भारतीय न्याय संहिता की धारा 255 हिन्दी मे (BNS Act Section-255 in Hindi) –
अध्याय XIV
255. जो कोई लोक सेवक होते हुए न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में भ्रष्टतापूर्वक या द्वेषपूर्वक कोई रिपोर्ट, आदेश, फैसला या निर्णय देगा, जिसे वह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
255. न्यायिक कार्यवाही में लोक सेवक द्वारा भ्रष्ट
तरीके से विधि के विपरीत रिपोर्ट आदि बनाना।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 255 in English (BNS Act Section-255 in English) –
Chapter XIV
255. Whoever, being a public servant, corruptly or maliciously makes or pronounces in any stage of a judicial proceeding, any report, order, verdict, or decision which he knows to be contrary to law, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, or with fine, or with both.
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
255. Public servant in judicial proceeding
corruptly making report, etc., contrary to law.