किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-110) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 110 के अनुसार इस अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी व शक्ति सम्बंधी बदलाव करने का अधिकारी होता है, साथ ही समिति के अनुरूप भी कानून मे बदलाव किया जा सकता है, जिसे JJ Act Section-110 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 110 (Juvenile Justice Act Section-110) का विवरण
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 110 JJ Act Section-110 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) इस अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी व शक्ति सम्बंधी बदलाव करने का अधिकारी होता है, साथ ही समिति के अनुरूप भी कानून मे बदलाव किया जा सकता है।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 110 (JJ Act Section-110 in Hindi)
नियम बनाने की शक्ति-
( 1 ) राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी :
परंतु केन्द्रीय सरकार ऐसे सभी या किन्हीं विषयों की बाबत मॉडल नियम विरचित कर सकेगी, जिनके संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम बनाया जाना अपेक्षित है और जहां ऐसे मॉडल नियम किसी ऐसे विषय के संबंध में विरचित किए गए हैं, वे आवश्यक उपांतरणों सहित राज्य को तब तक लागू होंगे जब तक उस विषय के संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम नहीं बना लिए जाते हैं और ऐसे नियम ऐसे मॉडल नियमों के अनुरूप होंगे ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी विषयों या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :
(i) धारा 2 की उपधारा (14) के खंड (vii) के अधीन गुमशुदा या भागे हुए बालक, जिसके मात-पिता का पता नहीं लगाया जा सकता है, की दशा में जांच की रीति;
(ii) धारा 2 की उपधारा (18) के अधीन किसी बालगृह से सहबद्ध बाल कल्याण अधिकारी के दायित्व;
(iii) धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की अर्हताएं;
(iv) धारा 4 की उपधारा (5) के अधीन बोर्ड के सभी सदस्यों का अनुगम प्रशिक्षण और संवेदीकरण;
(v) धारा 4 की उपधारा (6) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की पदावधि और वह रीति जिसमें ऐसा सदस्य पद त्याग सकेगा;
(vi) धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन बोर्ड के अधिवेशनों का समय और उसकी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में प्रक्रिया के नियम; (vii) धारा 8 की उपधारा (3) के खंड (घ) के अधीन किसी दुभाषिए या अनुवादक की अर्हताएं, अनुभव और फीस का संदाय;
(viii) धारा 8 की उपधारा (3) के खंड (ढ) के अधीन बोर्ड का कोई और कृत्यः
(ix) वे व्यक्ति जिनके माध्यम से धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन कथित विधि विरुद्ध बालक को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकेगा और वे रीति जिसमें ऐसे बालक को किसी अन्वेषण गृह या सुरक्षित स्थान में भेजा जा सकेगा;
(x) पुलिस थाने में प्रभारी अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी ऐसे व्यक्ति के, जिसे उसके द्वारा जमानत पर छोड़ा नहीं गया है, संबंध में ऐसी रीति, जिसमें उस व्यक्ति को तब तक संप्रेक्षण गृह में रखा जाएगा जब तक कि उसे धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड के समक्ष पेश न किया जाए;
(xi) धारा 16 की उपधारा (3) के अधीन त्रैमासिक आधार पर बोर्ड द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को लंबन की सूचना देने का प्ररूप;
(xii) धारा 20 की उपधारा (2) के अधीन मॉनिटरी प्रक्रियाएं और मॉनीटरी प्राधिकारियों की सूची;
(xiii) वह रीति जिसमें बोर्ड, पुलिस या न्यायालय द्वारा धारा 24 की उपधारा (2) के अधीन बालक के सुसंगत अभिलेखों को नष्ट किया जा सकेगा;
(xiv) धारा 27 की उपधारा (5) के अधीन बाल कल्याण समिति के सदस्यों की अर्हताएं ;
(xivक) धारा 27 की उपधारा (8) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का प्ररूप;
(xv) धारा 28 की उपधारा (1) के अधीन बाल कल्याण समिति की बैठकों में कारबार का संव्यवहार करने के संबंध में नियम और प्रक्रियाएं;
(xvi) धारा 30 के खंड (भ) के अधीन परित्यक्त या खोए हुए बालकों को उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तित करने की प्रक्रिया;
(xvii) धारा 31 की उपधारा (2) के अधीन समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने की रीति और बालक को बालगृह या आश्रयगृह या ठीक सुविधा या उचित व्यक्ति को भेजने और सौंपने की रीति;
(xviii) धारा 36 की उपधारा (1) के अधीन बाल कल्याण समिति द्वारा जांच करने की रीति;
(xix) यदि बालक 6 वर्ष से कम आयु का है तो बालक को विशेषीकृत दत्तकग्रहण अभिकरण, बालगृह या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में तब तक भेजने की रीति जब तक बालक के समुचित पर्यवास के लिए उचित साधन नहीं मिल जाते हैं जिसके अंतर्गत वह रीति भी है जिसमें बालगृह में या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में रखा गया बालक भी है, की धारा 36 की उपधारा (3) के अधीन समिति द्वारा पुनर्विलोकन की रीति;
(xx) वह रीति जिसमें धारा 36 की उपधारा (4) के अधीन समिति द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को मामलों के लंबन के पुनर्विलोकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी; (xxi) धारा 37 की उपधारा (2) के खंड (iii) के अधीन समिति के अन्य कृत्यों से संबंधित कोई अन्य आदेश;
(xxii) समिति द्वारा राज्य अभिकरण और प्राधिकरण धारा 38 की उपधारा (5) के अधीन विधिक रूप से दत्तकग्रहण करने के लिए स्वतंत्र घोषित बालकों की संख्या और लंबित मामलों की संख्या के संबंध में प्रत्येक मास दी जाने वाली सूचना;
(xxiiक) धारा 40 की उपधारा (4) के अधीन प्रत्यावर्तन, मृत्यु और भाग जाने के संबंध में तिमाही रिपोर्ट का प्ररूपः
(xxiii) इस अधिनियम के अधीन सभी संस्थाओं को धारा 41 की उपधारा (1) के अधीन रजिस्ट्रीकृत करने की रीति;
(xxiv) कोई संस्था जो धारा 41 की उपधारा (7) के अधीन पुनर्वास और पुनः एकीकरण सेवाएं प्रदान करने में असफल रहती है, के रजिस्ट्रीकरण को रद्द करने या प्रतिसंहृत करने की प्रक्रिया;
(xxv) धारा 43 की उपधारा (3) के अधीन खुले आश्रय द्वारा जिला बाल संरक्षण एकक को प्रतिमास सूचना भेजने की रीति;
(xxvi) धारा 44 की उपधारा (1) के अधीन बालकों को पोषण देखरेख, जिसके अंतर्गत समूह पोषण देखरेख भी है, में रखने की रीति;
(xxvii) धारा 44 के उपधारा (4) के अधीन पोषण देखरेख में बालकों के निरीक्षण की प्रक्रिया;
(xxviii) धारा 44 की उपधारा (6) के अधीन पोषण कुटुंब द्वारा बालक को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण प्रदान करने की रीति;
(xxix) धारा 44 की उपधारा (7) के अधीन बालक को पोषण देखरेख सेवाओं को प्रदान करने की प्रक्रिया और मानदंड ;
(xxx) बालकों की भलाई का पता लगाने के लिए समिति द्वारा धारा 44 की उपधारा (8) के कुपोषित परिवारों के निरीक्षण का प्रपत्र;
(xxxi) धारा 45 की उपधारा (1) के अधीन बालकों की प्रायोजकता के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे व्यष्टि से व्यष्टि प्रायोजकता, समूह प्रायोजकता या सामुदायिक प्रायोजकता को हाथ में लेने का प्रयोजन;
(xxxii) धारा 45 की उपधारा (3) के अधीन प्रायोजकता की अवधि;
(xxxiii) धारा 46 के अधीन 18 वर्ष की आयु पूरा करने वाले, संस्था की देखरेख छोड़ने वाले किसी बालक को वित्तीय सहायता प्रदान करने की रीति;
(xxxiv) संप्रेक्षण गृहों का प्रबंधन और मॉनीटरी जिसके अंतर्गत मानक और उनके विधि विरुद्ध कथित किसी बालक के पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण के लिए उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सेवाएं और वे परिस्थितियां भी हैं जिनके अधीन और वह रीति जिसमें धारा 47 की उपधारा (3) के अधीन किसी संप्रेक्षण गृह को रजिस्ट्रीकरण प्रदान किया जा सकेगा या प्रतिसंहृत किया जा सकेगा;
(xxxv) विशेष गृहों का प्रबंधन और मॉनीटरी जिसके अंतर्गत धारा 48 की उपधारा (2) और उपधारा (3) के अधीन मानक और उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न प्रकार की सेवाएं भी हैं;
(xxxvi) बालक गृहों की मॉनीटरी और प्रबंधन जिसके अंतर्गत मानक और उनके द्वारा धारा 50 की उपधारा (3) के अधीन प्रत्येक बालक के लिए व्यष्टिक देखरेख योजनाओं पर आधारित उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की प्रकृति है;
(xxxvii) बोर्ड या समिति द्वारा तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत, चलाए जा रहे सरकारी संगठन या स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन को, जो अस्थायी रूप से बालक के विशिष्ट प्रयोजन के लिए सुविधा और संगठन की बालक की देखरेख के संबंध में उपयुक्तता के संबंध में सम्यक् जांच के पश्चात् धारा 51 की उपधारा (1) के अधीन मान्यता प्रदान करने की रीति;
(xxxviii) अस्थायी रूप से किसी बालक को देखरेख, संरक्षण और उपचार के लिए ऐसे बालक को विनिर्दिष्ट अवधि के लिए प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को योग्य के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए बोर्ड या समिति द्वारा धारा 52 की उपधारा (1) के अधीन प्रत्यय पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया;
(xxxix ) इस अधिनियम के अधीन बालकों के पुनर्वास और पुनः एकीकरण के लिए आधारभूत अपेक्षाओं जैसे खाद्य, आश्रय, वस्त्र और चिकित्सा की सुविधाओं का किसी संस्था द्वारा धारा 53 की उपधारा (1) के अधीन उपबंध करने की रीति;
(xl) संस्थान के प्रबंधन और प्रत्येक बालक की प्रगति की मॉनीटरी करने के लिए धारा 53 की उपधारा (2) के अधीन प्रत्येक संस्थान द्वारा प्रबंधन समिति स्थापित करने की रीति;
(xli) धारा 53 की उपधारा (3) के अधीन बाल समितियों द्वारा किए जा सकने वाले कार्यकलाप;
(xlii) राज्य और जिले के लिए रजिस्ट्रीकृत या उपयोगी के रूप में मान्यता प्रदान की गई सभी संस्थाओं के लिए धारा 54 की उपधारा (1) के अधीन निरीक्षण समितियों की नियुक्ति;
(xliii) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा धारा 55 की उपधारा (1) के अधीन स्वतंत्र रूप से बोर्ड, समिति, विशेष किशोर पुलिस एककों, रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं या मान्यता प्राप्त उपयोगी संस्थाओं और व्यक्तियों के कार्यकरण के मूल्यांकन की रीति जिसके अंतर्गत व्यक्ति या संस्थाएं भी हैं;
(xliv) संस्थाओं द्वारा धारा 66 की उपधारा (2) के अधीन विशेषीकृत दत्तकग्रहण अभिकरण को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित किए गए बालकों के ब्यौरे प्रस्तुत करने की रीति;
(xlv) धारा 68 के खंड (ङ) के अधीन प्राधिकरण के अन्य कृत्य;
(xlvi) धारा 69 की उपधारा (2) के अधीन प्राधिकरण की संचालन समिति के सदस्यों के चयन या नामनिर्देशन का मानदंड और उनकी पदावधि के साथ उनकी नियुक्ति के निबंधन और शर्तें;
(xlvii) धारा 69 की उपधारा (4) के अधीन प्राधिकरण की संचालन समिति की बैठकों की रीति;
(xlviii) प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय सरकार को धारा 71 की उपधारा (1) के अधीन वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की रीति;
(xlix) धारा 72 की उपधारा (2) के अधीन प्राधिकरण के कृत्य;
(l) प्राधिकरण द्वारा उचित लेखे और सुसंगत दस्तावेज रखने की रीति और धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन लेखाओं के वार्षिक विवरण का त्याग किया जाना;
(li) समिति या बोर्ड द्वारा, बालकों के जो ऐसे रोग से ग्रस्त हैं जिसके लिए लंबे चिकित्सा उपचार या जिन्हें शारीरिक या मानसिक रोग है, जिसका उपचार किसी उपयोगी तंत्र सुविधा में होगा, के उपचार के लिए धारा 92 के अधीन आवश्यक समझी जाने वाली अवधि:
(lii) धारा 95 की उपधारा (1) के अधीन किसी बालक को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया
(liii) धारा 95 की उपधारा (3) के अधीन बालक के अनुरक्षक कर्मचारिवृंद को यात्रा भनेका उपबंध;
(liv) धारा 103 की उपधारा (1) के अधीन समिति या किसी बोर्ड द्वारा कोई जांच, अपील या पुनरीक्षण करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया;
(lv) धारा 105 की उपधारा (3) के अधीन किशोर न्याय निधि को प्रशासित करने की रीति;
(lvi) धारा 106 के अधीन राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी और प्रत्येक जिले के लिए बाल संरक्षण एककों का कार्यकरण;
(lvii) यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग अथवा राज्य आयोग, को धारा 109 की उपधारा (1) के अधीन इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन को मॉनीटर करने के लिए समर्थन बनाने हेतु;
(lviii) ऐसा कोई अन्य विषय, जिसे विहित करना अपेक्षित है या जो विहित किया जाए ।
(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम और प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभावी हो जाएगा । किन्तु नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभावी होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
(4) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा।
Juvenile Justice Act Section-110 (JJ Act Section-110 in English)
Power to make rules-
In this Act, unless the context otherwise requires,–
(1) “abandoned child” means a child deserted by his biological or adoptive parents or guardians, who has been declared as abandoned by the Committee after due inquiry;
(2) “adoption” means the process through which the adopted child is permanently separated from his biological parents and becomes the lawful child of his adoptive parents with all the rights, privileges and responsibilities that are attached to a biological child;
(3) “adoption regulations” means the regulations framed by the Authority and notified by the Central Government in respect of adoption;
[* * * * *]
(5) “aftercare” means making provision of support, financial or otherwise, to persons, who have completed the age of eighteen years but have not completed the age of twenty-one years, and have left any institutional care to join the mainstream of the society;
(6) “authorised foreign adoption agency” means a foreign social or child welfare agency that is authorised by the Central Adoption Resource Authority on the recommendation of their Central Authority or Government department of that country for sponsoring the application of non-resident Indian or overseas citizen of India or persons of Indian origin or foreign prospective adoptive parents for adoption of a child from India;
(7) “Authority” means the Central Adoption Resource Authority constituted under section 68; (8) “begging” means–
(i) soliciting or receiving alms in a public place or entering into any private premises for the purpose of soliciting or receiving alms, under any pretence;
(ii) exposing or exhibiting with the object of obtaining or extorting alms, any sore, wound, injury, deformity or disease, whether of himself or of any other person or of an animal;
(9) “best interest of child” means the basis for any decision taken regarding the child, to ensure fulfilment of his basic rights and needs, identity, social well-being and physical, emotional and intellectual development;
(10) “Board” means a Juvenile Justice Board constituted under section 4;
(11) “Central Authority” means the Government department recognised as such under the Hague Convention on Protection of Children and Cooperation in Inter-country Adoption (1993);
(12) “child” means a person who has not completed eighteen years of age;
(13) “child in conflict with law” means a child who is alleged or found to have committed an offence and who has not completed eighteen years of age on the date of commission of such offence;
(14) “child in need of care and protection” means a child–
(i) who is found without any home or settled place of abode and without any ostensible means of subsistence; or (ii) who is found working in contravention of 2[the provisions of this Act or] labour laws for the time being in force or is found begging, or living on the street; or
(iii) who resides with a person (whether a guardian of the child or not) and such person–
(a) has injured, exploited, abused or neglected the child or has violated any other law for the time being in force meant for the protection of child; or
(b) has threatened to kill, injure, exploit or abuse the child and there is a reasonable likelihood of the threat being carried out; or
(c) has killed, abused, neglected or exploited some other child or children and there is a reasonable likelihood of the child in question being killed, abused, exploited or neglected by that person; or
(iv) who is mentally ill or mentally or physically challenged or suffering from terminal or incurable disease, having no one to support or look after or having parents or guardians unfit to take care, if found so by the Board or the Committee; or
(v) who has a parent or guardian and such parent or guardian is found to be unfit or incapacitated, by the Committee or the Board, to care for and protect the safety and well-being of the child; or 3[(vi) who does not have parents and no one is willing to take care of and protect or who is abandoned or surrendered;]
(vii) who is missing or run away child, or whose parents cannot be found after making reasonable inquiry in such manner as may be prescribed; or
(viii) who has been or is being or is likely to be abused, tortured or exploited for the purpose of sexual abuse or illegal acts; or
(ix) who is found vulnerable and 4[has been or is being or is likely to be] inducted into drug abuse or trafficking; or
(x) who is being or is likely to be abused for unconscionable gains; or
(xi) who is victim of or affected by any armed conflict, civil unrest or natural calamity; or
(xii) who is at imminent risk of marriage before attaining the age of marriage and whose parents, family members, guardian and any other persons are likely to be responsible for solemnisation of such marriage;
(15) “child friendly” means any behaviour, conduct, practice, process, attitude, environment or treatment that is humane, considerate and in the best interest of the child;
(16) “child legally free for adoption” means a child declared as such by the Committee after making due inquiry under section 38;
(17) “Child Welfare Officer” means an officer attached to a 5[child care institution], for carrying out the directions given by the Committee or, as the case may be, the Board with such responsibility as may be prescribed;
(18) “Child Welfare Police Officer” means an officer designated as such under sub-section (1) of section 107;
(19) “Children’s Home” means a Children’s Home, established or maintained, in every district or group of districts, by the State Government, either by itself, or through a voluntary or non-governmental organisation, and is registered as such for the purposes specified in section 50;
(20) “Children’s Court” means a court established under the Commissions for Protection of Child Rights Act, 2005 (4 of 2006) or a Special Court under the Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 (32 of 2012), wherever existing and where such courts have not been designated, the Court of Sessions having jurisdiction to try offences under the Act;
(21) “child care institution” means Children Home, open shelter, observation home, special home, place of safety, Specialised Adoption Agency and a fit facility recognised under this Act for providing care and protection to children, who are in need of such services;
(22) “Committee” means Child Welfare Committee constituted under section 27;
(23) “court” means a civil court, which has jurisdiction in matters of adoption and guardianship and may include the District Court, Family Court and City Civil Courts;
(24) “corporal punishment” means the subjecting of a child by any person to physical punishment that involves the deliberate infliction of pain as retribution for an offence, or for the purpose of disciplining or reforming the child;
(25) “childline services” means a twenty-four hours emergency outreach service for children in crisis which links them to emergency or long-term care and rehabilitation service;
(26) “District Child Protection Unit” means a Child Protection Unit for a District, established by the State Government under section 106, 6[which shall function under the supervision of the District Magistrate] to ensure the implementation of this Act and other child protection measures in the district; 7[(26-A) “District Magistrate” includes Additional District Magistrate of the District;]
(27) “fit facility” means a facility being run by a governmental organisation or a registered voluntary or non-governmental organisation, prepared to temporarily own the responsibility of a particular child for a specific purpose, and such facility is recognised as fit for the said purpose, by the Committee, as the case may be, or the Board, under sub-section (1) of section 51;
(28) “fit person” means any person, prepared to own the responsibility of a child, for a specific purpose, and such person is identified after inquiry made in this behalf and recognised as fit for the said purpose, by the Committee or, as the case may be, the Board, to receive and take care of the child;
(29) “foster care” means placement of a child, by the Committee for the purpose of alternate care in the domestic environment of a family, other than the child’s biological family, that has been selected, qualified, approved and supervised for providing such care;
(30) “foster family” means a family found suitable by the District Child Protection Unit to keep children in foster care under section 44;
(31) “guardian” in relation to a child, means his natural guardian or any other person having, in the opinion of the Committee or, as the case may be, the Board, the actual charge of the child, and recognised by the Committee or, as the case may be, the Board as a guardian in the course of proceedings;
(32) “group foster care” means a family like care facility for children in need of care and protection who are without parental care, aiming on providing personalised care and fostering a sense of belonging and identity, through family like and community based solutions;
(33) “heinous offences” includes the offences for which the minimum punishment under the Indian Penal Code (45 of 1860) or any other law for the time being in force is imprisonment for seven years or more;
(34) “inter-country adoption” means adoption of a child from India by non-resident Indian or by a person of Indian origin or by a foreigner;
(35) “juvenile” means a child below the age of eighteen years;
(36) “narcotic drug” and “psychotropic substance” shall have the meanings, respectively, assigned to them in the Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 (61 of 1985);
(37) “no objection certificate” for inter-country adoption means a certificate issued by the Central Adoption Resource Authority for the said purpose;
(38) “non-resident Indian” means a person who holds an Indian passport and is presently residing abroad for more than one year;
(39) “notification” means the notification published in the Official Gazette of India, or as the case may be, in the Gazette of a State, and the expression “notify” shall be construed accordingly;
(40) “observation home” means an observation home established and maintained in every district or group of districts by a State Government, either by itself, or through a voluntary or non-governmental organisation, and is registered as such, for the purposes specified in sub-section (1) of section 47;
(41) “open shelter” means a facility for children, established and maintained by the State Government, either by itself, or through a voluntary or non-governmental organisation under sub-section (1) of section 43, and registered as such, for the purposes specified in that section;
(42) “orphan” means a child–
(i) who is without biological or adoptive parents or legal guardian; or
(ii) whose legal guardian is not willing to take, or capable of taking care of the child;
(43) “overseas citizen of India” means a person registered as such under the Citizenship Act, 1955 (57 of 1955);
(44) “person of Indian origin” means a person, any of whose lineal ancestors is or was an Indian national, and who is presently holding a Person of Indian Origin Card issued by the Central Government;
(45) “petty offences” includes the offences for which the maximum punishment under the Indian Penal Code (45 of 1860) or any other law for the time being in force is imprisonment up to three years;
(46) “place of safety” means any place or institution, not being a police lockup or jail, established separately or attached to an observation home or a special home, as the case may be, 8[***] to receive and take care of the children alleged or found to be in conflict with law, by an order of the Board or the Children’s Court, both during inquiry and ongoing rehabilitation after having been found guilty for a period and purpose as specified in the order;
(47) “prescribed” means prescribed by rules made under this Act;
(48) “probation officer” means an officer appointed by the State Government as a probation officer under the Probation of Offenders Act, 1958 (20 of 1958) or the Legal-cum-Probation Officer appointed by the State Government under District Child Protection Unit;
(49) “prospective adoptive parents” means a person or persons eligible to adopt a child as per the provisions of section 57;
(50) “public place” shall have the same meaning assigned to it in the Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956 (104 of 1956);
(51) “registered”, with reference to child care institutions or agencies or facilities managed by the State Government, or a voluntary or non-governmental organisation, means observation homes, special homes, place of safety, children’s homes, open shelters or Specialised Adoption Agency or fit facility or any other institution that may come up in response to a particular need or agencies or facilities authorised and registered under section 41, for providing residential care to children, on a short-term or long-term basis;
(52) “relative”, in relation to a child for the purpose of adoption under this Act, means a paternal uncle or aunt, or a maternal uncle or aunt, or paternal grandparent or maternal grandparent;
(53) “State Agency” means the State Adoption Resource Agency set up by the State Government for dealing with adoption and related matters under section 67;
[(54) “serious offences” includes the offences for which the punishment under the Indian Penal Code (45 of 1860) or any other law for the time being in force, is,–
(a) minimum imprisonment for a term more than three years and not exceeding seven years; or
(b) maximum imprisonment for a term more than seven years but no minimum imprisonment or minimum imprisonment of less than seven years is provided.]
(55) “special juvenile police unit” means a unit of the police force of a district or city or, as the case may be, any other police unit like railway police, dealing with children and designated as such for handling children under section 107;
(56) “special home” means an institution established by a State Government or by a voluntary or non-governmental organisation, registered under section 48, for housing and providing rehabilitative services to children in conflict with law, who are found, through inquiry, to have committed an offence and are sent to such institution by an order of the Board;
(57) “Specialised Adoption Agency” means an institution established by the State Government or by a voluntary or non-governmental organisation and recognised under section 65, for housing orphans, abandoned and surrendered children, placed there by order of the Committee, for the purpose of adoption;
(58) “sponsorship” means provision of supplementary support, financial or otherwise, to the families to meet the medical, educational and developmental needs of the child;
(59) “State Government”, in relation to a Union territory, means the Administrator of that Union territory appointed by the President under article 239 of the Constitution;
(60) “surrendered child” means a child, who is relinquished by the parent or guardian to the Committee, on account of physical, emotional and social factors beyond their control, and declared as such by the Committee;
(61) all words and expressions used but not defined in this Act and defined in other Acts shall have the meanings respectively assigned to them in those Acts.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 110 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।