कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-67 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 67 के अनुसार शेयरों द्वारा या गांरटी द्वारा परिसीमित और शेयर पूंजी वाली किसी कंपनी को अपने स्वयं के शेयरों का क्रय करने की तब तक शक्ति नहीं होगी जब तक कि शेयर पूंजी की पारिणामिक कमी इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रभावित नहीं होती है, जिसे Companies Act Section-67 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 67 (Companies Act Section-67) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 67 Companies Act Section-67 के अनुसार शेयरों द्वारा या गांरटी द्वारा परिसीमित और शेयर पूंजी वाली किसी कंपनी को अपने स्वयं के शेयरों का क्रय करने की तब तक शक्ति नहीं होगी जब तक कि शेयर पूंजी की पारिणामिक कमी इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रभावित नहीं होती है।
कंपनी अधिनियम की धारा 67 (Companies Act Section-67 in Hindi)
कंपनी द्वारा अपने शेयरों का क्रय करने या उनके क्रय करने के लिए उसके द्वारा उधर देने पर प्रतिबंधन-
(1) शेयरों द्वारा या गांरटी द्वारा परिसीमित और शेयर पूंजी वाली किसी कंपनी को अपने स्वयं के शेयरों का क्रय करने की तब तक शक्ति नहीं होगी जब तक कि शेयर पूंजी की पारिणामिक कमी इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रभावित नहीं होती है।
(2) कोई पब्लिक कंपनी, कंपनी में या उसकी नियंत्री कंपनी में किन्हीं शेयरों के या उसके लिए किसी व्यक्ति द्वारा किए गए या किए जाने वाले क्रय या अभिदाय के प्रयोजन के लिए या उस संबंध में, चाहे प्रत्यक्ष रूप में या अप्रत्यक्ष रूप से और चाहे किसी ऋण, गारंटी, प्रतिभूति के उपबंध के माध्यम से या अन्यथा कोई वित्तीय सहायता नहीं देगी । ..
(3) उपधारा (2) की कोई बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी काम के अनके अनसभा द्वारा
(क) किसी बैंककारी कंपनी द्वारा अपने कारखार के सामान्य अनुक्रम में धन उधार देने;
(ख) कंपनी या उसकी नियंत्री कंपनी में पूर्णतः समादत्त शेयरों के क्रय या अभिदाय के लिए विशेष संकल्प के माध्यम से और ऐसी अपेक्षाओं के अनुसार जो विहित की जाएं, कंपनी द्वारा अनुमोदित किसी स्कीम के अनुसार किसी कंपनी द्वारा धन का उपबंध करने, यदि न्यासियों द्वारा शेयरों का क्रय या उनके लिए अभिदाय कंपनी के कर्मचारियों द्वारा या उनके फायदे के लिए किया जाता है; या
(ग) किसी कंपनी द्वारा उसके निदेशकों या मुख्य प्रबंधकीय कार्मिकों से भिन्न कंपनी के नियोजन में के व्यक्तियों को कंपनी में या उसकी नियंत्री कंपनी में पूर्ण रूप से समादत्त शेयरों का क्रय करने या उनके लिए अभिदाय करने के लिए उन्हें समर्थ बनाने के उद्देश्य से उनके छह मास की अवधि के वेतन या मजदूरी से. अनधिक रकम के लिए उनके द्वारा फायदाग्राही स्वामित्व के रूप में धारित किए जाने । के लिए उन्हें ऋण देने :
परंतु ऐसे शेयरों की बाबत, जिससे स्कीम संबंधित है, कर्मचारियों द्वारा प्रत्यक्षतः प्रयोग न किए गए मताधिकार की बाबत प्रकटन ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, बोर्ड की रिपोर्ट में किया जाएगा।
(4) इस धारा की कोई बात किसी कंपनी के, उसके द्वारा इस अधिनियम के अधीन या किसी अन्य पूर्ववर्ती कंपनी विधि के अधीन निर्गमित, किन्हीं अधिमानी शेयरों का मोचन . करने के अधिकार पर प्रभाव नहीं डालेगी ।
(5) यदि कोई कंपनी इस धारा के उपबंधों का उल्लंघन करती है, तो वह कंपनी ऐसे. जुर्माने से, जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पच्चीस लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी और कंपनी का ऐसा प्रत्येक अधिकारी, जो व्यतिक्रमी है, ऐसी अवधि के कारावास से, जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पच्चीस लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
Companies Act Section-67 (Company Act Section-67 in English)
Restriction on purchase by company or giving of loans by it for purchase of its shares–
(1) No company limited by shares or by guarantee and having a share capital shall have the power to buy its own shares unless the consequent reduction of share capital is effected under the provisions of this Act.
(2) No public company shall give, whether directly or indirectly and whether by means of a loan, guarantee, the provision of security or otherwise, any financial assistance for the purpose of, or in connection with, a purchase or subscription made or to be made, by any person of or for any shares in the company or in its holding company.
(3) Nothing in sub-section (2) shall apply to—
(a) the lending of money by a banking company in the ordinary course of its business;
(b) the provision by a company of money in accordance with any scheme approved by the company through special resolution and in accordance with such requirements as may be prescribed, for the purchase of, or subscription for, fully paid-up shares in the company or its holding company, if the purchase of, or the subscription for, the shares held by trustees for the benefit of the employees or such shares held by the employee of the company;
(c) the giving of loans by a company to persons in the employment of the company other than its directors or key managerial personnel, for an amount not exceeding their salary or wages for a period of six months with a view to enabling them to purchase or subscribe for fully paid-up shares in the company or its holding company to be held by them by way of beneficial ownership:
Provided that disclosures in respect of voting rights not exercised directly by the employees in respect of shares to which the scheme relates shall be made in the Board’s report in such manner as may be prescribed.
(4) Nothing in this section shall affect the right of a company to redeem any preference shares issued by it under this Act or under any previous company law.
(5) If a company contravenes the provisions of this section, it shall be punishable with a fine which shall not be less than one lakh rupees but which may extend to twenty-five lakh rupees and every officer of the company who is in default shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to three years and with fine which shall not be less than one lakh rupees but which may extend to twenty-five lakh rupees.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 67 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।