सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 क्या है और यह किन-किन मामलो मे लागू होता है?

सार्वजनिक परीक्षा विधेयक (public examinations bill) 2024 बिल सार्वजनिक परीक्षाओं मे अनुचित संसाधनो के उपयोग करने से रोकना है अर्थात् सार्वजनिक परीक्षाये जैसे राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार व्दारा अधिसूचित परीक्षाओं से है। यह विधेयक 5 फ़रवरी, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसके पश्चात् 9 फ़रवरी, 2024 को इसे राज्यसभा में पारित किया गया। इसके पश्चात् 13 फ़रवरी, 2024 को इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली, जिसके पश्चात् इस विधेयक को 21 जून 2024 को लागू किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता, और विश्वसनीयता को लाना है। इस कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति या सास्थां पेपर लीक करने या अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने मे मदद् करता या कराता है, तो वह कम से कम तीन साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

सार्वजनिक परीक्षा (Public Examination) विधेयक के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित परीक्षाओं की सूची

सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 (the public examinations act 2024) के तहत सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने और परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसके तहत, पेपर लीक करने या अनुचित साधन इस्तेमाल करने से रोकना है। इस विधेयक की अनुसूची के तहत निर्दिष्ट अधिकारियों द्वारा या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित परीक्षाओं से है।

इनमें शामिल हैं:-
(i) संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
(ii) कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission)
(iii) रेलवे भर्ती बोर्ड (Railway Recruitment Board)
(iv) राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency)
(v) बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (Institute Of Banking Personnel Selection)
(vi) केंद्र सरकार के विभाग और भर्ती के लिए उनके संलग्न कार्यालय। (Central Government Departments and their attached offices for recruitment)

सार्वजनिक परीक्षाओं के संबंध में अपराध (Offences in connection with public examinations)

विधेयक सार्वजनिक परीक्षाओं के संबंध में कई अपराधों को परिभाषित करता है। यह किसी भी अनुचित तरीके से लिप्तता को सुविधाजनक बनाने के लिए मिलीभगत या साजिश पर रोक लगाता है। यह अनुचित साधनों को निर्दिष्ट करता है

जिसमें शामिल हैं:-
(i) प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी की अनधिकृत पहुंच या लीक (Unauthorized access or leak of question paper or answer key)
(ii) सार्वजनिक परीक्षा के दौरान उम्मीदवार की सहायता करना (Assisting candidates during public examinations)
(iii) कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़ (Tampering with computer networks or resources)
(iv) शॉर्टलिस्टिंग के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ या योग्यता सूची या रैंक को अंतिम रूप देना (Tampering of documents for shortlisting or finalization of merit list or ranks)
(v) मौद्रिक लाभ के लिए नकली परीक्षा आयोजित करना, नकली प्रवेश पत्र जारी करना या धोखाधड़ी के लिए प्रस्ताव पत्र जारी करना। (Conducting fake examinations, issuing fake admit cards or issuing offer letters fraudulently for monetary gain)
यह निम्नलिखित पर भी रोक लगाता है:-
(i) समय से पहले परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी का खुलासा करना, और
(ii) व्यवधान पैदा करने के लिए अनधिकृत लोगों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश करने से। 

उपरोक्त अपराधों पर तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

सार्वजनिक परिक्षाओं को गठित करने वाले सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारियां

विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में, सार्वजनिक परिक्षाओं को गठित करने वाले सेवा प्रदाताओं को पुलिस और संबंधित परीक्षा प्राधिकरण को रिपोर्ट करना होगा। सेवा प्रदाता एक ऐसा संगठन है जो सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण को कंप्यूटर संसाधन या कोई अन्य सहायता प्रदान करता है। ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट न करना अपराध होगा। यदि सेवा प्रदाता स्वयं कोई अपराध करता है, तो परीक्षा प्राधिकारी को इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी। विधेयक सेवा प्रदाताओं को परीक्षा प्राधिकरण की अनुमति के बिना परीक्षा केंद्र स्थानांतरित करने से रोकता है। सेवा प्रदाता द्वारा किए गए अपराध पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे सेवा प्रदाता से जांच की आनुपातिक लागत भी वसूल की जाएगी। इसके अलावा, उन्हें चार साल तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से भी रोक दिया जाएगा। 

यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि सेवा प्रदाताओं से जुड़े अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन, या सेवा प्रदाताओं के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किए गए थे, तो ऐसे व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा। इन्हें तीन साल से लेकर 10 साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये जुर्माने की सजा होगी।

संगठित अपराध और उनसे जुड़े सजा का प्रावधान (Organized crime and punishment for it)

विधेयक संगठित अपराधों के लिए उच्च सज़ा निर्दिष्ट करता है। एक संगठित अपराध को  सार्वजनिक परीक्षाओं के संबंध में गलत लाभ के लिए साझा हित को आगे बढ़ाने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किए गए गैरकानूनी कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है। संगठित अपराध करने वाले व्यक्तियों को पांच साल से 10 साल तक की सजा और कम से कम एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि किसी संस्था को संगठित अपराध करने का दोषी ठहराया जाता है, तो उसकी संपत्ति कुर्क और ज़ब्त कर ली जाएगी, और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूल की जाएगी।

सार्वजनिक परिक्षा विधेयक के तहत अपराध की प्रकृति एवंम् जांच (Nature and investigation of offences under Public Examination Bill)

सार्वजनिक परिक्षा विधेयक 2024 (Public Examination Bill 2024) के तहत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य होंगे। कोई भी कार्रवाई अपराध नहीं मानी जाएगी यदि यह साबित हो जाए कि आरोपी ने उचित परिश्रम किया था। उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त रैंक से नीचे का अधिकारी अधिनियम के तहत अपराधों की जांच नहीं करेगा। केंद्र सरकार जांच को किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित कर सकती है।  

सार्वजनिक परिक्षा विधेयक बिल 2024 के तहत किसी परीक्षा लीक और डेटा चोरी जैसी घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सके। इस विधेयक का उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखना है, ताकि परीक्षाओं का संचालन ईमानदारी से हो सके और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो।

सार्वजनिक परीक्षा विधेयक (public examinations bill) 2024 के तहत छह अध्यायों मे बांटा गया है, जिसमे कुल 19 धाराये है। Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024 PDF

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