भारतीय न्याय संहिता की धारा 262 हिन्दी मे (BNS Act Section-262 in Hindi) –
अध्याय XIV
262. जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी व्यक्ति को किसी दशा में, जो धारा 257, धारा 258 या धारा 259 या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में उपबंधित नहीं है, पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए लोक सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध है, उस व्यक्ति को पकड़ने में लोप करेगा या उसे परिरोध से निकल भागने देगा, वह दण्डित किया जाएगा-
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
262. लोक सेवक द्वारा, अन्यथा उपबंधित न किए गए
मामलों में, पकड़ने में चूक या भागने की कोशिश करना।
(क) यदि वह ऐसा जानबूझ कर करता है तो दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से; और
(ख) यदि वह ऐसा उपेक्षापूर्वक करता है तो सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 262 in English (BNS Act Section-262 in English) –
Chapter XIV
262. Whoever, being a public servant legally bound as such public servant to apprehend, or to keep in confinement, any person in any case not provided for in section 257, section 258 or section 259, or in any other law for the time being in force, omits to apprehend that person or suffers him to escape from confinement, shall be punished—
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
262. Omission to apprehend, or sufferance of escape, on
part of public servant, in cases not otherwise, provided for.
(a) if he does so intentionally, with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine or with both; and
(b) if he does so negligently, with simple imprisonment for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.