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आइए जानते है चैक-बाउंस जैसे मामलों की पूर्ण प्रक्रिया, साथ ही नेगोशिएबल इंस्ट्ररूमेण्ट्स एक्ट की धारा-138 के अन्तर्गत शिकायत कैसे दर्ज कराये?

चैक बाउंस होना क्या है?

चैक बाउंस होना अर्थात् चैक cheque अस्वीकार होना। जब कोई किसी को चैक उधार पैसे चुकाने के उद्देश्य से देता है और वह चैक किसी वजह से बैंक व्दारा अस्वीकार कर दिया जाता है, तो इसे cheque dishoner कहते है, cheque dishoner अर्थात् यदि उसकी ओर से कोई गलती की गयी है, जैसे पैसे उसके एकाउन्ट मे पर्याप्त नही थे अथवा वह पैसे न देने के उद्देश्य से बैंक से पर्याप्त चेक के पैसे न रखना भी एक तरह का अपराध की कृत्य मे आता है और वह इस कृत्य का स्वंय ही जिम्मेदार होगा। ऐसे मामलो चैक को अस्वीकार होने पर लिखित अधिनियम नेगोशिएबल इंस्ट्ररूमेण्ट्स एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज करा सकते है।

धारा 138 कब लागू होती है?

1- जब किसी व्यक्ति को किसी लोन या अन्य कर्ज जैसे मामले मे जहां पैसे चुकाना होता है और किसी व्यक्ति को चैक दिया, यदि वह चेक बिना भुगतान किये ही वापसी हो गई, तो वह cheque dishoner कहलाती है।
2- यदि व्यक्ति द्वारा निश्चित समय सीमा में बैंक में डिपॉजिट की गई, फिर भी cheque dishoner होती है।
3- यदि चैक बाउंस होने के पश्चात् अदाकर्ता को सूचित करने के 30 दिन के भीतर यदि अदाकर्ता बकाया धनराशि अदा नही करता तो नोटिस देकर चेक की निर्धारित राशि की मांग कर सकते है।
4- यदि अदाकर्ता बकाया भुगतान राशि नोटिस प्राप्त करने के 15 दिन के भीतर बकाया भुगतान राशि चुकाने में असफल हो जाता है।
5- यदि चैक बाउंस होने पर प्राप्तकर्ता द्वारा नोटिस भेजने के पश्चात् भी अदाकर्ता द्वारा बकाया भुगतान राशि नहीं चुकाया है और न ही आपकी भेजी गई नोटिस का जवाब दिया है।

चैक बाउंस जैसे मामलों में जब अदाकर्ता प्राप्तकर्ता को चैक प्राप्त कराता है तो प्राप्तकर्ता चैक वैधता अवधि के अन्दर कितनी भी बार बैंक मे भुगतान हेतु जमा करा सकता है, ऐसे मामलों में चेक बैंक में वैध समय के अंदर एक ही बार cheque dishoner होना काफी है। अदाकर्ता द्वारा बकाया भुगतान राशि चुकाने में असफल हो जाता है और प्राप्तकर्ता को बकाया भुगतान राशि न चुकाने के उद्देश्य की सही उत्तर न देना और समय से न चुका पाने पर अदाकर्ता उस राशि और उस राशि पर ब्याज एवंम् समस्त हर्जे खर्चे चुकाने का जिम्मेदार होगा। चैक बाउंस होने के पश्चात् अदाकर्ता को एक माह के भीतर नोटिस भेज सकेगें। नोटिस प्राप्त करने के बावजूद भी यदि अदाकर्ता पैसे नही चुकाता है, तो आप एक माह के भीतर नेगोशिएबल इंस्ट्ररूमेण्ट्स एक्ट की धारा 138 के तहत शिकायत करनी आवश्यक होगी।

चैक बाउंस शिकायत दर्ज कराने की समय-सीमा

वैसे तो नोटिस प्राप्त करने के 1 माह के अंदर आप अपनी शिकायत कोर्ट में दर्ज करा सकेंगे। लेकिन कभी कभी न्यायालय में अपनी शिकायत समय-सीमा पूर्ण होने के पश्चात् भी दर्ज हो जाती है। ऐसे देरी के लिए न्यायालय अगर चाहे तो समय-सीमा बढ़ा सकती है, इसके अलावा प्राप्तकर्ता द्वारा हुई देरी के संबध में उचित कारण बताना होगा और न्यायालय ही निश्चय करेगी कि प्राप्तकर्ता का कथन उचित है या अनुचित।, शिकायत स्वीकार करने के उपरांत ही न्यायालय शिकायत पर निर्णय सकेंगे।

कानूनी नोटिस की तामीली के लिये क्या करे।

चैकदाता को कानूनी नोटिस देते समय यह अवश्य सुनिश्चित कर ले कि बकाया राशि कागजों मे भी दर्ज है या नहीं, जितनी राशि आपके कागजों के आधार पर लेना निकल रही होगी, उतनी ही राशि आप अदाकर्ता से मांग कर सकेंगे। क्योंकि न्यायालय में वाद प्रस्तुत करते समय समस्त साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। नोटिस के एक प्रति रिकार्ड के रूप मे आप रखेंगे, और एक प्रति रजिस्टर्ड डाक से भेजेंगे, और एक डाक प्राप्ति की रसीद को सुव्यवस्थित रखेंगे। इसके अलावा यदि आप किसी कोरियर व्दारा नोटिस भेजी है, तो भी आप उस प्राप्ति रसीद को सम्भांल कर रख लेंगे, क्योकि वाद दाखिल करते समय नोटिस प्रेषित करने की समस्त डिटेल अंकित की जायेगी। इसके अलावा फैक्स, इण्टरनेट या ई-मेल के माध्यम से प्राप्त कराना कानून मे मान्यता दी गयी है, लेकिन डाक या कोरियर के माध्यम से भी नोटिस प्रेषित कर दे।

चैक बाउंस मे नोटिस की तामीली का उद्देश्य

नेगोशिएबल इंस्ट्ररूमेण्ट्स एक्ट की धारा 138 वाद दाखिल करने के लिये अदाकर्ता को नोटिस की तामील कराना बहुत ही जरूरी है। चैक बाउन्स नोटिस बनाते समय ध्यान रखने वाली मुख्य बात यह है कि अदाकर्ता की पूर्ण डिटेल, चैक की डिटेल जैसे चेक नम्बर, चेक डेट, बैंक का नाम, ब्रान्च का नाम और बकाया राशि का भी जिक्र करना आवश्यक होगा, इसके साथ ही चैक वापसी का कारण भी बताना होगा। साथ ही प्राप्तकर्ता को नोटिस बनाते समय यह अंकित करना होगा कि बकाया राशि एवंम् देरी ब्याज एवंम् समस्त हर्जे-खर्चे की जिम्मेदारी आपकी होगी। यह समस्त बिन्दुओ को अंकित करके अदाकर्ता को नोटिस भेजता है और अदाकर्ता उस नोटिस को स्वीकार करता है। अदाकर्ता नोटिस प्राप्त के पश्चात् न ही कोई उत्तर देता है और न ही पैसे देता है, तो आप एक माह के भीतर शिकायत करना जरूरी होगा, अन्यथा आपको समस्या हो जायेगी।
इसके अलावा यदि प्रेषित की गयी नोटिस अंकित पते से लौट आयी है, तो वाद दाखिल करते समय इसकी जानकारी देनी होगी।

पैसा या जवाब मिलने का इंतेजार करे।

हालाकि नोटिस भेजने के पश्चात् अदाकर्ता को 15 दिन का वक्त दिया जाता है, कि आप भुगतान करे अथवा इस संबंध में जवाब दे। यदि न भुगतान प्राप्त होता है और न ही कोई जवाब प्राप्त होता, तो तत्काल आप अपनी शिकायत कोर्ट में दर्ज करा सकेंगे।

न्यायालय का निर्णय

वैसे न्यायालय यह जरूर देखती है कि प्राप्तकर्ता को अदाकर्ता द्वारा बकाया भुगतान राशि किस समय से नहीं चुकाई गई है, इस संबध में प्रत्येक साक्ष्य एवंम् गवाह भी आपको न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे। अदाकर्ता यदि न्यायालय में उपस्थित नही होते है, उनकें नाम वारंट भी जारी किया जा सकता है, और वह जेल में जा सकेंगे।प्रत्येक गवाह और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय प्राप्तकर्ता के मद में आदेश करती है।

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