किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act) की धारा -9 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा-9 मे मजिस्ट्रेट व्दारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया जिसे इस अधिनियम की अधीन सशक्त नही किया गया है, परिभाषित किया गया है।
ऐसे मजिस्ट्रेट, व्दारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया जिसे इस अधिनियम के अधीन सशक्त नही किया गया है- (1) जब किसी मजिस्ट्रेट की जो इस अधिनियम के अधीन बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सशक्त नहीं है, यह राय है कि वह व्यक्ति जिसके बारे में यह अभिकथन किया गया है कि उसने अपराध किया है, और उसके समक्ष लाया गया है, कोई बालक है तो वह ऐसी राय को अविलंब अभिलेखबद्ध करेगा और उस बालक को तत्काल ऐसी कार्यवाही के अभिलेख के साथ कार्यवाहियों पर अधिकारिता रखने वाले बोर्ड को भेजेगा। (2) यदि वह व्यक्ति, जिसके बारे में यह अभिकथन किया गया है कि उसने अपराध किया है, बोर्ड से भिन्न किसी न्यायालय के समक्ष यह दावा करना है कि वह व्यक्ति बालक है या अपराध के किए जाने की तारीख को बालक था, या यदि न्यायालय की स्वयं यह राय है कि वह व्यक्ति अपराध के किए जाने की तारीख को बालक था, तो उक्त न्यायालय उस व्यक्ति की आयु की अवधारणा करने के लिए ऐसी जांच करेगा, ऐसा साक्ष्य लेगा जो आवश्यक हो (किन्तु शपथपत्र नहीं) और उस व्यक्ति की यथासंभव निकटतम आयु का कथन करते हुए मामले के निष्कर्ष अभिलिखित करेगा: परन्तु ऐसा कोई दावा किसी न्यायालय के समक्ष किया जा सकेगा और उसको किसी भी प्रक्रम पर मामले का अंतिम निपटारा हो जाने के पश्चात् भी, स्वीकार किया जाएगा और उस दावे का अवधारण इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों में अन्तर्विष्ट उपबंधों के अनुसार किया जाएगा, भले ही वह व्यक्ति इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख को या उससे पूर्व बालक न रह गया हो। (3) यदि न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि किस व्यक्ति ने अपराध किया है और वह ऐसे अपराध के किए जाने की तारीख को बालक था, तो वह उस बालक को बोर्ड के पास, समुचित आदेश पारित करने के लिए भेजेगा और न्यायालय द्वारा पारित दंडादेश के, यदि कोई हो, बारे में यह समझा जाएगा कि उसका कोई प्रभाव नहीं है। (4) यदि इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति को, जब उस व्यक्ति के बालक होने के दावे की जांच की जा रही है, संरक्षात्मक अभिरक्षा में रखा जाना अपेक्षित है, तो उस व्यक्ति को उस अंतःकालीन अवधि में सुरक्षित स्थान में रखा जा सकेगा। Procedure to be followed by a Magistrate not empowered under this Act- (1) When a Magistrate not empowered to exercise the powers of the Board under this Act is of opinion that the person alleged to have committed an offense is, and is brought before child, he shall record such opinion without delay and forward the child forthwith to the Board having jurisdiction over the proceedings along with the record of such proceedings. (2) If the person alleged to have committed the offense claims before any court other than the Board that the person is a child or was a child at the date of the commission of the offence, or if If the Court is of its own opinion that the person was a child on the date of the commission of the offence, the said Court shall make such inquiry as may be necessary to ascertain the age of the person, take such evidence (but not affidavit) as may be necessary, and shall record the findings of the case stating the age as near as possible: Provided that any such claim may be preferred before any court and shall be admitted at any stage notwithstanding the final disposal of the case and the claim shall be determined in accordance with the provisions contained in this Act and the rules made thereunder. notwithstanding that such person has ceased to be a child on or before the date of commencement of this Act. (3) If the Court finds that a person has committed an offense and was a child on the date of the commission of such offence, it shall refer the child to the Board for passing appropriate orders and the sentence passed by the Court shall, if any, be deemed to have no effect. (4) If any person is required under this section to be kept in protective custody while the claim of that person to be a child is being investigated, that person may be kept in a place of safety during that interim period.
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