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आईपीसी की धारा 2 | भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड | IPC Section- 2 in hindi | Punishment of offences committed within India.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 2? साथ ही हम आपको IPC की धारा 2 के अंतर्गत क्या परिभाषित करती है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 2 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 2 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यह धारा जो कोई व्यक्ति इस संहिता के उपबंधो के प्रतिकूल हर कार्य, लोप के लिए, अगर वह भारत के भीतर दोषी होगा, तब ही इस संहिता के आधीन दंडनीय होगा अथवा दंडनीय नही होगा। यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 2 इसी बात को परिभाषित करती है।

आईपीसी की धारा 2 के अनुसार-

भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड-

हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए, जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा, अन्यथा नहीं।

Punishment of offences committed within India-
Every person shall be liable to punishment under this Code and not otherwise for every act or omission contrary to the provisions thereof, of which he shall be guilty within India.

भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अंतर्गत जो कोई व्यक्ति द्वारा किसी प्रकार का अपराध कारित किया गया है, यदि वह भारत के भीतर दोषी होगा तब ही वह दंडित किया जा सकता है, यदि वह किसी अन्य देश के बाहर का किसी अपराध दोषी है तो वह भारतीय दंड संहिता के अधीन अपराध का दोषी नही माना जायेगा।

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 2 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के मन में कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
धन्यवाद

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