कंपनी अधिनियम की धारा 4| Companies Act Section 4

कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-4 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 4 के अनुसार कंपनी को बनाने के लिये क्या क्या आवश्यक है, और समस्त हिस्सेदार/शेयरधारक के कार्य, पूजीं नियम एवंम् शर्तो का विस्तृत उल्लेख, जिसे कंपनी मेमोरेन्डम कहा जाता है, उसका निर्माण एवंम् वहन इत्यादि, Companies Act Section-4 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

कंपनी अधिनियम की धारा 4 (Companies Act Section-4) का विवरण

कंपनी अधिनियम की धारा 4 Companies Act Section-4 के अनुसार कंपनी को बनाने के लिये क्या क्या आवश्यक है, और समस्त हिस्सेदार/शेयरधारक के कार्य, पूजीं नियम एवंम् शर्तो का विस्तृत उल्लेख, जिसे कंपनी मेमोरेन्डम कहा जाता है, उसका निर्माण एवंम् वहन कौन और कैसे करेगा, यह समस्त जानकारी कंपनी के मेमोरेन्डम मे उपलब्ध करायी जाती है।

कंपनी अधिनियम की धारा 4 (Companies Act Section-4 in Hindi)

ज्ञापन

(1) किसी कंपनी के ज्ञापन में निम्नलिखित का कथन होगा

(क) किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी की दशा में, “लिमिटेड” अंतिम शब्द के साथ या किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की दशा में “प्राइवेट लिमिटेड” अंतिम शब्दों के साथ कंपनी का नाम :

परंतु इस खंड की कोई बात धारा 8 के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी कंपनी को लागू नहीं होगी;

(ख) वह राज्य, जिसमें कंपनी का रजिस्ट्रीकृत कार्यालय स्थित किया जाना है;

(ग) ऐसे उद्देश्य, जिनके लिए कंपनी को निगमित किए जाने का प्रस्ताव है और ऐसा कोई विषय, जो उनको अग्रसर करने में आवश्यक समझा जाए:

(घ) कंपनी के सदस्यों का दायित्व, चाहे परिसीमित या अपरिसीमित हो और उसमें निम्नलिखित का भी कथन होगा

(i) शेयरों द्वारा परिसीमित कंपनी की दशा में, उसके सदस्यों का वह दायित्व उनके द्वारा धारित शेयरों के संबंध में असंदत्त रकम तक, यदि कोई हो, सीमित है;

(ii) प्रत्याभूति द्वारा परिसीमित कंपनी की दशा में, वह रकम, जिस तक प्रत्येक सदस्य निम्नलिखित के लिए अभिदाय करने का वचन देता है

(अ) उसके सदस्य रहते हुए या उसके सदस्य न रहने के पश्चात् एक वर्ष के भीतर कंपनी के परिसमापन की दशा में, कंपनी की आस्तियों में, यथास्थिति, कंपनी के ऋणों और दायित्वों के संदाय के लिए या ऐसे ऋणों और दायित्वों के संदाय के लिए, जिनके लिए उसके सदस्य न रहने के पूर्व संविदा की गई हो; और

(आ) परिसमापन की लागतों, प्रभारों और व्यय तथा अभिदायियों के बीच उनके अधिकारों के समायोजन के लिए;

(ङ) शेयर पूंजी वाली किसी कंपनी की दशा में,

(i) शेयर पूंजी की वह रकम, जिसके साथ कंपनी को रजिस्ट्रीकृत किया जाना है और नियत रकम के शेयरों में उसका विभाजन तथा ऐसे शेयरों की संख्या, जिनके लिए ज्ञापन के अभिदाता, अभिदाय करने की सहमति देते हैं, जो एक शेयर से अन्यून नहीं होगी; और

(ii) ऐसे शेयरों की संख्या, जो ज्ञापन का प्रत्येक अभिदाता लेने का आशय रखता है, जो उसके नाम के सामने उपदर्शित है; .

(च) एक व्यक्ति कंपनी की दशा में, उस व्यक्ति का नाम, जो अभिदाता की मृत्यु की दशा में कंपनी का सदस्य बनेगा।

(2) ज्ञापन में कथित नाम,

(क) इस अधिनियम या किसी पूर्व कंपनी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी विद्यमान कंपनी के नाम के समान या उसके अतिसदृश नहीं होगा; या (ख) ऐसा होगा कि कंपनी द्वारा उसका प्रयोग,

(i) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी अपराध का गठन करेगा;

(ii) केन्द्रीय सरकार की राय में अवांछनीय है।

(3) उपधारा (2) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कोई कंपनी किसी ऐसे नाम से जिसमें,

(क) ऐसा कोई शब्द या पद अन्तर्विष्ट है, जिससे यह प्रभाव पड़ने की संभावना है कि कंपनी किसी रूप में केन्द्रीय सरकार किसी राज्य सरकार या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा गठित किसी स्थानीय प्राधिकरण, निगम या निकाय से संबंधित है या उसके संरक्षण में है; या

(ख) ऐसे शब्द या पद अन्तर्विष्ट हैं, जो विहित किए जाएं, तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं होगी, जब तक कि किसी ऐसे शब्द या पद के प्रयोग के लिए केन्द्रीय सरकार का पूर्व अनुमोदन प्राप्त न कर लिया गया हो ।

(4) कोई व्यक्ति, आवेदन में निम्नलिखित रूप में उपवर्णित किसी नाम के आरक्षण के लिए ऐसे प्ररूप और रीति से तथा ऐसी फीस के साथ, जो विहित की जाए, रजिस्ट्रार को आवेदन कर सकेगा,

(क) प्रस्तावित कंपनी का नाम; या (ख) वह नाम, जिसमें कंपनी अपने नाम के परिवर्तन का प्रस्ताव करती है।

(5) (i) उपधारा (4) के अधीन किसी आवेदन की प्राप्ति पर, रजिस्ट्रार, आवेदन के साथ दी गई सूचना और दस्तावेजों के आधार पर आवेदन की तारीख से साठ दिन की अवधि के लिए उस नाम को आरक्षित कर सकेगा ।

(ii) जहां खंड (i) के अधीन नाम के आरक्षण के पश्चात्, यह पाया जाता है कि नाम की गलत या अशुद्ध जानकारी प्रस्तुत करके आवेदन किया गया था, वहां

(क) यदि कंपनी निगमित नहीं की गई है तो आरक्षित नाम रद्द कर दिया जाएगा और उपधारा (4) के अधीन आवेदन करने वाला व्यक्ति ऐसी शास्ति के लिए, जो एक लाख रुपए तक की हो सकेगी, दायी होगा;

(ख) यदि कंपनी निगमित की गई है तो रजिस्ट्रार, कंपनी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्,

(i) या तो कंपनी को एक साधारण संकल्प पारित करने के पश्चात् तीन मास की अवधि के भीतर अपना नाम परिवर्तित करने का निदेश दे सकेगा; .

(ii) कंपनियों के रजिस्टर से कंपनी के नाम को काटने के लिए कार्रवाई कर सकेगा; या

(iii) कंपनी के परिसमापन के लिए याचिका दे सकेगा।

(6) किसी कंपनी का ज्ञापन अनुसूची 1 की सारणी क, सारणी ख, सारणी ग, सारणी घ और सारणी ङ में, जो ऐसी कंपनी को लागू हो, विनिर्दिष्ट संबंधित प्ररूपों में होगा।

(7) प्रत्याभूति द्वारा परिसीमित और कोई शेयर पूंजी न रखने वाली किसी कंपनी की दशा में, ज्ञापन या अनुच्छेदों में ऐसा कोई उपबंध, जो सदस्य से अन्यथा भिन्न रूप में कंपनी के विभाज्य लाभों में भाग लेने का किसी व्यक्ति को अधिकार प्रदान करने के लिए तात्पर्यित है, शून्य होगा।

Companies Act Section-4 (Company Act Section-4 in English)

Memorandum

(1) The memorandum of a company shall state-

(a) the name of the company with the last word ―Limited‖ in the case of a public limited  company, or the last words ―Private Limited‖ in the case of a private limited company: 

Provided that nothing in this clause shall apply to a company registered under section 8;

(b) the State in which the registered office of the company is to be situated; 

(c) the objects for which the company is proposed to be incorporated and any matter considered  necessary in furtherance thereof; 

(d) the liability of members of the company, whether limited or unlimited and also state,— 

(i) in the case of a company limited by shares, that liability of its members is limited to the  amount unpaid, if any, on the shares held by them; and

(ii) in the case of a company limited by guarantee, the amount up to which each member  undertakes to contribute— 

(A) to the assets of the company in the event of its being wound up while he is a member  or within one year after he ceases to be a member, for payment of the debts and liabilities of  the company or of such debts and liabilities as may have been contracted before he ceases to  be a member, as the case may be; and 

(B) to the costs, charges and expenses of winding-up and for adjustment of the rights of  the contributories among themselves; 

(e) in the case of a company having a share capital,— 

(i) the amount of share capital with which the company is to be registered and the division  thereof into shares of a fixed amount and the number of shares to which the subscribers to the  memorandum agree to subscribe which shall not be less than one share; and 

(ii) the number of shares each subscriber to the memorandum intends to take, indicated  opposite his name; 

(f) in the case of One Person Company, the name of the person who, in the event of death of the subscriber, shall become a member of the company. 

(2) The name stated in the memorandum shall not— 

(a) be identical with or resemble too nearly to the name of an existing company registered under  this Act or any previous company law; or 

(b) be such that its use by the company— 

(i) will constitute an offence under any law for the time being in force; or 

(ii) is undesirable in the opinion of the Central Government. 

(3) Without prejudice to the provisions of sub-section (2), a company shall not be registered with a  name which contains— 

(a) any word or expression which is likely to give the impression that the company is in any way  connected with, or having the patronage of, the Central Government, any State Government, or any  local authority, corporation or body constituted by the Central Government or any State Government  under any law for the time being in force; or 

(b) such word or expression, as may be prescribed, 

unless the previous approval of the Central Government has been obtained for the use of any such word or expression. 

(4) A person may make an application, in such form and manner and accompanied by such fee, as  may be prescribed, to the Registrar for the reservation of a name set out in the application as— 

(a) the name of the proposed company; or 

(b) the name to which the company proposes to change its name. 

(5) (i) Upon receipt of an application under sub-section (4), the Registrar may, on the basis of information and documents furnished along with the application, reserve the name for a period of sixty days from the date of the application. 

(ii) Where after reservation of name under clause (i), it is found that name was applied by furnishing  wrong or incorrect information, then,— 

(a) if the company has not been incorporated, the reserved name shall be cancelled and the person  making application under sub-section (4) shall be liable to a penalty which may extend to one lakh  rupees;

(b) if the company has been incorporated, the Registrar may, after giving the company an  opportunity of being heard— 

(i) either direct the company to change its name within a period of three months, after passing  an ordinary resolution; 

(ii) take action for striking off the name of the company from the register of companies; or

(iii) make a petition for winding up of the company. 

(6) The memorandum of a company shall be in respective forms specified in Tables A, B, C, D and E  in Schedule I as may be applicable to such company. 

(7) Any provision in the memorandum or articles, in the case of a company limited by guarantee and  not having a share capital, purporting to give any person a right to participate in the divisible profits of the  company otherwise than as a member, shall be void.

हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 4 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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