नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 315 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 315, साथ ही इस धारा के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 315 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 315 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो भी कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य उस शिशु का जीवित पैदा होना तद्द्वारा रोकने या जन्म के पश्चात् तद्द्वारा उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से करेगा, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करेगा, और यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो वह धारा 315 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 315 के अनुसार-
शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य-
जो भी कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य उस शिशु का जीवित पैदा होना तद्द्वारा रोकने या जन्म के पश्चात् तद्द्वारा उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से करेगा, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करेगा, और यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
Act done with intent to prevent child being born alive or to cause it to die after birth-
Whoever before the birth of any child does any act with the intention of thereby preventing that child from being born alive or causing it to die after its birth, and does by such act prevent that child from being born alive, or causes it to die after its birth, shall, if such act be not caused in good faith for the purpose of saving the life of the mother, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, or with fine, or with both.
इस धारा के अंतर्गत उन आरोपित व्यक्तियो को दण्ड देने का अधिकार है, जों शिशु जन्म होने से रोकने अथवा जन्म से पूर्व ही उनकी मृत्यु करने का आशय करते है, ऐसा कृत्य करने वालो के लिए सजा का प्रावधान है । हम से बहुत लोगो देखा और सुना होगा, कही न कही कि किसी व्यक्ति के यहां अगर लड़की शिशु जन्म हुआ तो उसे मारने हेतु कही किसी कूड़े अथवा किसी ऐसी जगह छोड़ देते कि उसकी मृत्यु हो जाए, ऐसे कृत्यों को रोकने के उद्देश्य से इस धारा के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान दिया गया है ।
लागू अपराध
शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
सजा- दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
यह अपराध सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 315 के अंतर्गत जो भी कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य उस शिशु का जीवित पैदा होना तद्द्वारा रोकने या जन्म के पश्चात् तद्द्वारा उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से करेगा, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जीवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करेगा, और यदि वह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो वह दस वर्ष के लिये कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 315 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नहीं मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य। | दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय अपराध | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 315 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।