नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 292? साथ ही हम आपको IPC की धारा 292 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 292 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में आज हम बात करेंगे धारा 292 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यदि कोई व्यक्ति किसी अश्लील पुस्तकें, कागज, रेखाचित्र, रूपण और कोई भी अश्लील वस्तु आदि की बिक्री करता है या भाड़े पर देता है, वह इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा। इस लेख के माध्यम से हम आपको दंड, जमानत कैसे मिलेगी और क्या क्या अश्लील की संज्ञा में आयेगा इत्यादि की जानकारी आप को देगें।
आईपीसी की धारा 292 के अनुसार-
अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय करना-
1) उपधारा, (2) के प्रयोजनार्थ किसी पुस्तक पुस्तिका, कागज, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, रूपण, आकृति या अन्य वस्तु को अश्लील समझा जायेगा यदि वह कामोद्दीपक है; या कामुक व्यक्तियों के लिए रुचिकर है या उसका या (जहाँ उसमें दो या अधिक सुभिन्न मदें समाविष्ट हैं वहाँ) उसकी किसी मद का प्रभाव, समग्र रूप से विचार करने पर, ऐसा है जो उन व्यक्तियों को दुराचारी तथा भ्रष्ट बनाये जिनके द्वारा उसमें अन्तर्विष्ट या सत्रिविष्ट विषय का पढ़ा जाना, देखा जाना या सुना जाना सभी सुसंगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये सम्भाव्य है।
2) जो कोई-
क) किसी अश्लील पुस्तक, पुस्तिका, कागज, रेखाचित्र, रंगचित्र, रूपण या आकृति या किसी भी अन्य अश्लील वस्तु को, चाहे वह कुछ भी हो, बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरित करेगा, लोक प्रदर्शित करेगा. या उसको किसी भी प्रकार परिचालित करेगा, या उसे विक्रय, भाड़े, वितरण, लोक-प्रदर्शन या परिचालन के प्रयोजनों के लिये रचेगा, उत्पादित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा, अथवा
ख) किसी अश्लील वस्तु का आयात या निर्यात या प्रवहण पूर्वोक्त प्रयोजनों में से किसी प्रयोजन के लिये करेगा या यह जानते हुए, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि ऐसी वस्तु बेची, भाड़े पर दी, वितरित या लोक-प्रदर्शित, या किसी प्रकार से परिचालित की जाएगी, अथवा
ग) किसी ऐसे कारोबार में भाग लेगा या उससे लाभ प्राप्त करेगा, जिस कारोबार में वह यह जानता है या यह विश्वास करने का कारण रखता है कि कोई ऐसी अश्लील वस्तुयें पूर्वोक्त प्रयोजनों में से किसी प्रयोजन के लिये रची जाती, उत्पादित की जाती, क्रय को जातीं, रखी जाती, आयात की जाती, निर्यात की जाती, प्रवहण की जातीं, लोक-प्रदर्शित की जाती या किसी भी प्रकार से परिचालित की जाती हैं, अथवा
घ) यह विज्ञापित करेगा या किन्हीं साधनों द्वारा चाहे वे कुछ भी हों, यह ज्ञात कराएगा कि कोई व्यक्ति किसी ऐसे कार्य में, जो इस धारा के अधीन अपराध है, लगा हुआ है, या लगने के लिये तैयार है, या यह कि कोई ऐसी अश्लील वस्तु किसी व्यक्ति से या किसी व्यक्ति के द्वारा प्राप्त की जा सकती है, अथवा
ङ) किसी ऐसे कार्य को, जो इस धारा के अधीन अपराध है, करने की प्रस्थापना करेगा या करने का प्रयत्न करेगा,प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा, तथा द्वितीय या पश्चात्वत्ती दोषसिद्धि की दशा में दोनों में किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो पांच जार रुपये तक का हो सकेगा दण्डित किया जाएगा।
अपवाद-इस धारा का विस्तार निम्नलिखित पर न होगा- क) कोई ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, रूपण या आकृति-
(i) जिसका प्रकाशन लोकहित में होने के कारण इस आधार पर न्यायोचित साबित हो गया है कि ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, रूपण या आकृति विज्ञान, साहित्य, कला या विद्या या सर्वजन सम्बन्धी अन्य उद्देश्यों के हित में है, अथवा
(ii) जो सद्भावपूर्वक धार्मिक प्रयोजनों के लिये रखी या उपयोग में लायी जाती है।
ख) कोई ऐसा रूपण जो-
i) प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (1958 का 24) के अर्थ में प्राचीन संस्मारक पर या उसमें, अथवा
(ii) किसी मन्दिर पर या उसमें या मूर्तियों के प्रवहण के उपयोग में लाये जाने वाले या किसी धार्मिक प्रयोजन के लिये रखे या उपयोग में लाये जाने वाले किसी रथ पर,
तक्षित, उत्कीर्ण, रंगचित्रित या अन्यथा रूपित हों।
Sale, etc. of obscene books, etc-
1) For the purposes of sub-section (2), a book, pamphlet, paper, writing, drawing, painting, representation figure or any other object shall be deemed to be obscene if it is lascivious or appeals to the prune interest or if its effect, or (where it comprises two or more distinct items) the effect of any one of its items, is, if taken as a whole, such as to tend to deprave and corrupt persons who are likely, having regard to all relevant circumstances, to read, see ur hear the matter contained or embodied in it.
2) Whoever-
a) sells, lets to hire, distributes, publicly exhibits or in any manner pun circulation, or for purposes of sale, hire, distribution, public exam circulation, makes produces or has in his possession any obscene ho pamphlet, paper, drawing, painting, representation or ligure or any obscene object whatever, or
b) imports, exports or conveys any obscene object for any of the purposes aforesaid, or knowing or having reason to believe that such object will sold let to hire, distributed or publicly exhibited or in any manner put into circulation, or
c) takes part in or receives profits from any business in the course of which he knows or has reason to believe that any such obscene objects are, for any of the purposes aforesaid, made, produced, purchased, kept, imported, exported, conveyed, publicly exhibited or in any manner put into circulation, or
d) advertises or makes known by any means whatsoever that any peron is engaged or is ready to engage in any act which is an offence under this section, or that any such obscene object can be procured from or through any person, or
(e) offers or attempts to do any act which is an offence under this section,
shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, and with fine which may extend to two thousand rupees, and in the event of a second or subsequent conviction, with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and also with fine which may extend to five thousand rupees.
Exception- This section does not extend to-
a) any book, pamphlet, paper, writing drawing, painting, representation or figure
i) the publication of which is proved to be justified as being for the public good on the ground that such book, pamphlet, paper, writing, drawing, painting, representation or figure is in the interest of science literature, art or learning or other objects of general concern, or
ii) which is kept or used bona fide for religious purposes;
b) any representation, sculptured, engraved, painted, or otherwise represented on or in-
i) any ancient monument within the meaning of the Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 (24 of 1958), or
ii) any temple, or any car used for the conveyance of idols, or kept or used for any religious purpose.
नोट:- कोई भी कार्य या वस्तु अश्लील है या नहीं इसका निर्णय लेने का अधिकार इस धारा में न्यायालय को ही है।
वह कार्य जो अश्लीलता के अपराध के अंतर्गत नहीं आते:-
किसी प्राचीन संस्मारक या पुरातात्विक अवशेष पर रेखांकित, सहित्य कलाकृति, रंगचित्र, मूर्ति,कोई भी कलाकृति आदि जिनका उद्देश्य हित मे हो वह कृत्य अश्लीलता का अपराध नहीं है।
किसी रचना जिसमें विवाहितों को अपने यौन संबंधों को विनियमित करने की गम्भीर शिक्षा दी गई हो, चाहे उसमे लैगिक संभोग की क्रिया का विस्तार का वर्णन ही क्यों न हो वह कार्य इस धारा का अपराध नहीं माना जायेगा।
लागू अपराध
अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय करना
सजा- प्रथम दोषसिद्ध होने की दशा में दो वर्ष के लिए कारावास साथ ही दो हजार रूपए का जुर्माना, साथ ही इस तरह का पुनः दोषसिद्ध होने की दशा में पांच वर्ष के लिए कारावास साथ ही पांच हजार रूपए का जुर्माना अथवा दोनो का भागीदार होगा।
इस धारा के अंतर्गत दर्ज मामले को न्यायालय निर्णय करेगी, कि व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी है या नही।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नही है।
सजा (Punishment) का प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति किसी अश्लील पुस्तक अथवा किसी अश्लील वस्तु को खरीदने बेचने का कार्य करता है या भाड़े पर देता है, अथवा वितरित करता है या उसको किसी भी प्रकार से परिचालित करता है, जबकि वह जानता है कि इससे व्यक्ति दुराचारी और भ्रष्ट बनेंगे, फिर भी ऐसा कृत्य करता है तो प्रथम बार दोषसिद्ध होने पर वह दो वर्ष के लिए कारावास और दो हजार रुपए जुर्माना पुनः फिर ऐसा कृत्य करने पर पांच वर्ष के लिए कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनो का भागीदार हो सकता है।
जमानत (Bail) का प्रावधान
यह अपराध एक जमानतीय, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। यह अपराध जमानतीय होने के कारण आसानी से जमानत मिल जाती है। इस धारा के अंतर्गत दोषी न्यायालय ही तथ्यो और आधारों के अनुसार ही दोषी व्यक्ति को इस धारा के अंतर्गत अपराधी ठहराया जाएगा।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय करना। | प्रथम दोषसिद्ध होने की दशा में दो वर्ष के लिए कारावास साथ ही दो हजार रूपए का जुर्माना, साथ ही इस तरह का पुनः दोषसिद्ध होने की दशा में पांच वर्ष के लिए कारावास साथ ही पांच हजार रूपए का जुर्माना अथवा दोनो | संज्ञेय | जमानतीय | किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 292 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी , फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है ।