भारतीय न्याय संहिता की धारा 114 हिन्दी मे (BNS Act Section-114 in Hindi) –
अध्याय VI
114. केवल निम्नलिखित प्रकार की चोटों को ही “गंभीर” माना जाता है, अर्थात्:-
चोट का
114. गंभीर चोट
(क) नपुंसकता।
(ख) किसी भी आंख की दृष्टि का स्थायी रूप से खत्म हो जाना।
(ग) किसी भी कान की सुनने की क्षमता का स्थायी रूप से खत्म हो जाना।
(घ) किसी भी अंग या जोड़ का खत्म हो जाना।
(ङ) किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का विनाश या स्थायी रूप से कम हो जाना।
(च) सिर या चेहरे का स्थायी रूप से विकृत हो जाना।
(छ) हड्डी या दांत का फ्रैक्चर या अव्यवस्था।
(ज) कोई भी चोट जो जीवन को खतरे में डालती है या जिसके कारण पीड़ित पंद्रह दिनों तक गंभीर शारीरिक दर्द में रहता है या अपने सामान्य कामों को करने में असमर्थ हो जाता है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 114 in English (BNS Act Section-114 in English) –
Chapter VI
114. The following kinds of hurt only are designated as “grievous”, namely:––
Of hurt
114. Grievous hurt
(a) Emasculation.
(b) Permanent privation of the sight of either eye.
(c) Permanent privation of the hearing of either ear.
(d) Privation of any member or joint.
(e) Destruction or permanent impairing of the powers of any member or joint.
(f) Permanent disfiguration of the head or face.
(g) Fracture or dislocation of a bone or tooth.
(h) Any hurt which endangers life or which causes the sufferer to be during the space of fifteen days in severe bodily pain, or unable to follow his ordinary pursuits.