भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142 | उन्हें कब नहीं पूछना चाहिए | Indian Evidence Act Section- 142 in hindi| When they must not be asked.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 142 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 142 के अन्तर्गत सूचक प्रश्न मुख्य परीक्षा में या पुनःपरीक्षा में, यदि विरोधी पक्षकार द्वारा आक्षेप किया जाता है, न्यायालय की अनुज्ञा के बिना नहीं पूछे जाने चाहिए। न्यायालय उन बातों के बारे में, जो पुनःस्थापना के रूप में या निर्विवाद है या जो उसकी राय में पहले ही पर्याप्त रूप से साबित हो चुके हैं, सूचक प्रश्नों के लिए अनुज्ञा देगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142 के अनुसार

उन्हें कब नहीं पूछना चाहिए-

सूचक प्रश्न मुख्य परीक्षा में या पुनःपरीक्षा में, यदि विरोधी पक्षकार द्वारा आक्षेप किया जाता है, न्यायालय की अनुज्ञा के बिना नहीं पूछे जाने चाहिए।
न्यायालय उन बातों के बारे में, जो पुनःस्थापना के रूप में या निर्विवाद है या जो उसकी राय में पहले ही पर्याप्त रूप से साबित हो चुके हैं, सूचक प्रश्नों के लिए अनुज्ञा देगा।

When they must not be asked-
Leading questions must not, if objected to by the adverse party, be asked in an examination-in-chief, or in a re-examination, except with the permission of the Court.
The Court shall permit leading questions as to matters which are introductory or undisputed, or which have, in its opinion, been already sufficiently proved.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment