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सैकण्ड हैंड माल के व्यापार मे जीएसटी की क्या स्थिति होगी (What will be the status of GST in the trade of second hand goods)?

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके लिए (Second Hand GST Goods) सैकण्ड हैंड माल के व्यापार से संबंधित समस्त जानकारियां आपको देंगे, जीएसटी में सैकण्ड हैंड गुड्स पर क्या करदेयता है, साथ ही सैकण्ड हैंड गुड्स के व्यापार में क्या जीएसटी के नियम व प्रावधान आते है यह भी इस लेख के माध्यम से जानेंगे।

वैसे कई व्यवहारी पुरानी एवं उपयोग में ली गई वस्तुओं का व्यापार करते है। ऐसे में वे माल की खरीद सामान्यतयः अपंजीकृत व्यवहारियों से करते है जिस पर टैक्स का कोई दायित्व नहीं होता है। यह माना जाता है कि चूकि इन वस्तुओं पर एक बार जब यह नई बेची गई होगी जीएसटी का भुगतान हो चुका है इसलिए इनकी पुनः खरीद बिक्री करने पर जब तक टैक्स नहीं लगना चाहिए जब तक उन्हे खरीद कर ज्यादा मूल्य पर ना बेचा जाये। इस अंतर को मार्जिन माना गया तथा इसे मार्जिन स्कीम कहा गया। जीएसटी के तहत ऐसी वस्तुओं का व्यापार करने के लिए सैन्ट्रल गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स रूल्स, 2017 के रूल 32(5) में प्रावधान किया गया है।

क्या कहता है, GST रूल 32(5)?

Where a taxable supply is provided by a person dealing in buying and selling of second hand goods i.e., used goods as such or after such minor processing which does not change the nature of the goods and where no input tax credit has been availed on the purchase of such goods, the value of supply shall be the difference between the selling price and I the purchase price and where the value of such supply is negative, it shall be ignored:

Provided that the purchase value of goods repossessed from a defaulting bor rower, who is not registered, for the purpose of recovery of a loan or debt shall be deemed to be the purchase price of such goods by the defaulting borrower reduced by five percent age points for every quarter or part thereof, between the date of purchase and the date of disposal by the person making such repossession.

इस नियम के अनुसार- यदि किसी पुराने एवं उपयोग में लिये गये सामान का व्यापार करने वाला डीलर उस वस्तु में ज्यादा बदलाव न करके सिर्फ छोटी-मोटी प्रोसेसिंग करके जिससे उसके स्वरूप में कोई परिवर्तन न हो तथा जिसकी खरीद पर उसने इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ न लिया हो तो उस माल की सप्लाई का मूल्य उसके विक्रय मूल्य एवं खरीद मूल्य का अंतर होगा।

यदि ऐसी सप्लाई का मूल्य या कहे कि विक्रय मूल्य एवं खरीद का अंतर नेगेटिव हो तो उस पर कोई जीएसटी देय नहीं होगा।

इस रूल के तहत उस स्थिति को भी शामिल किया गया है जिसमें किसी डिफाल्टिग उधार लेने वाले की वस्तु का किश्त न चुकाने के कारण पजेशन प्राप्त किया गया हो। यदि ऐसे व्यक्ति को जो जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है कोई  राशि लोन के रूप में दी गई है तथा लोन का भुगतान न करने के कारण उसकी वस्तु का अधिग्रहण कर लिया जाता है तो उस अधिग्रहित वस्तु का खरीद मूल्य ज्ञात करने के लिए उस वस्तु की खरीद की तिथी से पजेशन लेने की तिथी तक प्रत्येक तिमाही के लिए 5 प्रतिशत मूल्य घटा कर उसे ज्ञात किया जायेगा। ।

मार्जिन स्कीम में सप्लाई का मूल्य

जीएसटी कानून में सप्लाई के मूल्य की गणना धारा 15 के तहत की जाती है। धारा 15 के अनुसार सामान्य अवस्था में सप्लाई का मूल्य ट्रांजक्शन मूल्य को माना जाता है। लेकिन दोहरे कर को समाप्त करने के उद्देश्य से पुरानी वस्तुओं के व्यापार पर बिक्री एवं खरीद के अंतर जिसे मार्जिन कहा जाता है, पर टैक्स लगाये जाने का प्रावधान किया गया है।

स्कीम की विशेषताएं

इस स्कीम की निम्न विशेषताएं हैं-

i) यह स्कीम सैकन्ड हैन्ड माल की खरीद बिक्री करने वाले व्यवहारियों पर ही लागू होती है। केवल पुरानी वस्तुएं बेचने पर यह स्कीम लागू नहीं होती है। पुरानी वस्तुएं बेचने पर ट्रांजक्शन मूल्य पर टैक्स चुकाना होता है।

ii) इस स्कीम में जिस वस्तु को बेचा जाता है उसमें मामूली सुधार किया जा सकता है। उसके स्वरूप को नहीं बदला जा सकता है। जैसे किसी मशीन को काम में लेने योग्य बनाने के लिए उसके पार्टस को बदला जा सकता है।

iii) इस स्कीम का लाभ लेने वाले व्यवहारियों को धारा 9(4) के तहत रिवर्स चार्ज में टैक्स का कोई भुगतान नहीं करना होता है।

iv) इस स्कीम का लाभ लेने वाले व्यवहारी उस माल की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं ले सकते है।

v) इस स्कीम का लाभ लेने वाले व्यवहारी टैक्स इनवाइस जारी नहीं कर सकते है वे केवल बिल आफ सप्लाई ही जारी करेंगे।

vi) इस स्कीम के तहत आने वाले व्यवहारी से माल खरीदने वाला व्यवहारी उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकता है।

सैकेण्ड हैण्ड माल पर कर की दर (Second Hand GST Goods Tax Rate)

सैकेण्ड हैण्ड माल Second Hand GST Goods Tax Rate पर कर की दर वहीं होती है जो नये माल पर होती है। रूल 32(5) के तहत वैल्यू आफ सप्लाई खरीद-बिक्री का अंतर होती है जिस पर उस माल पर लागू टैक्स की दर से टैक्स आरोपित किया जाता है।

रिपेयर या प्रोसेसिंग के लिए खरीदे माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की स्थिति

Repairing or Processing For GST Goods के अंतर्गत किसी माल में यदि रिपेयर या प्रोसेसिंग की गई है, तो कैसे क्या स्थिति रहेगी।
जो सैकण्ड हैण्ड माल खरीदा जाता है उस पर तो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्त नहीं होता है लेकिन बिक्री से पूर्व उसकी जो माइनर प्रोसेसिंग की जाती है या रिपेयर आदि की जाती है तो उस पर चुकाये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यवहारी को प्राप्त होगा या नहीं । यह एक विवादित प्रश्न है। रूल 32(5) में केवल उस माल की खरीद पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम न करने का प्रावधान किया गया है उसके आगे की जाने वाली प्रोसेसिंग पर खर्च की जाने वाली राशि पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने से कोई रोक नहीं लगाई गई है। रूल 32(5) का
संबंधित प्रावधान इस प्रकार है-

........and where no input tax credit has been availed on the purchase of such goods.........

केवल उसके खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम न करने के लिए कहा गया है। उसके रिपेयर या प्रोसेसिंग पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने से कोई रोक नहीं लगाई गई है। चूंकि वैल्यू एडिशन पर आऊटपुट टैक्स चुकाया जा रहा है। इसलिए उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मना करने का कोई औचित्य भी नहीं है।

हम इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते है-

उदाहरण- मैसर्स राज ट्रेडिंग कम्पनी पुरानी मशीनों को खरीदने-बेचने का व्यापार करता है। उसने एक मशीन 2 लाख रु की खरीदी तथा उसके रिपेयर पर 50,000/- रु एवं 6000/- रु जीएसटी कुल 56,000/- रु खर्च किये। उसने इस मशीन को ठीक करवा कर 3 लाख रु की बेच दी। उस पर जीएसटी का कितना दायित्व होगा?

विक्रय मूल्य3,00,000/-
खरीद मूल्य2,00,000/-
मार्जिन1,00,000/-
जीएसटी 12%12,000/-
इनपुट टैक्स क्रेडिट (रिपेयरिंग पर)6,000/-
देय राशि6,000/-

मार्जिन की राशि की गणना करने पर रिपेयर की राशि को नहीं जोड़ा जायेगा केवल खरीद मूल्य को ही मार्जिन की गणना करने के लिए घटाया जायेगा ।

जीएसटी रिटर्न में इस बिक्री को कैसे दिखाया जायेगा

जीएसटी रिटर्न GSTR-3B में इसे कहा भरना होगा।

GSTR-3B में टेबिल 3.1 में आऊटवर्ड सप्लाई की जानकारी देनी होती है। इसमें (a) में आऊटवर्ड टैक्सेबल सप्लाई में मार्जिन राशि जिस पर जीएसटी देय होगा वह दिखानी होगी तथा शेष राशि को (c) अन्य आऊटवर्ड सप्लाई (निल) रेटेड, एग्जैम्टेड) में दिखानी होगी।

जीएसटी रिटर्न GSTR-1 में इसे कहा भरना होगा।

इस सप्लाई को अपंजीकृत व्यवहारियों को की गई सप्लाई माना जायेगा क्योंकि क्रेताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। इसलिए यदि इन्टर स्टेट सप्लाई की गई। है जो कि 2.50 लाख रु से अधिक मूल्य की है तो उसे टेबिल 5 में दिखाना होगा तथा यदि 2.50 लाख रु से कम इनवाइस मूल्य की है या राज्य के भीतर की गई है तो उसे टेबिल 7 में दिखाना होगा। टेबिल 5 या 7 में वह राशि दिखाई जायेगी। जिस पर जीएसटी की गणना की गई है यानि मार्जिन राशि को यहां दिखाना होगा तथा शेष राशि जिस पर जीएसटी नहीं वसूला गया है तथा जिसे GSTR-3B में 3.1(C) में दिखाया गया है। उसे GSTR-1 की टेबिल 8 में दिखाया जायेगा।

जीएसटी रूल 32 (5) के तहत वैल्यू ऑफ सप्लाई मार्जिन को ही माना गया है लेकिन बुक्स में पूरी सप्लाई दिखाई जाती है। इसलिए केवल कर योग्य सप्लाई से ही रिटर्न प्रस्तुत करेंगे तो बुक्स की सप्लाई में एवं रिटर्न की सप्लाई में भारी अंतर आयेगा। इसलिए शेष सप्लाई राशि जो कि वास्तविक सप्लाई एवं मार्जिन का अंतर है उसे कर मुक्त सप्लाई में दिखाया जाना चाहिए ताकि बुक्स से अंतर ना रहे।

इनवाइस में जीएसटी दिखाये या नहीं

चूंकि इस स्कीम के तहत मार्जिन पर जीएसटी वसूल किया जाता है इसलिए बिल ऑफ सप्लाई जारी किया जायेगा अतः जीएसटी इनवाइस में नहीं दिखाया जायेगा। इसलिए इनवाइस में केवल यह लिखा जाना चाहिए कि जीएसटी का भुगतान रूल 32(5) के तहत मार्जिन राशि पर किया गया है।

पुराने मोटर व्हीकल्स पर लागू स्कीम मार्जिन यदि किसी सप्लायर ने चाहे वह सैकण्ड हैण्ड व्हीकल का व्यापार करता हो या नहीं कोई पुराना व्हीकल बेचा है जिस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट या सैनवैट क्रेडिट या इनपुट वैट क्रेडिट का कोई लाभ नहीं लिया है तो वह मार्जिन की गणना करके उस पर जीएसटी का भुगतान अधिसूचना स. 8/ 2018-सीटी (रेट) दिनांक 25.1.2018 या अधिसूचना स. 9/2018-आईटी (रेट) दिनांक 25.1.2018 के तहत कन्सेशनल दर पर कर सकता है।

यदि ऐसे पुराने व्हीकल पर आयकर अधिनियम की धारा 32 के तहत डैपरीसिएशन क्लेम किया गया है तो ऐसे मामले में विक्रय मूल्य एवं डैपरीसिएटेड वैल्यू का अंतर मार्जिन माना जायेगा तथा यदि डैपरीसिएशन क्लेम नहीं किया गया है तो विक्रय मूल्य एवं क्रय मूल्य का अंतर मार्जिन माना जायेगा।

व्हीकल्स पर इंजन कैपेसिटी के आधार पर जीएसटी दर का निर्धारण किया गया है जो कि 18 प्रतिशत या 12 प्रतिशत हो सकती है। अधिसूचना के अनुसार रेट से संबंधित टेबिल निम्न प्रकार है-

 

new Goods rate wise

Article Sources By- गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स अपडेट मैगजीन

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