fbpx

आईपीसी की धारा 79 | विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य | IPC Section- 79 in hindi| Act done by a person justified, or by mistake of fact believing himself justified, by law.

IPC- 79

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 79 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 79 साथ ही हम आपको IPC की धारा 79 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 79 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 79 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यदि किसी व्यक्ति को आपराधिक दायित्व से उस परिस्थिति से मुक्ति मिलती है जहाँ वह व्यक्ति या तो किसी तर्कसंगत कार्य को करता है, या तथ्य की भूल के चलते (न की विधि की भूल के चलते) सद्भावपूर्वक यह विश्वास करता है कि उसके द्वारा किया गया कार्य कानून के अंतर्गत तर्कसंगत (Justified) है। उस दशा में उसके द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 79 इसी विषय के बारे में बतलाती है।

आईपीसी की धारा 79 के अनुसार-

विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य-

कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत हो, या तथ्य की भूल के कारण, न कि विधि की भूल के कारण, सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत है।

Act done by a person justified, or by mistake of fact believing himself justified, by law-
Nothing is an offence which is done by any person who is justified by law, or who by reason of a mistake of fact and not by reason of a mistake of law in good faith, believes himself to be justified by law, in doing it.

दृष्टान्त

क, य को ऐसा कार्य करते देखता है, जो क को हत्या प्रतीत होता है। क सद्भावपूर्वक काम में लाए गए अपने श्रेष्ठ निर्णय के अनुसार उस शक्ति को प्रयोग में लाते हुए, जो विधि ने हत्याकारियों को उस कार्य में पकड़ने के लिए, समस्त व्यक्तियों को दे रखी है, य को उचित प्राधिकारियों के समक्ष ले जाने के लिए य को अभिगृहीत करता है। क ने कोई अपराध नहीं किया है, चाहे तत्पश्चात् असल बात यह निकले कि य आत्म-प्रतिरक्षा में कार्य कर रहा था।

यह धारा 79 उस परिस्थिति की बात करती है, जहाँ व्यक्ति द्वारा कोई कार्य विधि के अंतर्गत तर्कसंगत (Justified) होने के चलते किया जाता है, तथ्य की भूल को स्वीकार करती है विधि की भूल को नहीं। विधि की भूल किसी दायित्व से नहीं करती, वह कार्य किया जाना विधि के अंतर्गत तर्कसंगत (Justified) है। दोनों ही परिस्थितियों में किया गया कृत्य कोई भी आपराधिक दायित्व का निर्माण नहीं करता है।

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 79 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment