भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 145 | Indian Contract Act Section 145

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-145) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 145 के अनुसार प्रत्याभूति की हर संविदा में प्रतिभू की क्षतिपूर्ति किए जाने का मूलऋणी का विवक्षित वचन रहता है, और प्रतिभू किसी भी धनराशि को जो उसने प्रत्याभूति के अधीन अधिकारपूर्वक दी हो, मूलऋणी से वसूल करने का हकदार है, किन्तु उन धनराशियों को नहीं जो उसने अनधिकारपूर्वक दी हों, जिसे IC Act Section-145 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 145 (Indian Contract Act Section-145) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 145 IC Act Section-145 के अनुसार प्रत्याभूति की हर संविदा में प्रतिभू की क्षतिपूर्ति किए जाने का मूलऋणी का विवक्षित वचन रहता है, और प्रतिभू किसी भी धनराशि को जो उसने प्रत्याभूति के अधीन अधिकारपूर्वक दी हो, मूलऋणी से वसूल करने का हकदार है, किन्तु उन धनराशियों को नहीं जो उसने अनधिकारपूर्वक दी हों।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 145 (IC Act Section-145 in Hindi)

प्रतिभू की क्षतिपूर्ति करने का विवक्षित वचन-

प्रत्याभूति की हर संविदा में प्रतिभू की क्षतिपूर्ति किए जाने का मूलऋणी का विवक्षित वचन रहता है, और प्रतिभू किसी भी धनराशि को जो उसने प्रत्याभूति के अधीन अधिकारपूर्वक दी हो, मूलऋणी से वसूल करने का हकदार है, किन्तु उन धनराशियों को नहीं जो उसने अनधिकारपूर्वक दी हों।
दृष्टांत
(क) ग का ख ऋणी है और क उस ऋण के लिए प्रतिभू है । ग संदाय की मांग क से करता है और उसके इन्कार करने पर उस रकम के लिए उस पर वाद लाता है। प्रतिरक्षा के लिए युक्तियुक्त आधार होने से क बाद में प्रतिरक्षा करता है, किन्तु वह ऋण की रकम को खर्च समेत संदत्त करने के लिए विवश किया जाता है। वह मूल ऋण तथा अपने द्वारा दी गई बर्चे की रकम को भीख से वसूल कर सकता है।
(ख) ख को ग कुछ धन उधार देता है, और ख की प्रार्थना पर क, उस रकम को प्रतिभूत करने के लिए ख द्वारा क के ऊपर लिखे गए विनिमय-पत्र को प्रतिगृहीत करता है। विनिमय-पत्र का धारक ग उसके संदाय की मांग क से करता है और क के इन्कार करने पर उसके विरुद्ध उस विनिमय-पत्र पर वाद लाता है । क प्रतिरक्षा करने के लिए युक्तियुक्त आधार न रखते हुए बाद में प्रतिरक्षा करता है. और उसे उस विनिमय-पत्र की रकम और खर्चा देना पड़ता है। वह विनिमय-पत्र की रकम ख से वसूल कर सकता है किन्तु खर्च के लिए दी गई राशि वसूल नहीं कर सकता, क्योंकि उस अनुयोग में प्रतिरक्षा करने के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं था।
(ग) ग द्वारा ख को प्रदाय किए जाने वाले चावल के लिए, क 2,000 रुपए तक का संदाय प्रत्याभूत करता है । ख को ग 2,000 रुपए से कम की रकम का चावल प्रदाय करता है, किन्तु प्रदाय किए गए चावल के लिए क से 2,000 रुपए की राशि का संदाय अभिप्राप्त कर लेता है । क वास्तव में प्रदाय किए गए चावल की कीमत से अधिक ख से वसूल नहीं कर सकता।

Indian Contract Act Section-145 (IC Act Section-145 in English)

Implied promise to indemnify surety-

In every contract of guarantee there is an implied promise by the principal debtor to indemnify the surety, and the surety is entitled to recover from the principal debtor whatever sum he has rightfully paid under the guarantee, but, no sums which he has paid wrongfully.
Illustrations
(a) B is indebted to C, and A is surety for the debt. C demands payment from A, and on his refusal sues him for the amount. A defends the suit, having reasonable grounds for doing so, but is compelled to pay the amount of the debt with costs. He can recover from B the amount paid by him for costs, as well as the principal debt.
(b) C lends B a sum of money, and A, at the request of B, accepts a bill of exchange drawn by B upon A to secure the amount. C, the holder of the bill, demands payment of it from A, and, on A‟s refusal to pay, sues him upon the bill. A, not having reasonable grounds for so doing, defends the suit, and has to pay the amount of the bill and costs. He can recover from B the amount of the bill, but not the sum paid for costs, as there was no real ground for defending the action.
(c) A guarantees to C, to the extent of 2,000 rupees, payment for rice to be supplied by C to B. C supplies to B rice to a less amount than 2,000 rupees, but obtains from A payment of the sum of 2,000 rupees in respect of the rice supplied. A cannot recover from B more than the price of the rice actually supplied.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 145 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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