भारतीय न्याय संहिता की धारा 239 हिन्दी मे (BNS Act Section-239 in Hindi) –
अध्याय XIV
239. जो कोई किसी दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को, जिसे वह न्यायालय में या किसी लोक सेवक के समक्ष वैध रूप से आयोजित किसी कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में पेश करने के लिए वैध रूप से विवश किया जा सकता है, छिपाएगा या नष्ट करेगा या ऐसे दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को, पूर्वोक्त न्यायालय या लोक सेवक के समक्ष साक्ष्य के रूप में पेश किए जाने या उपयोग में लाए जाने से रोकने के आशय से, या उस प्रयोजन के लिए उसे पेश करने के लिए वैध रूप से समन किए जाने या उससे अपेक्षित किए जाने के पश्चात, संपूर्ण दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख या उसके किसी भाग को मिटाएगा या अपठनीय बना देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
239. साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने से रोकने के
लिए दस्तावेज़ को नष्ट करना।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 239 in English (BNS Act Section-239 in English) –
Chapter XIV
239. Whoever secretes or destroys any document or electronic record which he may be lawfully compelled to produce as evidence in a Court or in any proceeding lawfully held before a public servant, as such, or obliterates or renders illegible the whole or any part of such document or electronic record with the intention of preventing the same from being produced or used as evidence before such Court or public servant as aforesaid, or after he shall have been lawfully summoned or required to produce the same for that purpose, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both.
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
239. Destruction of document to prevent
its production as evidence.