नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 367 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 367 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 367 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 367 के अन्तर्गत यदि ऐसी कार्यवाही के प्रस्तुत किए जाने पर उच्च न्यायालय यह ठीक समझता है कि दोषसिद्ध व्यक्ति को दोषी या निर्दोष होने से संबंधित किसी प्रश्न पर अतिरिक्त जांच की जाए या अतिरिक्त साक्ष्य लिया जाए तो वह स्वयं ऐसी जांच कर सकता है या ऐसा साक्ष्य ले सकता है या सेशन न्यायालय द्वारा उसके किए जाने या लिए जाने का निदेश दे सकता है। जब तक उच्च न्यायालय अन्यथा निदेश न दे, दोषसिद्ध व्यक्ति को, जांच किए जाने या साक्ष्य लिए जाने के समय उपस्थित होने से, अभिमुक्ति दी जा सकती है। जब जांच या साक्ष्य (यदि कोई हो) उच्च न्यायालय द्वारा नहीं की गई है या नहीं लिया गया है तब ऐसी जांच या साक्ष्य का परिणाम प्रमाणित करके उस न्यायालय को भेजा जाएगा।
सीआरपीसी की धारा 367 के अनुसार
अतिरिक्त जांच किए जाने के लिए या अतिरिक्त साक्ष्य लिए जाने के लिए निदेश देने की शक्ति-
(1) यदि ऐसी कार्यवाही के प्रस्तुत किए जाने पर उच्च न्यायालय यह ठीक समझता है कि दोषसिद्ध व्यक्ति को दोषी या निर्दोष होने से संबंधित किसी प्रश्न पर अतिरिक्त जांच की जाए या अतिरिक्त साक्ष्य लिया जाए तो वह स्वयं ऐसी जांच कर सकता है या ऐसा साक्ष्य ले सकता है या सेशन न्यायालय द्वारा उसके किए जाने या लिए जाने का निदेश दे सकता है।
(2) जब तक उच्च न्यायालय अन्यथा निदेश न दे, दोषसिद्ध व्यक्ति को, जांच किए जाने या साक्ष्य लिए जाने के समय उपस्थित होने से, अभिमुक्ति दी जा सकती है।
(3) जब जांच या साक्ष्य (यदि कोई हो) उच्च न्यायालय द्वारा नहीं की गई है या नहीं लिया गया है तब ऐसी जांच या साक्ष्य का परिणाम प्रमाणित करके उस न्यायालय को भेजा जाएगा।Power to direct further inquiry to be made or additional evidence to be taken-
(1) If, when such proceedings are submitted, the High Court thinks that a further inquiry should be made into, or additional evidence taken upon, any point bearing upon the guilt or innocence of the convicted person, it may make such inquiry or take such evidence itself, or direct it to be made or taken by the Court of Session.
(2) Unless the High Court otherwise directs, the presence of the convicted person may be dispensed with when such inquiry is made or such evidence is taken.
(3) When the inquiry or evidence (if any) is not made or taken by the High Court, the result of such inquiry or evidence shall be certified to such Court.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 367 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।