भारतीय न्याय संहिता की धारा 218 हिन्दी मे (BNS Act Section-218 in Hindi) –
अध्याय XIII
218. जो कोई, लोक सेवक के वैध प्राधिकार से धारित संपत्ति के किसी विक्रय में, किसी ऐसे व्यक्ति के कारण, चाहे वह स्वयं हो या कोई अन्य, किसी संपत्ति को खरीदेगा या उसके लिए बोली लगाएगा, जिसके बारे में वह जानता है कि वह उस विक्रय में उस संपत्ति को खरीदने के लिए कानूनी रूप से असमर्थ है, या ऐसी संपत्ति के लिए बोली इस आशय से लगाएगा कि वह उन दायित्वों का पालन नहीं करेगा, जिनके अधीन वह ऐसी बोली लगाकर स्वयं को डालता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
लोक सेवकों के वैध प्राधिकार की अवमानना।
218. लोक सेवक के प्राधिकार से बिक्री के लिए
प्रस्तावित संपत्ति की अवैध खरीद या बोली।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 218 in English (BNS Act Section-218 in English) –
Chapter XIII
218. Whoever, at any sale of property held by the lawful authority of a public servant, as such, purchases or bids for any property on account of any person, whether himself or any other, whom he knows to be under a legal incapacity to purchase that property at that sale, or bids for such property not intending to perform the obligations under which he lays himself by such bidding, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to two hundred rupees, or with both.
Of Contempts Of The Lawful Authority of Public Servants.
218. Illegal purchase or bid for property offered
for sale by authority of public servant.