हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत हमारे हिन्दू समाज मे हिन्दू विवाह को पवित्र सम्बन्ध माना गया है किन्तु कई विवाह हमारे रीति-रिवाजो के विपरीत हो जाते है, जिन्हे हिन्दू विवाह की धारा-11 एवंम् 12 के अन्तर्गत आमान्य घोषित किया गया है । इन्ही विवाहो को शून्य विवाह एवंम् शून्यकरणीय विवाह कहते है ।