भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 20 | Indian Contract Act Section 20

 भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-20) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 20 के अनुसार जब दोनों पक्षकारों के बीच तथ्यों की भूल होती है और उन्हें बाद में यह पता चलता है, तो उनके बीच किया गया करार अमान्य हो जाता है। इससे करार को बिंदु रूप में बाधित माना जाता है, क्योंकि सही जानकारी की अभाव में यहां परम्परागत संबंध या सहमति की प्राप्ति नहीं हो सकती है।, जिसे IC Act Section-20 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 20 (Indian Contract Act Section-20) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 20 IC Act Section-20 के अनुसार जब दोनों पक्षकारों के बीच तथ्यों की भूल होती है और उन्हें बाद में यह पता चलता है, तो उनके बीच किया गया करार अमान्य हो जाता है। इससे करार को बिंदु रूप में बाधित माना जाता है, क्योंकि सही जानकारी की अभाव में यहां परम्परागत संबंध या सहमति की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 20 (IC Act Section-20 in Hindi)

जबकि दोनों पक्षकार तथ्य की बात संबंधी भूल में हों, तब करार शून्य है-

जहाँ कि किसी करार के दोनों पक्षकार ऐसी तथ्य की बात के बारे में, जो करार के लिए मर्मभूत है, भूल में हों, वहाँ करार शून्य है।
स्पष्टीकरण — जो चीज करार की विषय-वस्तु हो उसके मूल्य के बारे में गलत राय, तथ्य की बात के बारे में भूल नहीं समझी जाएगी।
दृष्टान्त
(क) माल के विनिर्दिष्ट स्थोरा को, जिसके बारे में यह अनुमान है कि वह इंग्लैण्ड से मुम्बई को चल चुका है, ‘ख’ को बेचने का करार ‘क’ करता है। पता चलता है कि सौदे के दिन से पूर्व, उस स्थोरा को प्रवहण करने वाला पोत संत्यक्त कर दिया गया था और माल नष्ट हो गया था। दोनों में से किसी भी पक्षकार को इन तथ्यों की जानकारी नहीं थी। करार शून्य है
(ख) ‘ख’ से अमुक घोड़ा खरीदने का करार ‘क’ करता है। यह पता चलता है कि वह घोड़ा सौदे के समय मर चुका था, यद्यपि दोनों में से किसी भी पक्षकार को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी। करार शून्य है।
(ग) ‘ख’ के जीवनपर्यन्त के लिए एक सम्पदा का हकदार होते हुए ‘क उसे ‘ग’ को बेचने का करार करता है। करार के समय ‘ख’ मर चुका था किन्तु दोनों पक्षकार इस तथ्य से अनभिज्ञ थे। करार शून्य है।

Indian Contract Act Section-20 (IC Act Section-20 in English)

Agreement void where both parties are under mistake as to matter of fact-

Where both the parties to an agreement are under a mistake as to a matter of fact essential to the agreement the agreement is void.
Explanation – An erroneous opinion as to the value of the thing which forms the subject matter of the agreement, is not to be deemed a mistake as to a matter of fact.
Illustrations
(a) A agrees to sell to B a specific cargo of goods supposed to be on its way from England to Bombay. It turns out that, before the day of the bargain the ship conveying the cargo had been cast away and the goods lost. Neither party was aware of these facts. The agreement is void.
(b) A agrees to buy from B a certain horse. It turns out that the horse was dead at the time of the bargain, though neither party was aware of the fact. The agreement is void.
(c) A, being entitled to an estate for the life of B, agrees to sell it to C, B was dead at the time of agreement, but both parties were ignorant of the fact. The agreement is void.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 20 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment