वर्ती प्रस्थापना के संबंध में कोई और प्रास्पेक्टस अपेक्षित नहीं है।
(2) शेल्फ प्रास्पेक्टस फाइल करने वाली किसी कंपनी से शेल्फ प्रास्पेक्टस के अधीन द्वितीय या पश्चात्वर्ती प्रतिभूतियों की प्रस्थापना जारी करने से पूर्व, रजिस्ट्रार के पास विहित समय के भीतर कोई जानकारी ज्ञापन फाइल करने की अपेक्षा की जाएगी, जिसमें सृजित नए प्रभारों, कंपनी की वित्तीय स्थिति में ऐसे परिवर्तनों, जो प्रतिभूतियों की प्रथम् प्रस्थापना या प्रतिभूतियों की पूर्व प्रस्थापना के बीच हुए हों और प्रतिभूतियों की उत्तरवर्ती प्रस्थापना तथा ऐसे अन्य परिवर्तन, जो विहित किए जाएं, से संबंधित सभी सारवान् तथ्य अंतर्विष्ट होंगे :
परंतु जहां किसी कंपनी या किसी अन्य व्यक्ति ने किसी ऐसे परिवर्तन को करने से पूर्व अभिदाय के अग्रिम संदायों के साथ प्रतिभूतियों के आबंटन के लिए आवेदन प्राप्त किए हैं, वहां कंपनी या अन्य व्यक्ति, ऐसे आवेदकों को परिवर्तनों की सूचना देगा और यदि वे अपने आवेदन को वापस लेने की वांछा अभिव्यक्त करते हैं तो कंपनी या अन्य व्यक्ति उसके पंद्रह दिन के भीतर अभिदाय के रूप में प्राप्त सभी धनराशियों को वापस करेगा ।
(3) जहां कोई सूचना ज्ञापन फाइल किया जाता है, हर समय प्रतिभूतियों की प्रस्थापना उपधारा (2) के अधीन की जाती है, वहां ऐसा ज्ञापन शेल्फ प्रास्पेक्टस के साथ प्रास्पेक्टस समझा जाएगा।
स्पष्टीकरण -इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “शेल्फ प्रास्पेक्टस” से ऐसा प्रास्पेक्टस अभिप्रेत है, जिसकी बाबत उसमें सम्मिलित प्रतिभूतियों या प्रतिभूतियों के वर्ग को किसी और प्रास्पेक्टस के जारी किए बिना कतिपय अवधि तक एक या अधिक निर्गमनों में अभिदाय के लिए जारी किया गया है।
Companies Act Section-31 (Company Act Section-31 in English)
Shelf prospectus–
(1) Any class or classes of companies, as the Securities and Exchange Board may provide by regulations in this behalf, may file a shelf prospectus with the Registrar at the stage of the first offer of securities included therein which shall indicate a period not exceeding one year as the period of validity of such prospectus which shall commence from the date of opening of the first offer of securities under that prospectus, and in respect of a second or subsequent offer of such securities issued during the period of validity of that prospectus, no further prospectus is required.
(2) A company filing a shelf prospectus shall be required to file an information memorandum containing all material facts relating to new charges created, and changes in the financial position of the company as have occurred between the first offer of securities or the previous offer of securities and the succeeding offer of securities and such other changes as may be prescribed, with the Registrar within the prescribed time, prior to the issue of a second or subsequent offer of securities under the shelf prospectus:
Provided that where a company or any other person has received applications for the allotment of securities along with advance payments of subscription before the making of any such change, the company or other person shall intimate the changes to such applicants and if they express a desire to withdraw their application, the company or other person shall refund all the monies received as subscription within fifteen days thereof.
(3) Where an information memorandum is filed, every time an offer of securities is made under subsection (2), such memorandum together with the shelf prospectus shall be deemed to be a prospectus.
Explanation.—For the purposes of this section, the expression “shelf prospectus” means a prospectus in respect of which the securities or class of securities included therein are issued for subscription in one or more issues over a certain period without the issue of a further prospectus.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 31 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।