नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 166B के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 166B? साथ ही हम आपको IPC की धारा 166B के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 166B का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 166B के अंतर्गत जो कोई अस्पताल, सार्वजनिक या व्यक्तिगत, चाहे केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, यदि वह किसी पीड़ित व्यक्ति का उपचार करने मना करता है तो वह धारा 166B के अंतर्गत दंडित किया जाएगा। जिसके लिए वह दंड व जुर्माना अथवा दोनो का भागीदार होगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 166B इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 166B के अनुसार-
पीड़ित का उपचार न करने के लिए दण्ड-
जो कोई अस्पताल, सार्वजनिक या व्यक्तिगत, चाहे केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, का भारसाधक होते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता (1974 का 2) की धारा 357-ग के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
Punishment for non-treatment of victim-
Whoever, being in charge of a hospital, public or private, whether run by the Central Government, the State Government, local bodies or any other person, contravenes the provisions of Section 357-C of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974) shall be punished with imprisonment for a term which may extend to one year or with fine or with both.
लागू अपराध
अस्पताल द्वारा पीड़ित का उपचार न किया जाना।
सजा- न्यूनतम् 6 मास का कारावास, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना।
यह एक जमानतीय, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता योग्य नही है।
सजा (Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 166B के अंतर्गत जो कोई अस्पताल, सार्वजनिक या व्यक्तिगत, चाहे केन्द्रीय सरकार का हो अथवा राज्य सरकार का या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, पीड़ित का उपचार करने से मना करता है तो वह न्यूनतम् 6 मास का कारावास, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 166B के अंतर्गत ऐसे अपराध कारित करने वाले व्यक्ति जमानत (Bail) कराना आवश्यक है, यह अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
अस्पताल द्वारा पीड़ित का उपचार न किया जाना। | न्यूनतम् 6 मास का कारावास, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना। | गैर-संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 166B की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।