नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 94 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 94 साथ ही हम आपको IPC की धारा 94 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 94 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 94 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। वह कार्य जिसको करने के लिए धमकियों द्वारा विवश किया गया है। (हत्या एवम् मृत्यु से दंडनीय उन अपराधों को जो राज्य के विरुद्ध है) इन्हे छोड़कर, कोई बात अपराध है, अगर किसी ने किसी कार्य को करने के किसी व्यक्ति को धमकाया है, तो वह अपराध की श्रेणी में नही आका जायेगा। यह धारा ऐसे मामलो को परिभाषित करती है, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 94 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 94 के अनुसार-
वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है-
हत्या और मृत्यु से दण्डनीय उन अपराधों को जो राज्य के विरुद्ध है, छोड़कर कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिये ऐसी धमकियों से विवश किया गया हो जिनसे उस बात को करते समय उसको युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारित हो गयी हो कि अन्यथा परिणाम यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाए, परन्तु यह तब जब कि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी ही इच्छा से या तत्काल मृत्यु से कम अपनी अपहानि की युक्तियुक्त आशंका से अपने को उस स्थिति में न डाला हो, जिसमें कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन पड़ गया है।
Act to which a person is compelled by threats-
Except murder, and offences against the State punishable with death, nothing is an offence which is done by a person who is compelled to do it by threats, which, at the time of doing it, reasonably cause the apprehension that instant death to that person will otherwise be the consequence Provided the person doing the act did not of his own accord, or from a reasonable apprehension of harm to himself short of instant death, place himself in the situation by which he became subject to such constraint.
स्पष्टीकरण 1- वह व्यक्ति, जो स्वयं अपनी इच्छा से, या पीटे जाने की धमकी के कारण डाकुओं की टोली में उनके शील को जानते हुए सम्मिलित हो जाता है, इस आधार पर ही इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार नहीं है कि वह अपने साथियों द्वारा ऐसी बात करने के लिए विवश किया गया था जो विधिना अपराध है।
स्पष्टीकरण 2 – डाकुओं की एक टोली द्वारा अभिगृहीत और तत्काल मृत्यु की धमकी द्वारा किसी बात के करने के लिए, जो विधिना अपराध है, विवश किया गया व्यक्ति, उदाहरणार्थ, एक लोहार, जो अपने औजार लेकर एक गृह का द्वार तोड़ने को विवश किया जाता है, जिससे डाकू उसमें प्रवेश कर सकें और उसे लूट सकें, इस अपवाद का फायदा उठाने के लिए हकदार है।
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 94 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।