कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-140 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 140 के अनुसार ऐसा संपरीक्षक जिसने कंपनी से त्यागपत्र दे दिया है, त्यागपत्र की तारीख से तीस दिन के भीतर विहित प्ररूप में कंपनी और रजिस्ट्रार को और धारा 139 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट कंपनियों की दशा में संपरीक्षक, ऐसा कथन भारत के नियन्त्रक- महालेखापरीक्षक को ऐसे कारण और अन्य तथ्य, जो उसके त्यागपत्र के संबंध में सुसंगत हों, उपदर्शित करते हुए एक कथन फाइल करेगा, जिसे Companies Act Section-140 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 140 (Companies Act Section-140) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 140 Companies Act Section-140 के अनुसार ऐसा संपरीक्षक जिसने कंपनी से त्यागपत्र दे दिया है, त्यागपत्र की तारीख से तीस दिन के भीतर विहित प्ररूप में कंपनी और रजिस्ट्रार को और धारा 139 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट कंपनियों की दशा में संपरीक्षक, ऐसा कथन भारत के नियन्त्रक- महालेखापरीक्षक को ऐसे कारण और अन्य तथ्य, जो उसके त्यागपत्र के संबंध में सुसंगत हों, उपदर्शित करते हुए एक कथन फाइल करेगा।
कंपनी अधिनियम की धारा 140 (Companies Act Section-140 in Hindi)
सपरीक्षक का हटाया जाना, त्यागपत्र और विशेष सूचना का दिया जाना-
(1) धारा 139 के अधीन नियुक्त किया गया संपरीक्षक, उसकी पदावधि की समाप्ति से पूर्व केवल कंपनी के किसी विशेष संकल्प द्वारा ही इस निमित्त विहित प्ररूप में केन्द्रीय सरकार से पूर्व अनुमोदन अभिप्राप्त करने के पश्चात् उसके पर से हटाया जा सकेगो :
परंतु इस उपधारा के अधीन कोई कार्रवाई करने से पूर्व, संबंधित संपरीक्षक को सुने जाने का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा।
(2) ऐसा संपरीक्षक जिसने कंपनी से त्यागपत्र दे दिया है, त्यागपत्र की तारीख से तीस दिन के भीतर विहित प्ररूप में कंपनी और रजिस्ट्रार को और धारा 139 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट कंपनियों की दशा में संपरीक्षक, ऐसा कथन भारत के नियन्त्रक- महालेखापरीक्षक को ऐसे कारण और अन्य तथ्य, जो उसके त्यागपत्र के संबंध में सुसंगत हों, उपदर्शित करते हुए एक कथन फाइल करेगा ।
(3) यदि संपरीक्षक उपधारा (2) का अनुपालन नहीं करता है तो वह जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किंतु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा. दंडनीय होगा।
(4) (i) सेवानिवृत्त होने वाले संपरीक्षक से भिन्न किसी व्यक्ति की संपरीक्षक के रूप में नियुक्ति करने या अभिव्यक्त रूप से यह उपबंध करने संबंधी किसी संकल्प के लिए कि. सेवानिवृत्त होने वाले संपरीक्षक की, तब के सिवाय पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी जब सेवानिवृत्त होने वाले संपरीक्षक ने धारा 139 की उपधारा (2) के अधीन यथा उपबंधित, यथास्थिति, पांच वर्ष या दस वर्ष की क्रमवर्ती अवधि पूरी कर ली है, वार्षिक साधारण अधिवेशन में विशेष सूचना अपेक्षित होगी।
(ii) ऐसे संकल्प की सूचना प्राप्त होने पर कंपनी, तुरंत उसकी एक प्रति सेवानिवृत्त होने वाले संपरीक्षक को भेजेगी।
(iii) जहां ऐसे किसी संकल्प की सूचना दी जाती है और सेवानिवृत्त होने वाला संपरीक्षक उस संबंध में कंपनी को लिखित में अभ्यावेदन करता है (युक्तियुक्त विस्तार से अधिक का न हो) और कंपनी के सदस्यों से अपनी अधिसूचना में कोई अनुरोध करता है वहां कंपनी तब तक जब तक कि उसके द्वारा ऐसा करने के लिए अभ्यावेदन विलंब से प्राप्त नहीं होते, –
(क) कंपनी के सदस्यों को दिए गए संकल्प की किसी सूचना में किए गए अभ्यावेदनों के तथ्य का कथन करेगी; और
(ख) अभ्यावेदनों की एक प्रति कंपनी के उस प्रत्येक सदस्य को भेजेगी जिसको अधिवेशन की सूचना भेजी जाती है चाहे कंपनी द्वारा अभ्यावेदन पहले प्राप्त हुए हैं या बाद में और यदि अभ्यावेदन अति विलंब से प्राप्त होने के कारण या कपंनी के व्यतिक्रम के कारण पूर्वोक्त अनुसार अभ्यावेदनों की प्रति नहीं भेजी जाती है तो संपरीक्षक (मौखिक रूप से सुने जाने के उसके अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना) यह अपेक्षा कर सकेगा कि अभ्यावेदनों को अधिवेशन में पढ़ा जाए;
परंतु यदि पूर्वोक्त अनुसार अभ्यावेदन की प्रति नहीं भेजी जाती है तो उसकी प्रति रजिस्ट्रार को फाइल की जाएगी:
परंतु यह और कि यदि कंपनी के या किसी अन्य व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर, अधिकरण का यह समाधान हो जाता है कि इस उपधारा द्वारा प्रदत्त अधिकारों का संपरीक्षक द्वारा दुरुपयोग किया गया है तो अभ्यावेदन की प्रति को नहीं भेजा जा सकेगा और अधिवेशन में अभ्यावेदन को पढ़ा जाना आवश्यक नहीं होगा ।
(5) इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अधीन किसी कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अधिकरण, या तो स्वप्रेरणा से या केन्द्रीय सरकार द्वारा या संबद्ध किसी व्यक्ति द्वारा आवेदन किए जाने पर यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि क्या प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी के संपरीक्षक ने कपटपूर्ण रीति में कार्य किया है या कंपनी या उसके निदेशकों या अधिकारियों के संबंध में किसी कपट में दुष्प्रेरण किया है या दुरभिसंधि की है तो वह आदेश द्वारा कंपनी को अपने संपरीक्षकों को बदलने का निदेश दे सकेगा:
परन्तु यदि कोई आवेदन, केन्द्रीय सरकार द्वारा किया गया है और अधिकरण का यह समाधान हो जाता है कि संपरीक्षक का परिवर्तन अपेक्षित है तो वह ऐसे आवेदन की प्राप्ति से पन्द्रह दिन के भीतर यह आदेश करेगा कि वह संपरीक्षक के रूप में कृत्य नहीं करेगा और केन्द्रीय सरकार, उसके स्थान पर अन्य संपरीक्षक नियुक्त कर सकेगी:
परन्तु यह और कि कोई ऐसा संपरीक्षक चाहे वह व्यष्टिक हो या फर्म, जिसके विरुद्ध इस धारा के अधीन अधिकरण द्वारा कोई आदेश पारित किया गया है आदेश पारित होने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए किसी कंपनी के संपरीक्षक के रूप में नियुक्त किए जाने का पात्र नहीं होगा और ऐसा संपरीक्षक, धारा 447 के अधीन कार्रवाई के लिए भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण 1 – यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी फर्म की दशा में दायित्य उस फर्म का तथा उसके ऐसे प्रत्येक भागीदार या भागीदारों का होगा जिन्होंने कंपनी अथवा उसके निदेशकों या अधिकारियों द्वारा या उनके संबंध में किसी कपटपूर्वक रीति में कार्य किया हो या किसी कपट में दुष्प्रेरण या दुरभिसंधि की हो।
स्पष्टीकरण 2 – उस धारा के प्रयोजनों के लिए “संपरीक्षक” शब्द में संपरीक्षकों की कोई फर्म भी सम्मिलित है।
Companies Act Section-140 (Company Act Section-140 in English)
Removal, resignation of auditor and giving of special notice-
(1) The auditor appointed under section 139 may be removed from his office before the expiry of his term only by a special resolution of the company, after obtaining the previous approval of the Central Government in that behalf in the prescribed manner:
Provided that before taking any action under this sub-section, the auditor concerned shall be given a reasonable opportunity of being heard.
(2) The auditor who has resigned from the company shall file within a period of thirty days from the date of resignation, a statement in the prescribed form with the company and the Registrar, and in case of companies referred to in sub-section (5) of section 139, the auditor shall also file such statement with the Comptroller and Auditor-General of India, indicating the reasons and other facts as may be relevant with regard to his resignation.
(3) If the auditor does not comply with sub-section (2), he or it shall be punishable with fine which shall not be less than fifty thousand rupees but which may extend to five lakh rupees.
(4) (i) Special notice shall be required for a resolution at an annual general meeting appointing as auditor a person other than a retiring auditor, or providing expressly that a retiring auditor shall not be re-appointed, except where the retiring auditor has completed a consecutive tenure of five years or, as the case may be, ten years, as provided under sub-section (2) of section 139.
(ii) On receipt of notice of such a resolution, the company shall forthwith send a copy thereof to the retiring auditor.
(iii) Where notice is given of such a resolution and the retiring auditor makes with respect thereto representation in writing to the company (not exceeding a reasonable length) and requests its notification to members of the company, the company shall unless the representation is received by it too late for it to do so,—
(a) in any notice of the resolution given to members of the company, state the fact of the representation having been made; and
(b) send a copy of the representation to every member of the company to whom notice of the meeting is sent, whether before or after the receipt of the representation by the company,
and if a copy of the representation is not sent as aforesaid because it was received too late or because of the company‘s default, the auditor may (without prejudice to his right to be heard orally) require that the representation shall be read out at the meeting:
Provided that if a copy of representation is not sent as aforesaid, a copy thereof shall be filed with the Registrar:
Provided further that if the Tribunal is satisfied on an application either of the company or of any other aggrieved person that the rights conferred by this sub-section are being abused by the auditor, then, the copy of the representation may not be sent and the representation need not be read out at the meeting.
(5) Without prejudice to any action under the provisions of this Act or any other law for the time being in force, the Tribunal either suo motu or on an application made to it by the Central Government or by any person concerned, if it is satisfied that the auditor of a company has, whether directly or indirectly, acted in a fraudulent manner or abetted or colluded in any fraud by, or in relation to, the company or its directors or officers, it may, by order, direct the company to change its auditors:
Provided that if the application is made by the Central Government and the Tribunal is satisfied that any change of the auditor is required, it shall within fifteen days of receipt of such application, make an order that he shall not function as an auditor and the Central Government may appoint another auditor in his place:
Provided further that an auditor, whether individual or firm, against whom final order has been passed by the Tribunal under this section shall not be eligible to be appointed as an auditor of any company for a period of five years from the date of passing of the order and the auditor shall also be liable for action under section 447.
Explanation I- It is hereby clarified that the case of a firm, the liability shall be of the firm and that of every partner or partners who acted in a fraudulent manner or abetted or colluded in any fraud by, or in relation to, the company or its director or officers.
Explanation II- For the purposes of this Chapter the word ―auditor‖ includes a firm of auditors.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 140 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स मे कमेंट करके पूछ सकते है।