भारतीय न्याय संहिता की धारा 120 हिन्दी मे (BNS Act Section-120 in Hindi) –
अध्याय VI
120. (1) जो कोई गम्भीर और अचानक उत्तेजना पर स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, यदि उसका न तो यह इरादा है और न ही वह जानता है कि वह उत्तेजना देने वाले व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने की संभावना रखता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास से, जो एक महीने तक बढ़ सकती है, या जुर्माना जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
चोट का
120. उकसावे पर स्वेच्छा से चोट या गंभीर
चोट पहुंचाना।
(2) जो कोई गम्भीर और अचानक उत्तेजना पर स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाता है, यदि उसका न तो यह इरादा है और न ही वह जानता है कि वह उत्तेजना देने वाले व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने की संभावना रखता है, तो उसे एक अवधि के लिए कारावास से, जो पांच वर्ष तक बढ़ सकती है, या जुर्माना जो दस हजार रुपये तक हो सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण- यह धारा अपवाद 1, धारा 99 के समान प्रावधान के अधीन है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 120 in English (BNS Act Section-120 in English) –
Chapter VI
120. (1) Whoever voluntarily causes hurt on grave and sudden provocation, if he neither intends nor knows himself to be likely to cause hurt to any person other than the person who gave the provocation, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both.
Of hurt
120. Voluntarily causing hurt or grievous
hurt on provocation.
(2) Whoever voluntarily causes grievous hurt on grave and sudden provocation, if he neither intends nor knows himself to be likely to cause hurt to any person other than the person who gave the provocation, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, or with fine which may extend to ten thousand rupees, or with both.
Explanation- This section is subject to the same provision as Exception 1, section 99.