भारतीय न्याय संहिता की धारा 252 | Bharatiya Nyaya Sanhita Section 252

भारतीय न्याय संहिता की धारा 252 हिन्दी मे (BNS Act Section-252 in Hindi) –

अध्याय XIV
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
252. लुटेरों या डकैतों को शरण देने के लिए दंड।

252. जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती करने वाला है या हाल ही में कर चुका है, ऐसी लूट या डकैती के किए जाने को सुगम बनाने के आशय से या उसे या उनमें से किसी को दंड से बचाने के आशय से उसे या उनमें से किसी को संश्रय देगा, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण– इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह महत्वहीन है कि लूट या डकैती भारत के भीतर या बाहर किए जाने के लिए आशयित है या की गई है।
अपवाद– यह धारा उस मामले पर लागू नहीं होती, जिसमें अपराधी के पति या पत्नी द्वारा संश्रय दिया जाता है।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 252 in English (BNS Act Section-252 in English) –

Chapter XIV
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
252. Penalty for harbouring robbers or dacoits.

252. जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती करने वाला है या हाल ही में कर चुका है, ऐसी लूट या डकैती के किए जाने को सुगम बनाने के आशय से या उसे या उनमें से किसी को दंड से बचाने के आशय से उसे या उनमें से किसी को संश्रय देगा, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह महत्वहीन है कि लूट या डकैती भारत के भीतर या बाहर किए जाने के लिए आशयित है या की गई है।
अपवाद- यह धारा उस मामले पर लागू नहीं होती, जिसमें अपराधी के पति या पत्नी द्वारा संश्रय दिया जाता है।