भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 5 | Indian Contract Act Section 5

 भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-5) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 5 के अनुसार प्रस्थापना की संसूचना तब संपूर्ण हो जाती है जब प्रस्थापना उस व्यक्ति के ज्ञान में आ जाती है जिसे वह की गई है। प्रतिग्रहण की संसूचना प्रस्थापक के विरुद्ध तब संपूर्ण हो जाती है जब वह उसके प्रति इस प्रकार पारेषण के अनुक्रम में कर दी जाती है कि वह प्रतिगृहीता की शक्ति के बाहर हो जाए, जिसे IC Act Section-5 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 5 (Indian Contract Act Section-5) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 5 IC Act Section-5 के प्रस्थापना की संसूचना तब संपूर्ण हो जाती है जब प्रस्थापना उस व्यक्ति के ज्ञान में आ जाती है जिसे वह की गई है। प्रतिग्रहण की संसूचना प्रस्थापक के विरुद्ध तब संपूर्ण हो जाती है जब वह उसके प्रति इस प्रकार पारेषण के अनुक्रम में कर दी जाती है कि वह प्रतिगृहीता की शक्ति के बाहर हो जाए।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 5 (IC Act Section-5 in Hindi)

प्रस्थापनाओं और प्रतिग्रहणों का प्रतिसंहरण-

कोई भी प्रस्थापना उसके प्रतिग्रहण की संसूचना प्रस्थापक के विरुद्ध संपूर्ण हो जाने से पूर्व किसी भी समय प्रतिसंहृत की जा सकेगी, किन्तु उसके पश्चात् नहीं।
कोई भी प्रतिग्रहण उस प्रतिग्रहण की संसूचना, प्रतिगृहीता के विरुद्ध संपूर्ण हो जाने से पूर्व किसी भी समय प्रतिसंहृत किया जा सकेगा, किन्तु उसके पश्चात् नहीं।
दृष्टांत
क अपना गृह ख को बेचने की प्रस्थापना डाक से भेजे गए एक पत्र द्वारा करता है।
ख प्रस्थापना को डाक से भेजे गए पत्र द्वारा प्रतिगृहीत करता है।
क अपनी प्रस्थापना को ख द्वारा अपने प्रतिग्रहण का पत्र डाक में डाले जाने से पूर्व किसी भी समय या डाले जाने के क्षण प्रतिसंहृत कर सकेगा, किन्तु उसके पश्चात् नहीं।
ख अपने प्रतिग्रहण को, उसे संसूचित करने वाला पत्र क को पहुंचने के पूर्व किसी भी समय या पहुंचने के क्षण प्रतिसंहृत कर सकेगा, किन्तु उसके पश्चात् नहीं।

Indian Contract Act Section-5 (IC Act Section-5 in English)

Revocation of proposals and acceptances-

A proposal may be revoked at any time before the communication of its acceptance is complete as against the proposer, but not afterwards.
An acceptance may be revoked at any time before the communication of the acceptance is complete as against the acceptor, but not afterwards.
Illustrations
A proposes, by a letter sent by post, to sell his house to B.
B accepts the proposal by a letter sent by post.
A may revoke his proposal at any time before or at the moment when B posts his letter of acceptance, but not afterwards.
B may revoke his acceptance at any time before or at the moment when the letter communicating it reaches A, but not afterwards.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 5 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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