नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 92 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 92 साथ ही हम आपको IPC की धारा 92 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 92 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 92 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यह धारा सम्मति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य, अर्थात् यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश सम्मति नही दे सकता है, तो उसकी सम्मति तब तक, सम्मति मानी जाएगी, जबतक कि वह उस व्यक्ति के फायदे के लिए अच्छे इरादे से कार्य किया जाए, तो सम्मति मानी जाएगी। यह धारा ऐसे मामलो को परिभाषित करती है, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 92 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 92 के अनुसार-
सम्मति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य-
कोई बात, जो किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक, यद्यपि उसकी सम्मति के बिना, की गई है, ऐसी किसी अपहानि के कारण, जो उस बात से उस व्यक्ति को कारित हो जाए, अपराध नहीं है यदि परिस्थितियां ऐसी हों कि उस व्यक्ति के लिए यह असम्भव हो कि वह अपनी सम्मति प्रकट करे या वह व्यक्ति सम्मति देने के लिये असमर्थ हो और उसका कोई संरक्षक या उसका विधिपूर्ण भारसाधक कोई दूसरा व्यक्ति न हो जिससे ऐसे समय पर सम्मति अभिप्राप्त करना सम्भव हो कि वह बात फायदे के साथ की जा सके :
अपवाद
पहला- इस अपवाद का विस्तार साशय मृत्यु कारित करने या मृत्यु कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा;
दूसरा- इस अपवाद का विस्तार मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के, या किसी घोर रोग या अंगशैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए किसी ऐसी बात के करने पर न होगा, जिसे करने वाला व्यक्ति जानता हो कि उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है;
तीसरा- इस अपवाद का विस्तार मृत्यु या उपहति के निवारण के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करने या उपहति कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा;
चौथा- इस अपवाद का विस्तार किसी ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण पर न होगा जिस अपराध के किए जाने पर इसका विस्तार नहीं है।
Act done in good faith for benefit of a person without consent-
Nothing is an offence by reason of any harm which it may cause to a person for whose benefit it is done in good faith, even without that person’s consent if the circumstances are such that it is impossible for that person to signify consent, or if that person is incapable of giving consent, and has no guardian or other person in lawful charge of him from whom it is possible to obtain consent in time for the thing to be done with benefit :
Exception
First- That this exception shall not extend to the intentional causing of death, or the attempting to cause death;
Secondly- That this exception shall not extend to the doing of anything which the person doing it knows to be likely to cause death, for any purpose other than the preventing of death or grievous hurt, or the curing of any grievous disease or infirmity; Thirdly- That this exception shall not extend to the voluntary causing of hurt, or to the attempting to cause hurt, for any purpose other than preventing of death or hurt;
Fourthly- That this exception shall not extend to the abetment of any offence, to the committing of which offence it would not extend.
दृष्टान्त
(क) य अपने घोड़े से गिर गया और मूर्छित हो गया। क, एक शल्य चिकित्सक का यह विचार है कि य के कपाल पर शल्यक्रिया आवश्यक है। क, य की मृत्यु करने का आशय न रखते हुए, किन्तु सद्भावपूर्वक य के फायदे के लिए, य के स्वयं किसी निर्णय पर पहुँचने की शक्ति प्राप्त करने से पूर्व ही कपाल पर शल्य क्रिया करता है। क ने कोई अपराध नहीं किया।
(ख) य को एक बाघ उठा ले जाता है। यह जानते हुए कि सम्भाव्य है कि गोली लगने से य मर जाए किन्तु य का वध करने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक य के फायदे के आशय से क उस बाघ पर गोली चलाता है। क की गोली से य को मृत्युकारक घाव हो जाता है। क ने कोई अपराध नहीं किया।
(ग) क, एक शल्य चिकित्सक, यह देखता है कि एक शिशु की ऐसी दुर्घटना हो गई है जिसका प्राणांतक साबित होना सम्भाव्य है, यदि शस्त्रकर्म तुरन्त न कर दिया जाए। इतना समय नहीं है कि उस शिशु के संरक्षक से आवेदन किया जा सके। क, सद्भावपूर्वक शिशु के फायदे का आशय रखते हुए शिशु के अन्यथा अनुनय करने पर भी शस्त्रकर्म करता है। क ने कोई अपराध नहीं किया।
(घ) एक शिशु य के साथ क एक जलते हुए गृह में है। गृह के नीचे लोग एक कम्बल तान लेते हैं। क उस शिशु को यह जानते हुए कि सम्भाव्य है कि गिरने से वह शिशु मर जाए, किन्तु उस शिशु को मार डालने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक उस शिशु के फायदे के आशय से गृह-छत पर से नीचे गिरा देता है। यहाँ, यदि गिरने से वह शिशु मर भी जाता है, तो भी क ने कोई अपराध नहीं किया।
स्पष्टीकरण–केवल धन सम्बन्धी फायदा वह फायदा नहीं है, जो धारा 88, 89 और 92 के भीतर आता है।
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 92 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।