भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 | वृत्तिक संसूचनाएँ | Indian Evidence Act Section- 126 in hindi| Professional communications.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 126, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 126 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 126 के अन्तर्गत कोई भी बैरिस्टर, अटार्नी, प्लीडर या वकील अपने कक्षीकार की अभिव्यक्त सम्मति के सिवाय ऐसी किसी संसूचना को प्रकट करने के लिये, जो उसके ऐसे बैरिस्टर, अटानों, प्लीडर या वकील की हैसियत में नियोजन के अनुक्रम में, या के प्रयोजनार्थ उसके कक्षीकार द्वारा, या की ओर से उसे दी गई हो अथवा किसी दस्तावेज की, जिससे वह अपने वृत्तिक नियोजन के अनुक्रम में या के प्रयोजनार्थ परिचित हो गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 के अनुसार

वृत्तिक संसूचनाएँ–

कोई भी बैरिस्टर, अटार्नी, प्लीडर या वकील अपने कक्षीकार की अभिव्यक्त सम्मति के सिवाय ऐसी किसी संसूचना को प्रकट करने के लिये, जो उसके ऐसे बैरिस्टर, अटानों, प्लीडर या वकील की हैसियत में नियोजन के अनुक्रम में, या के प्रयोजनार्थ उसके कक्षीकार द्वारा, या की ओर से उसे दी गई हो अथवा किसी दस्तावेज की, जिससे वह अपने वृत्तिक नियोजन के अनुक्रम में या के प्रयोजनार्थ परिचित हो गया है, अन्तर्वस्तु या दशा कथित करने को अथवा किसी सलाह को, जो ऐसे नियोजन के अनुक्रम में या के प्रयोजनार्थ उसने अपने कक्षीकार को दी है, प्रकट करने के लिए किसी भी समय अनुज्ञात नहीं किया जाएगा:
परन्तु इस धारा की कोई बात निम्नलिखित बात को प्रकटीकरण से संरक्षण न देगी:
(1) किसी भी अवैध प्रयोजन को अग्रसर करने में दी गई कोई भी ऐसी संसूचना:
(2) ऐसा कोई भी तथ्य जो किसी बैरिस्टर, प्लीडर, अटानी या वकील ने अपनी ऐसो हैसियत में नियोजन के अनुक्रम में सम्प्रेक्षित किया हो, और जिससे दर्शित हो कि उसके नियोजन के प्रारम्भ के पश्चात् कोई अपराध या कपट किया गया है।
यह तत्वहीन है कि ऐसे बैरिस्टर, प्लीडर, अटार्नी या वकील का ध्यान ऐसे तथ्य के प्रति उसके कक्षीकार के द्वारा या की ओर से आकर्षित किया गया था या नहीं।

Professional communications-
No barrister, attorney, pleader or vakil, shall at any time be permitted, unless with his client’s express consent, to disclose any communication made to him in the course and for the purpose of his employment as such barrister, pleader, attorney or vakil, by or on behalf of his client, or to state the contents or condition of any document with which he has become acquainted in the course and for the purpose of his professional employment, or to disclose any advice given by him to his client in the course and for the purpose of such employment :
Provided that nothing in this section shall protect from disclosure-
(1) any such communication made in furtherance of any illegal purpose;
(2) any fact observed by any barrister, pleader, attorney or vakil, in the course of his employment as such, showing that any crime or fraud has been committed since the commencement of his employment.
It is immaterial whether the attention of such barrister, pleader, attorney or vakil was or was not directed to such fact by or on behalf of his client.

स्पष्टीकरण- इस धारा में कथित बाध्यता नियोजन के अवसित हो जाने के उपरान्त भी बनी रहती है।

दृष्टान्त
(क) कक्षीकार क, अटार्नी ख से कहता है “मैंने कूटरचना की है और मैं चाहता हूँ कि आप मेरी प्रतिरक्षा करें।”
यह संसूचना प्रकटन से संरक्षित है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति की प्रतिरक्षा आपराधिक प्रयोजन नहीं है, जिसका दोषी होना ज्ञात हो ।
(ख) कक्षीकार क, अटर्नी ख से कहता है—“मैं सम्पत्ति पर कब्जा कूटरचित विलेख के उपयोग द्वारा अभिप्राप्त करना चाहता हूँ, और इस आधार पर वाद लाने की मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ।”
यह संसूचना आपराधिक प्रयोजन के अग्रसर करने में की गई होने से प्रकटन से संरक्षित नहीं है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 126 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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