भारतीय न्याय संहिता की धारा 243 हिन्दी मे (BNS Act Section-243 in Hindi) –
अध्याय XIV
243. जो कोई किसी व्यक्ति के वाद में अपने विरुद्ध ऐसी राशि के लिए, जो देय नहीं है या उससे अधिक राशि के लिए, जो ऐसे व्यक्ति को देय है या किसी संपत्ति या संपत्ति में हित के लिए, जिसका ऐसा व्यक्ति हकदार नहीं है, कपटपूर्वक डिक्री या आदेश पारित करवाएगा या होने देगा, या डिक्री या आदेश के संतुष्ट हो जाने के पश्चात् या किसी ऐसी बात के लिए, जिसके संबंध में वह संतुष्ट हो गई है, कपटपूर्वक डिक्री या आदेश अपने विरुद्ध निष्पादित करवाएगा या होने देगा, वह दो वर्ष तक की अवधि के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
243. धोखाधड़ी से बकाया राशि के लिए डिक्री प्राप्त करना।
उदाहरण– क, य के विरुद्ध वाद संस्थित करता है। य यह जानते हुए कि क उसके विरुद्ध डिक्री प्राप्त कर लेगा, कपटपूर्वक अपने विरुद्ध ख के वाद में, जिसका उसके विरुद्ध कोई न्यायोचित दावा नहीं है, अधिक राशि के लिए निर्णय पारित होने देता है, ताकि ख, या तो अपने खाते से या य के लाभ के लिए, य की संपत्ति की किसी बिक्री की आय में हिस्सा ले सके, जो क की डिक्री के अधीन की जा सकती है। य ने इस धारा के अधीन अपराध किया है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 243 in English (BNS Act Section-243 in English) –
Chapter XIV
243. जो कोई किसी व्यक्ति के वाद में अपने विरुद्ध ऐसी राशि के लिए, जो देय नहीं है या उससे अधिक राशि के लिए, जो ऐसे व्यक्ति को देय है या किसी संपत्ति या संपत्ति में हित के लिए, जिसका ऐसा व्यक्ति हकदार नहीं है, कपटपूर्वक डिक्री या आदेश पारित करवाएगा या होने देगा, या डिक्री या आदेश के संतुष्ट हो जाने के पश्चात् या किसी ऐसी बात के लिए, जिसके संबंध में वह संतुष्ट हो गई है, कपटपूर्वक डिक्री या आदेश अपने विरुद्ध निष्पादित करवाएगा या होने देगा, वह दो वर्ष तक की अवधि के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
243. Fraudulently suffering decree for sum not due.
उदाहरण– क, य के विरुद्ध वाद संस्थित करता है। य यह जानते हुए कि क उसके विरुद्ध डिक्री प्राप्त कर लेगा, कपटपूर्वक अपने विरुद्ध ख के वाद में, जिसका उसके विरुद्ध कोई न्यायोचित दावा नहीं है, अधिक राशि के लिए निर्णय पारित होने देता है, ताकि ख, या तो अपने खाते से या य के लाभ के लिए, य की संपत्ति की किसी बिक्री की आय में हिस्सा ले सके, जो क की डिक्री के अधीन की जा सकती है। य ने इस धारा के अधीन अपराध किया है।