नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 165 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 165 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 165 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 165 के अन्तर्गत कोई पुलिस अधिकारी या भारसाधक अधिकारी या जांच करने वाला पुलिस अधिकारी जिसे यह प्रतीत होता हो, कि इस व्यक्ति के पास कोई ऐसी वस्तु है, जिसे कोई गैर कानूनी तरीके से ले जा रहा है या ले जायेगा। ऐसी स्थिति में पुलिस अधिकारी द्वारा अपनी सीमा के भीतर किसी भी व्यक्ति की तलाशी हेतु जांच आदेश कर सकता है। यह धारा 165 ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी अथवा जांच की प्रक्रिया को बतलाता है।
सीआरपीसी की धारा 165 के अनुसार
पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी-
(1) जब कभी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी या अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के पास यह विश्वास करने के उचित आधार हैं कि किसी ऐसे अपराध के अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए, जिसका अन्वेषण करने के लिए वह प्राधिकृत है, आवश्यक कोई चीज उस पुलिस थाने की, जिसका वह भारसाधक है या जिससे वह संलग्न है, सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में पाई जा सकती है और उसकी राय में ऐसी चीज अनुचित विलम्ब के बिना तलाशी से अन्यथा अभिप्राप्त नहीं की जा सकती, तब ऐसा अधिकारी अपने विश्वास के आधारों को लेखबद्ध करने, और यथासंभव उस चीज को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, ऐसे लेख में विनिर्दिष्ट करने के पश्चात् उस थाने की सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में एसी चीज के लिए तलाशी ले सकता है या तलाशी लिवा सकता है।
(2) उपधारा (1) के अधीन कार्यवाही करने वाला पुलिस अधिकारी, यदि साध्य है तो, तलाशी स्वयं लेगा।
(3) यदि वह तलाशी स्वयं लेने में असमर्थ है और कोई अन्य ऐसा व्यक्ति, जो तलाशी लेने के लिए सक्षम है, उस समय उपस्थित नहीं है तो वह, ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात् अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी से अपेक्षा कर सकता है कि वह तलाशी ले और ऐसे अधीनस्थ अधिकारी को ऐसा लिखित आदेश देगा जिसमें उस स्थान को जिसकी तलाशी ली जानी है, और यथासंभव उस चीज़ को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, विनिर्दिष्ट किया जाएगा और तब ऐसा अधीनस्थ अधिकारी उस चीज के लिए तलाशी उस स्थान में ले सकेगा।
(4) तलाशी-वारण्टों के बारे में इस संहिता के उपबन्ध और तलाशियों के बारे में धारा 100 के साधारण उपबन्ध इस धारा के अधीन ली जाने वाली तलाशी को, जहां तक हो सके, लागू होंगे।
(5) उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन बनाये गए किसी भी अभिलेख की प्रतियां तत्काल ऐसे निकटतम मजिस्ट्रेट के पास भेज दी जाएँगी जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त है और जिस स्थान की तलाशी ली गई है, उसके स्वामी या अधिभोगी को, उसके आवेदन पर, उसकी एक प्रतिलिपि मजिस्ट्रेट द्वारा निःशुल्क दी जाएगी।
Search by police officer-
(1) Whenever an officer in charge of a police station or a police officer making an investigation has reasonable grounds for believing that anything necessary for the purposes of an investigation into any offence which he is authorised to investigate may be found in any place within the limits of the police station of which he is in charge, or to which he is attached, and that such thing cannot in his opinion be otherwise obtained without undue delay, such officer may, after recording in writing the grounds of his belief and specifying in such writing, so far possible, the thing for which search is to be made, search, or cause search to be made, for such thing in any place within the limits of such station.
(2) A police officer proceeding under sub-section (1), shall, if practicable, conduct the search in person.
(3) If he is unable to conduct the search in person, and there is no other person competent to make the search present at the time, he may, after recording in writing his reasons for so doing, require any officer subordinate to him to make the search, and he shall deliver to such subordinate officer an order in writing, specifying the place to be searched, and so far as possible, the thing for which search is to be made; and such subordinate officer may thereupon search for such thing in such place.
(4) The provisions of this Code as to search-warrants and the general provisions as to searches contained in Section 100 shall, so far as may be, apply to a search made under this section.
(5) Copies of any record made under sub-section (1) or sub-section (3) shall forthwith be sent to the nearest Magistrate empowered to take cognizance of the offence, and the owner or occupier of the place searched shall, on application, be furnished, free of cost, with a copy of the same by the Magistrate.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 165 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।