नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 210 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 210? साथ ही हम आपको IPC की धारा 210 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
IPC की धारा 210 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 210 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी राशि के लिये, जो शोध्य न हो, या जो शोध्य राशि से अधिक हो, या किसी सम्पत्ति या सम्पत्ति में के हित के लिये, जिसका वह हकदार न हो, डिक्री या आदेश को कपटपूर्वक अभिप्राप्त कर लेगा, तो वह धारा 210 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 210 के अनुसार-
ऐसी राशि के लिये जो शोध्य नहीं है, कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना—
जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी राशि के लिये, जो शोध्य न हो, या जो शोध्य राशि से अधिक हो, या किसी सम्पत्ति या सम्पत्ति में के हित के लिये, जिसका वह हकदार न हो, डिक्री या आदेश को कपटपूर्वक अभिप्राप्त कर लेगा या किसी डिक्री या आदेश को, उसके तुष्ट कर दिये जाने के पश्चात् या ऐसी बात के लिए, जिसके विषय में उस डिक्री या आदेश की तुष्टि कर दी गई हो, किसी व्यक्ति के विरुद्ध कपटपूर्वक निष्पादित करवायेगा या अपने नाम में कपटपूर्वक ऐसा कोई कार्य किया जाना सहन करेगा या किये जाने की अनुज्ञा देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
Fraudulently obtaining decree for sum not due-
Whoever fraudulently obtains a decree or order against any person for a sum not due, or for a larger sum than is due, or for any property or interest in property to which he is not entitled, or fraudulently causes a decree or order to be executed against any person after it has been satisfied or for anything in respect of which it has been satisfied, or fraudulently suffers or permits any such act to be done in his name shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
लागू अपराध
ऐसी राशि के लिये जो शोध्य नहीं है, कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना।
सजा- दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 210 के अंतर्गत जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी राशि के लिये, जो शोध्य न हो, या जो शोध्य राशि से अधिक हो, या किसी सम्पत्ति या सम्पत्ति में के हित के लिये, जिसका वह हकदार न हो, डिक्री या आदेश को कपटपूर्वक अभिप्राप्त कर करता है, तो वह दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माने से या दोनो से दंड का भागीदार होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 210 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
ऐसी राशि के लिये जो शोध्य नहीं है, कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना। | दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो। | गैर-संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 210 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।