भारतीय दंड संहिता की धारा 120क के अनुसार-
आपराधिक षड्यंत्र क्या है आईये हम आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा-
आपराधिक षड्यंत्र का सीधा अर्थ की किसी अपराध को कारित करने के लिये दो या दो से अधिक व्यक्ति एकजुट होकर किसी अवैध कार्य या किसी वैध कार्य को अवैध तरीके से करने या करवाने को सहमत होते हैं तो उसे आपराधिक षड्यंत्र कहते हैं।
यहि नही दो या दो से अधिक व्यक्तियो के आशय व्दारा षड्यंत्र का अपराध गठित नही होता अपितु इसके लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच कोई अवैध कार्य या अवैध साधनों व्दारा वैध कार्य करने की सहमति होनी चाहिए |
लेकिन यदि दो या दो से अधिक व्यक्तियों में ऐसे अवैध कार्य को जो अपराध नही है करने की सहमति होती है, तो इसे भी आपराधिक षड्यंत्र माना जाएगा बशर्ते कि ऐसी सहमति के अनुसरण में कोई प्रकट कार्य किया गया हो |
स्पष्टीकरण- किसी अपराध को दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर अवैध कार्य को अवैध तरीके से करने या करवाने को सहमत है । तो वह आपराधिक षड्यंत्र है ।
षड्यंत्र का सबूत – आपराधिक षड्यंत्र हेतु यह आवश्यक नही है कि किये गये अभिकथित समझौते का प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा साबित किया जाए क्योकि ऐसा साक्ष्य सामान्यतः उपलब्ध नही होता |
भारतीय दंड संहिता की धारा-120ख के अनुसार-
आपराधिक षड्यंत्र जैसे कृत करने वाले दो अथवा दो से अधिक व्यक्ति ऐसे कृत्य करते है जिसमे किसी की मृत्यु अथवा अजीवन कारावास या 2 वर्ष से अधिक कारावास से दंडित होने वाले अपराध करने वाले आपराधिक षड्यंत्रो मे शामिल होगा, यदि ऐसे षड्यंत्र के दंड के लिए इस संहिता में कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तो वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था ।
जो कोई पूर्वोक्त रूप से दंडनीय अपराध को करने के आपराधिक षड्यंत्र से भिन्न किसी आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से अधिक की नहीं होगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
षड्यंत्र जैसे घृणित कार्य करने में कम से कम दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है इसलिए जहां दो या अधिक नामित व्यक्ति षड्यंत्र के लिए आरोपित किये गये तथा उनमे से एक को छोड़कर शेष सब लोग दोषमुक्त कर दिए गये वहां पर बचे हुए एक अभियुक्त की भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-B के अधीन दोषसिद्धि नही की जा सकती क्योकि वह व्यक्ति स्वयं से ही षड्यंत्र नही कर सकता |
आवश्यक नोट – आपराधिक षड्यंत्र का आधार करार में निहित है लेकिन एक अवयस्क किसी प्रकार से षड्यंत्र में शामिल नही हो सकता इसीलिए जब एक अवयस्क के साथ कोई व्यक्ति करार करके आपराधिक षड्यंत्र गठित करता है तो वहा पर करार शून्य होने के कारण वह व्यक्ति आपराधिक षड्यंत्र के लिए दायी नही होगा लेकिन वह धारा 107 के अधीन एक अवयस्क के दुष्प्रेरण के अपराध के लिए दायी होगा |
लागू अपराध
आपराधिक षड्यंत्र जैसे घृणित कार्य करने वाले दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी घटना को अंजाम देते है तो न्यायालय व्दारा उसके कृत्य के अनुसार सजा या दंड अथवा दोनो दे सकते है ।