भारतीय न्याय संहिता की धारा 117 हिन्दी मे (BNS Act Section-117 in Hindi) –
अध्याय VI
117. (1) जो कोई स्वेच्छा से उपहति पहुंचाता है, इस प्रयोजन से कि पीड़ित व्यक्ति से या पीड़ित व्यक्ति से हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति जबरन ली जाए, या पीड़ित व्यक्ति या ऐसे पीड़ित व्यक्ति से हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई ऐसा कार्य करने के लिए विवश किया जाए जो अवैध हो या जिससे अपराध का किया जाना सुगम हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा, दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
चोट का
117. संपत्ति हड़पने के लिए या किसी अवैध कार्य के लिए बाध्य
करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना या गंभीर चोट पहुंचाना।
(2) जो कोई स्वेच्छा से उप-धारा (1) में निर्दिष्ट किसी प्रयोजन के लिए घोर उपहति पहुंचाता है, उसे आजीवन कारावास से, या किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा, दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 117 in English (BNS Act Section-117 in English) –
Chapter VI
117. (1) Whoever voluntarily causes hurt, for the purpose of extorting from the sufferer, or from any person interested in the sufferer, any property or valuable security, or of constraining the sufferer or any person interested in such sufferer to do anything which is illegal or which may facilitate the commission of an offence, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
Of hurt
117. Voluntarily causing hurt or grievous hurt to extort
property, or to constrain to an illegal to an act.
(2) Whoever voluntarily causes grievous hurt for any purpose referred to in sub- section (1), shall be punished with imprisonment for life, or imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.