भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 136 | न्यायाधीश साक्ष्य की गाह्यता के बारे में निश्चय करेगा | Indian Evidence Act Section- 136 in hindi| Judge to decide as to admissibility of evidence.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 136 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 136, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 136 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 136 के अन्तर्गत जबकि दोनों में से कोई पक्षकार किसी तथ्य का साक्ष्य देने की प्रस्थापना करता है, तब न्यायाधीश साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार से पूछ सकेगा कि अभिकथित तथ्य, यदि वह साबित हो जाए, किस प्रकार सुसंगत होगा, और यदि न्यायाधीश यह समझता है कि वह तथ्य यदि साबित हो गया तो सुसंगत होगा, तो वह उस साक्ष्य को ग्रहण करेगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 136 के अनुसार

न्यायाधीश साक्ष्य की गाह्यता के बारे में निश्चय करेगा–

जबकि दोनों में से कोई पक्षकार किसी तथ्य का साक्ष्य देने की प्रस्थापना करता है, तब न्यायाधीश साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार से पूछ सकेगा कि अभिकथित तथ्य, यदि वह साबित हो जाए, किस प्रकार सुसंगत होगा, और यदि न्यायाधीश यह समझता है कि वह तथ्य यदि साबित हो गया तो सुसंगत होगा, तो वह उस साक्ष्य को ग्रहण करेगा, अन्यथा नहीं।
यदि वह तथ्य, जिसका साबित करना प्रस्थापित है, ऐसा है जिसका साक्ष्य किसी अन्य तथ्य के साबित होने पर ही ग्राह्य होता है, तो ऐसा अन्तिम वर्णित तथ्य प्रथम वर्णित तथ्य का साक्ष्य दिये जाने के पूर्व साबित करना होगा, जब तक कि पक्षकार ऐसे तथ्य को साबित करने का वचन न दे दे और न्यायालय ऐसे वचन से संतुष्ट न हो जाए।
यदि एक अभिकथित तथ्य की सुसंगति अन्य अभिकथित तथ्य के प्रथम साबित होने पर निर्भर हो, तो न्यायाधीश अपने विवेकानुसार या तो दूसरे तथ्य के साबित होने के पूर्व प्रथम तथ्य का साक्ष्य दिया जाना अनुज्ञात कर सकेगा, या प्रथम तथ्य का साक्ष्य दिए जाने के पूर्व द्वितीय तथ्य का साक्ष्य दिए जाने की अपेक्षा कर सकेगा।

Judge to decide as to admissibility of evidence-
When either party proposes to give evidence of any fact, the judge may ask the party proposing to give the evidence in what manner the alleged fact, if proved, would be relevant, and the Judge shall admit the evidence if he thinks that the fact, if proved, would be relevant, and not otherwise.
If the fact proposed to be proved is one of which evidence is admissible only upon proof of some other fact, such last-mentioned fact must be proved before evidence is given of the fact first-mentioned, unless the party undertakes to give proof of such fact and the Court is satisfied with such undertaking.
If the relevancy of one alleged fact, depends upon another alleged fact being first proved, the Judge may, in his discretion, either permit evidence of the first fact to be given before the second fact is proved, or require evidence to be given of the second fact before evidence is given of the first fact.

दृष्टान्त
(क) यह प्रस्थापना की गई है कि एक व्यक्ति के, जिसका मृत होना अभिकथित है, सुसंगत तथ्य के बारे में एक कथन को, जो कि धारा 32 के अधीन सुसंगत है, साबित किया जाए।
इससे पूर्व कि उस कथन का साक्ष्य दिया जाए, उस कथन को साबित करने की प्रस्थापना करने वाले व्यक्ति को यह तथ्य साबित करना होगा कि वह व्यक्ति मर गया है।
(ख) यह प्रस्थापना की गई है कि एक ऐसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु को, जिसका खोई हुई होना कथित है, प्रतिलिपि द्वारा साबित किया जाए।
यह तथ्य कि मूल खो गया है, प्रतिलिपि पेश करने की प्रस्थापना करने वाले व्यक्ति को वह प्रतिलिपि पेश करने से पूर्व साबित करना होगा।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 136 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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