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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 40 | द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत हैं | Indian Evidence Act Section- 40 in hindi| Previous judgments relevant to bar a second suit or trial.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 40 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 40, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 40 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 40 के अन्तर्गत जब किसी ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री का अस्तित्व, जो किसी न्यायालय को किसी वाद के संज्ञान से या कोई विचारण करने से विधि द्वारा निवारित करता है, सुसंगत तथ्य है जबकि प्रश्न यह हो कि क्या ऐसे न्यायालय को ऐसे वाद का संज्ञान या विचारण करना चाहिए।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 40 के अनुसार

द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत हैं-

किसी ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री का अस्तित्व, जो किसी न्यायालय को किसी वाद के संज्ञान से या कोई विचारण करने से विधि द्वारा निवारित करता है, सुसंगत तथ्य है जबकि प्रश्न यह हो कि क्या ऐसे न्यायालय को ऐसे वाद का संज्ञान या विचारण करना चाहिए।

Previous judgments relevant to bar a second suit or trial-
The existence of any judgment, order or decree which by law prevents any Court from taking cognizance of a suit or holding a trial, is a relevant fact when the question is whether such Court ought to take cognizance of such suit, or to hold such trial.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 40 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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