कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-42 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 42 के अनुसार यदि सूचीबद्ध या असूचीबद्ध कोई कंपनी, विहित संख्या से अधिक व्यक्तियों को प्रतिभूतियां आबंटित करने की प्रस्थापना करती है या अभिदाय आमंत्रित करती है या आबंटित करती है या आबंटित करने के लिए करार करती है, चाहे प्रतिभूतियों के लिए संदाय प्राप्त किया गया है या नहीं या चाहे कंपनी, भारत में या भारत के बाहर किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी प्रतिभूतियां सूचीबद्ध करने का आशय रखती है या नहीं, जिसे Companies Act Section-42 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 42 (Companies Act Section-42) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 42 Companies Act Section-42 के अनुसार यदि सूचीबद्ध या असूचीबद्ध कोई कंपनी, विहित संख्या से अधिक व्यक्तियों को प्रतिभूतियां आबंटित करने की प्रस्थापना करती है या अभिदाय आमंत्रित करती है या आबंटित करती है या आबंटित करने के लिए करार करती है, चाहे प्रतिभूतियों के लिए संदाय प्राप्त किया गया है या नहीं या चाहे कंपनी, भारत में या भारत के बाहर किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी प्रतिभूतियां सूचीबद्ध करने का आशय रखती है या नहीं।
कंपनी अधिनियम की धारा 42 (Companies Act Section-42 in Hindi)
प्राइवेट स्थापन पर प्रतिभीतियों के अभिदाय के लिए प्रस्थापना या आमंत्रण–
(1) धारा 26 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कोई कंपनी, इस धारा के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्राइवेट स्थापन पत्र को जारी करने के माध्यम से प्राइवेट स्थापन कर सकेगी।
(2) उपधारा (1) के अधीन रहते हुए, किसी वित्तीय वर्ष में प्रतिभूतियों की प्रस्थापना या प्रतिभूतियों के अभिदाय का आमंत्रण उतनी संख्या में, जो पचास से अधिक नहीं होगी या ऐसी उच्चतर संख्या में, जो विहित की जाए, व्यक्तियों को [अर्हित संस्थागत क्रेताओं और कंपनी के ऐसे कर्मचारियों को छोड़कर, जिनकों धारा 62 की उपधारा (1) के खंड (ख) के उपबंधों के अनुसार कर्मचारी स्टाक विकल्प की स्कीम के अधीन प्रतिभूतियों की प्रस्थापना की गई है), और ऐसी शर्तों पर (जिनके अंतर्गत प्राइवेट स्थापन का प्ररूप और रीति भी है), जो विहित की जाएं, किया जाएगा।
स्पष्टीकरण 1-यदि सूचीबद्ध या असूचीबद्ध कोई कंपनी, विहित संख्या से अधिक व्यक्तियों को प्रतिभूतियां आबंटित करने की प्रस्थापना करती है या अभिदाय आमंत्रित करती है या आबंटित करती है या आबंटित करने के लिए करार करती है, चाहे प्रतिभूतियों के लिए संदाय प्राप्त किया गया है या नहीं या चाहे कंपनी, भारत में या भारत के बाहर किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी प्रतिभूतियां सूचीबद्ध करने का आशय रखती है या नहीं, तो उसको जनता के लिए प्रस्थापना समझा जाएगा और तद्नुसार, इस अध्याय के भाग 1 के उपबंधों द्वारा शासित होगी ।
स्पष्टीकरण 2- इस धारा के प्रयोजनों के लिए
(6) “अर्हित संस्थागत क्रेता” पद से समय-समय पर यथासंशोधित, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (पूंजी का निर्गम और अपेक्षा प्रकटन) विनियम, 2009 में यथापरिभाषित अर्हित संस्थागत क्रेता अभिप्रेत है।
(ii) “प्राइवेट स्थापन” से किसी कंपनी द्वारा व्यक्तियों के चयनित समूह को प्राइवेट स्थापन प्रस्थापना पत्र जारी करके प्रतिभूतियों की कोई प्रस्थापना या प्रतिभूतियों के अभिदाय का आमंत्रण (लोक प्रस्थापना के माध्यम से भिन्न) अभिप्रेत है और जो इस धारा में विनिर्दिष्ट शर्तों को पूरा करता है।
(3) इस धारा के अधीन कोई नई प्रस्थापना या आमंत्रण तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक पूर्व में की गई कोई प्रस्थापना या आमंत्रण की बाबत आबंटन पूर्ण नहीं किए गए हैं या उस प्रस्थापना या आमंत्रण को कंपनी द्वारा वापस ले लिया गया है या उसको परित्यक्त कर दिया गया है।
(4) इस धारा के उपबंधों के अनुपालन में किसी प्रस्थापना या आमंत्रण को लोक प्रस्थापना के रूप में माना जाएगा और इस अधिनियम तथा प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के सभी उपबंधों का अनुपालन किया जाना अपेक्षित होगा।
(5) इस धारा के अधीन प्रतिभूतियों के अभिदाय के लिए संदेय सभी धन का संदाय चेक या डिमांड ड्राफ्ट या अन्य बैंकिंग चैनलों द्वारा, न कि नकदी द्वारा किया जाएगा।
(6) इस धारा के अधीन कोई प्रस्थापना या आमंत्रण देने वाली कोई कंपनी, ऐसी प्रतिभूतियों के लिए आवेदन धन की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर अपनी प्रतिभूतियां आबंटित करेगी और यदि कंपनी, उस अवधि के भीतर प्रतिभूतियां आबंटित करने में समर्थ नहीं है तो वह साठ दिन पूरा होने की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर आवेदन धन का प्रतिदाय अभिदाताओं को करेगी और यदि कंपनी पूर्वोक्त अवधि के भीतर आवेदन धन राशि का प्रतिदाय करने में असफल रहती है तो वह साठ दिन की समाप्ति से बारह प्रतिशत वार्षिक की दर पर ब्याज सहित उस धन का प्रतिदाय करने के लिए दायी होगी:
परंतु इस धारा के अधीन आवेदन पर प्राप्त धनराशियों को किसी अनुसूचित बैंक में एक पृथक् बैंक खाते में रखा जाएगा और निम्नलिखित से भिन्न किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोजित नहीं किया जाएगा,
(क) प्रतिभूतियों के आबंटन के संबंध में समायोजन के लिए; या
(ख) जहां कंपनी प्रतिभूतियों को आबंटित करने में असमर्थ है. वहां धन के प्रतिदाय के लिए।
(7) इस धारा के अंतर्गत आने वाली सभी प्रस्थापनाएं केवल ऐसे व्यक्तियों को ही की जाएंगी, जिनके नाम कंपनी द्वारा अभिदाय के लिए आमंत्रण से पूर्व अभिलिखित किए गए हैं और ऐसे व्यक्ति नाम से प्रस्थापना प्राप्त करेंगे और कंपनी द्वारा ऐसी प्रस्थापनाओं का एक पूर्ण अभिलेख, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, रखा जाएगा और ऐसी प्रस्थापना के बारे में पूर्ण सूचना, सुसंगत प्राइवेट प्रतिस्थापन के प्रस्थापना पत्र के परिचालन के तीस दिन की अवधि के भीतर रजिस्ट्रार के पास फाइल की जाएगी।
(8) इस धारा के अधीन प्रतिभूतियां प्रस्थापित करने वाली कोई कंपनी कोई लोक विज्ञापन जारी नहीं करेगी तथा ऐसी किसी प्रस्थापना के बारे में जन साधारण को सूचना देने के लिए किसी मीडिया, विपणन या संवितरण चैनलों या अधिकर्ताओं का उपयोग नहीं करेगी।
(७) जब कभी कोई कंपनी इस धारा के अधीन प्रतिभूतियों का कोई आबंटन करती है, तब वह सभी प्रतिभूति धारकों की उनके पूरे नाम, पते, आबंटित प्रतिभूतियों की संख्या और ऐसी सुसंगत जानकारी सहित, जो विहित की जाए, आबंटन की एक विवरणी ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, रजिस्ट्रार के पास फाइल करेगी।
(10) यदि कोई कंपनी इस धारा के उल्लंघन में प्रस्थापना करती है या धन स्वीकार करती है तो कंपनी, इसके प्रवर्तक और निदेशक ऐसी शास्ति के दायी होंगे जो प्रस्थापना या आमंत्रण में अंतर्वलित रकम या दो करोड़ रुपए, जो अधिक है, हो सकेगा और कंपनी शास्ति अधिरोपित करने वाले आदेश के तीन दिनों की अवधि के भीतर अभिदाताओं को सभी धन प्रदाय करेगी।
Companies Act Section-42 (Company Act Section-42 in English)
Offer or invitation for subscription of securities on private placement–
(1) Without prejudice to the provisions of section 26, a company may, subject to the provisions of this section, make private placement through issue of a private placement offer letter.
(2) Subject to sub-section (1), the offer of securities or invitation to subscribe securities, shall be made to a such number of persons not exceeding fifty or such higher number as may be prescribed, [excluding qualified institutional buyers and employees of the company being offered securities under a scheme of employees stock option as per provisions of clause (b) of sub-section (1) of section 62], in a financial year and on such conditions (including the form and manner of private placement) as may be prescribed.
Explanation I.—If a company, listed or unlisted, makes an offer to allot or invites subscription, or allots, or enters into an agreement to allot, securities to more than the prescribed number of persons, whether the payment for the securities has been received or not or whether the company intends to list its securities or not on any recognized stock exchange in or outside India, the same shall be deemed to be an offer to the public and shall accordingly be governed by the provisions of Part I of this Chapter.
Explanation II.—For the purposes of this section, the expression—
(i) “qualified institutional buyer‘‘ means the qualified institutional buyer as defined in the Securities and Exchange Board of India (Issue of Capital and Disclosure Requirments) Regulations, 2009 as amended from time to time.
(ii) “private placement” means any offer of securities or invitation to subscribe securities to a select group of persons by a company (other than by way of public offer) through issue of a private placement offer letter and which satisfies the conditions specified in this section.
(3) No fresh offer or invitation under this section shall be made unless the allotments with respect to any offer or invitation made earlier have been completed or that offer or invitation has been withdrawn or abandoned by the company.
(4) Any offer or invitation not in compliance with the provisions of this section shall be treated as a public offer and all provisions of this Act, the Securities Contracts (Regulation) Act, 1956 (42 of 1956), and the Securities and Exchange Board of India Act, 1992 (15 of 1992) shall be required to be complied with.
(5) All monies payable towards subscription of securities under this section shall be paid through cheque or demand draft or other banking channels but not by cash.
(6) A company making an offer or invitation under this section shall allot its securities within sixty days from the date of receipt of the application money for such securities and if the company is not able to allot the securities within that period, it shall repay the application money to the subscribers within fifteen days from the date of completion of sixty days and if the company fails to repay the application money within the aforesaid period, it shall be liable to repay that money with interest at the rate of twelve percent. per annum from the expiry of the sixtieth day:
Provided that monies received on application under this section shall be kept in a separate bank account in a scheduled bank and shall not be utilized for any purpose other than—
(a) for adjustment against allotment of securities; or
(b) for the repayment of monies where the company is unable to allot securities.
(7) All offers covered under this section shall be made only to such persons whose names are recorded by the company prior to the invitation to subscribe, and such persons shall receive the offer by name, and a complete record of such offers shall be kept by the company in such manner as may be prescribed and complete information about such offer shall be filed with the Registrar within a period of thirty days of circulation of relevant private placement offer letter.
(8) No company offering securities under this section shall release any public advertisements or utilize any media, marketing or distribution channels or agents to inform the public at large about such an offer.
(9) Whenever a company makes any allotment of securities under this section, it shall file with the Registrar a return of allotment in such manner as may be prescribed, including the complete list of all security-holders, with their full names, addresses, number of securities allotted and such other relevant information as may be prescribed.
(10) If a company makes an offer or accepts monies in contravention of this section, the company, its promoters, and directors shall be liable for a penalty which may extend to the amount involved in the offer or invitation or two crore rupees, whichever is higher, and the company shall also refund all monies to subscribers within a period of thirty days of the order imposing the penalty.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 42 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।