नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 111 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 111 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 111 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 111 के अन्तर्गत जब किसी मामले में जो धारा 107, धारा 108, धारा 109 या धारा 110 के अधीन कार्य कर रहा है, यह आवश्यक समझता है कि किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाए कि वह उस धारा के अधीन कारण दर्शित करे तब वह मजिस्ट्रेट प्राप्त इत्तिला का सार, उस बन्धपत्र की रकम, जो निष्पादित किया जाना है, तो वह धारा 111 के अंतर्गत वह अवधि जिसके लिये वह प्रवर्तन में रहेगा और प्रतिभुओं की (यदि कोई हों) अपेक्षित संख्या, प्रकार और वर्ग बताते हुए लिखित आदेश देगा।
सीआरपीसी की धारा 111 के अनुसार
आदेश का दिया जाना-
जब कोई मजिस्ट्रेट, जो धारा 107, धारा 108, धारा 109 या धारा 110 के अधीन कार्य कर रहा है, यह आवश्यक समझता है कि किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाए कि वह उस धारा के अधीन कारण दर्शित करे तब वह मजिस्ट्रेट प्राप्त इत्तिला का सार, उस बन्धपत्र की रकम, जो निष्पादित किया जाना है, वह अवधि जिसके लिये वह प्रवर्तन में रहेगा और प्रतिभुओं की (यदि कोई हों) अपेक्षित संख्या, प्रकार और वर्ग बताते हुए लिखित आदेश देगा।
Order to be made-
When a Magistrate acting under Section 107, Section 108, Section 109 or Section 110, deems it necessary to require any person to show cause under such section, he shall make an order in writing, setting forth the substance of the information received, the amount of the bond to be executed, the term for which it is to be in force, and the number, character and class of sureties (if any) required.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 111 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।