नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 389 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 389 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 389 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 389 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति को, स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह अभियोग लगाने का भय दिखलायेगा या यह भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है जो मृत्यु से या आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से, दण्डनीय है, तो वह धारा 389 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 389 के अनुसार
उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति को अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना–
जो कोई उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति को, स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह अभियोग लगाने का भय दिखलायेगा या यह भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है, जो मृत्यु से या आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से, दण्डनीय है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा; तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता की धारा 377 के अधीन दण्डनीय है, तो वह आजीवन कारावास से दण्डित किया जा सकेगा।
Putting person in fear of accusation of offence, in order to commit extortion-
Whoever, in order to the committing of extortion, puts or attempts to put any person in fear of an accusation, against that person or any other, of having committed, or attempted to commit, an offence punishable with death or with imprisonment for life, or with imprisonment for a term which may extend to ten years, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine; and, if the offence be punishable under Section 377 of this Code, may be punished with imprisonment for life.
लागू अपराध
उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना।
सजा- दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना।
यदि अपराध प्रकृति विरुद्ध अपराध है।
सजा- आजीवन कारावास।
यह अपराध एक जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 389 के अंतर्गत जो कोई उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति को, स्वयं उसके विरुद्ध या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध यह अभियोग लगाने का भय दिखलायेगा या यह भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है, या करने का प्रयत्न किया है जो मृत्यु से या आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से, दण्डनीय है, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, दण्डित किया जाएगा या यदि अपराध प्रकृति विरुद्ध अपराध किया गया है, तो वह आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 389 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
उद्दापन करने के लिये किसी व्यक्ति मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना। | दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना या दोनो। | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
यदि वह अपराध, जिसकी धमकी दी गई हो, प्रकृति विरुद्ध अपराध हो। | आजीवन कारावास | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 389 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।