अधिवक्ता का अर्थ
जज का अर्थ
अधिवक्ता और जज मे सम्बन्ध
अधिवक्ता का न्यायालय के प्रति कर्तव्य
- एक अधिवक्ता ऐसे औपचारिक अवसरों को छोड़कर और बार काउंसिल ऑफ इंडिया या कोर्ट में निर्धारित किए गए ऐसे स्थानों को छोड़कर अन्य स्थान पर सार्वजनिक रूप से बैंड या गाउन नहीं पहन सकता है।
- किसी भी गैरकानूनी या अनुचित साधनों से अदालत के फैसले को प्रभावित न करना और अदालत के फैसले को प्रभाव से मुक्त करने का कर्तव्य है।
- एक अधिवक्ता किसी भी कानूनी कार्यवाही के उद्देश्य के लिए अपने ग्राहक के लिए किसी भी जमानत या जमानत के रूप में प्रमाणित नहीं होगा।
- अदालतों और कानूनी व्यवस्था के प्रति सम्मानजनक रवैया बनाए रखना।
- एक वकील स्वयं का सम्मान और स्वाभिमान के साथ आचरण करेगा।
- अदालत में पेश होने से पहले एक वकील को एक निर्धारित रूप में कपड़े पहनने चाहिए।
- अधिवक्ता न्यायालय मे न्याय के लिये ही लड़ेगा, यदि अधिवक्ता को ज्ञात हो जाता है कि वादी झूठ बोल रहा है तो वादी का वाद नही लेंगे ।
जज का न्यायालय के प्रति कर्तव्य
- न्यायाधीश, न्याय के प्रति कानून का सम्मान करेगा और अदालत मे पेश होने से पहले निर्धारित रूप मे कपड़े पहनने चाहिये ।
- गुणवत्तायुक्त न्याय देना जज का पहला कर्तव्य है। जज का कार्य संविधान और कानून के नियम के तहत काम करना है। उन्हें संविधान में निहित बातों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। फैसला ऐसा होना चाहिए कि न्याय पर समाज को गर्व हो।
- न्यायाधीश, न्यायालय की अध्यक्षता करता है और उनकी अध्यक्षता की कार्यप्रणाली के अन्तर्गत न्याय पालिका को निष्पक्ष बनाये ।
- न्यायाधीश का मुख्य कार्य न्यायालय मे शान्ति एवंम् न्यायसंगत बनाये रखे, जिससे न्यायालय की गरिमा बढ़ेगी।
- न्यायाधीश कर्तव्यनिष्ठा और न्यायप्रिय होना आवश्यक है, तभी सही न्याय कर सकेंगे ।
न्यायालय मे अधिवक्ता और जज की कार्यप्रणाली
- न्यायालय मे अधिवक्ता और जज की कार्यप्रणाली एक-दूसरे के पूरक होती है, क्योकि वकील ही अपराधी के अपराध को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करता है जिससे कि न्यायाधीश जान पाते है ।
- न्यायालय मे अधिवक्ता और जज दोनो ही न्याय दिलाने के लिये ही जाने जाते है, इसलिये हम दोनो को न्यायमूर्ति कह सकते है ।
- न्यायालय मे जब कोई अपराधी कोई अपराध करके आता है तो सबसे पहले वकील ही सिद्ध करता है कि वह दोषी है या नही इसके पश्चात् ही न्यायाधीश अपना निर्णय सुनाते है ।
- सही निर्णय लेने और सही निर्णय प्रदान करने के लिये दोनो दायित्व होगें ।
- कोर्ट परिसर मे दोनो ही आपसी व्यवहार एवंम् व्यवसाय का प्रवधान नही होगा ।
- जज ही अपने न्यायिक निर्णयों के आधार पर आगे की कार्यवाही वकील के पूरक ही कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है। इसलिये ही न्याय दोनो के न्यायविवेक के आधार पर मिलता है ।
- कोर्ट परिसर मे अधिवक्ता एवंम् जज मे न्यायसंगत होना आवश्यक होगा । तभी न्यायिक प्रकृिया संविधना के अनुसार ही लागू होगा ।
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