भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-211) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 211 के अनुसार अभिकर्ता के प्राधिकार का पर्यवसान उन सब उपाभिकर्ताओं के, जो उसने नियुक्त किए हों, प्राधिकार का (उन नियमों के अध्यधीन, जो अभिकर्ता के प्राधिकार के पर्यवसान के बारे में एतस्मिन् अन्तर्विष्ट है) पर्यवसान कारित कर देता है, जिसे IC Act Section-211 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 211 (Indian Contract Act Section-211) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 211 IC Act Section-211 के अनुसार अभिकर्ता के प्राधिकार का पर्यवसान उन सब उपाभिकर्ताओं के, जो उसने नियुक्त किए हों, प्राधिकार का (उन नियमों के अध्यधीन, जो अभिकर्ता के प्राधिकार के पर्यवसान के बारे में एतस्मिन् अन्तर्विष्ट है) पर्यवसान कारित कर देता है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 211 (IC Act Section-211 in Hindi)
मालिक के कारबार के संचालन में अभिकर्ता का कर्तव्य-
अभिकर्ता अपने मालिक के कारबार का संचालन मालिक द्वारा दिए गए निदेशों के अनुसार, या ऐसे निदेशों के अभाव में, उस रूढ़ि के अनुसार, करने के लिए आबद्ध है जो उस स्थान पर, जहां अभिकर्ता ऐसे कारबार का संचालन करता है, उसी किस्म का कारबार करने में प्रचलित हो। जबकि अभिकर्ता अन्यथा कार्य करे तब यदि कोई हानि हो तो उसे उसके लिए अपने मालिक की प्रतिपूर्ति करनी होगी और यदि कोई लाभ हो तो उसे उसका लेखा लेना होगा।
दृष्टांत
(क) क, एक अभिकर्ता, जो ख की ओर से ऐसा कारबार करने में लगा है, जिसमें यह रूढ़ि है कि समय-समय पर जो रुपए हाथ में आएं उसे ब्याज पर विनिहित कर दिया जाए, उसका वैसा विनिधान करने का लोप करता है। ख के प्रति उस ब्याज की प्रतिपूर्ति, जो इस प्रकार के विनिधानों से प्रायः अभिप्राप्त होती है, क को करनी होगी।
(ख) एक दलाल, ख जिसके कारबार में उधार बेचने की रूढ़ि नहीं है, क का माल ग को जिसका प्रत्यय उस समय बहुत ऊंचा है, उधार बेचता है। ग, संदाय करने से पूर्व दिवालिया हो जाता है । क की इस हानि की प्रतिपूर्ति ख को करनी होगी।
Indian Contract Act Section-211 (IC Act Section-211 in English)
Agent’s duty in conducting principal’s business-
An agent is bound to conduct the business of his principal according to the directions given by the principal, or, in the absence of any such directions, according to the custom which prevails in doing business of the same kind at the place where the agent conducts such business. When the agent acts otherwise, if any loss be sustained, he must make it good to his principal, and if any profit accrues, he must account for it.
Illustrations
(a) A, an agent engaged in carrying on for B a business, in which it is the custom to invest from time to time, at interest, the moneys which may be in hand, omits to make such investment. A must make good to B the interest usually obtained by such investments.
(b) B, a broker, in whose business it is not the custom to sell on credit, sells goods of A on credit to C, whose credit at the time was very high. C, before payment, becomes insolvent. B must make good the loss to A.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 211 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।