कंपनी अधिनियम की धारा 36| Companies Act Section 36

कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-36 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 36 के अनुसार कोई व्यक्ति, जो या तो जानते हुए या असावधानीवश कोई ऐसा कथन, वचन या पूर्वकथन करता है, जो मिथ्या, प्रवंचना करने वाला या भ्रामक है या किसी अन्य व्यक्ति को निम्नलिखित करार करने के लिए या करार करने की प्रस्थापना करने के लिए उत्प्रेरित करने के लिए किन्हीं तात्विक तथ्यों को जानबूझकर छिपाता है, जिसे Companies Act Section-36 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

कंपनी अधिनियम की धारा 36 (Companies Act Section-36) का विवरण

कंपनी अधिनियम की धारा 36 Companies Act Section-36 के अनुसार कोई व्यक्ति, जो या तो जानते हुए या असावधानीवश कोई ऐसा कथन, वचन या पूर्वकथन करता है, जो मिथ्या, प्रवंचना करने वाला या भ्रामक है या किसी अन्य व्यक्ति को निम्नलिखित करार करने के लिए या करार करने की प्रस्थापना करने के लिए उत्प्रेरित करने के लिए किन्हीं तात्विक तथ्यों को जानबूझकर छिपाता है।

कंपनी अधिनियम की धारा 36 (Companies Act Section-36 in Hindi)

धन का विनिधान करने के लिए व्यक्तियों को कपटपूर्वक उत्प्रेरित करने के लिए दंड

कोई व्यक्ति, जो या तो जानते हुए या असावधानीवश कोई ऐसा कथन, वचन या पूर्वकथन करता है, जो मिथ्या, प्रवंचना करने वाला या भ्रामक है या किसी अन्य व्यक्ति को निम्नलिखित करार करने के लिए या करार करने की प्रस्थापना करने के लिए उत्प्रेरित करने के लिए किन्हीं तात्विक तथ्यों को जानबूझकर छिपाता है,

(क) प्रतिभूतियों के अर्जन, व्ययन, उनके लिए अभिदाय या हामीदारी करने का या ऐसा करने की दृष्टि से कोई करार; या

(ख) ऐसा कोई करार, जिसका प्रयोजन या अपदेशी प्रयोजन किन्हीं पक्षकारों को प्रतिभूतियों की प्राप्ति में से या प्रतिभूतियों के मूल्य में उतार-चढ़ाव से लाभ सुनिश्चित करना है; या

(ग) किसी बैंक या वित्तीय संस्था से उधार सुविधाएं अभिप्राप्त करने के लिए या उसकी दृष्टि से कोई करार, तो वह धारा 447 के अधीन कार्रवाई के लिए भागी होगा।

Companies Act Section-36 (Company Act Section-36 in English)

Punishment for fraudulently inducing persons to invest money

Any person who, either  knowingly or recklessly makes any statement, promise or forecast which is false, deceptive or misleading,  or deliberately conceals any material facts, to induce another person to enter into, or to offer to enter  into,-

(a) any agreement for, or with a view to, acquiring, disposing of, subscribing for, or underwriting  securities; or 

(b) any agreement, the purpose or the pretended purpose of which is to secure a profit to any of  the parties from the yield of securities or by reference to fluctuations in the value of securities; or

(c) any agreement for, or with a view to obtaining credit facilities from any bank or financial  institution, shall be liable for action under section 447. 

हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 36 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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