नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 249 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 249 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 249 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 249 के अन्तर्गत जब कार्यवाही परिवाद पर संस्थित की जाती है और मामले की सुनवाई के लिए नियत किसी दिन परिवादी अनुपस्थित है और अपराध का विधिपूर्वक शमन किया जा सकता है या वह संज्ञेय अपराध नहीं है तब मजिस्ट्रेट, इसमें इसके पूर्व किसी बात के होते हुए भी, आरोप के विरचित किए जाने के पूर्व किसी भी समय अभियुक्त को, स्वविवेकानुसार, उन्मोचित कर सकेगा।
सीआरपीसी की धारा 249 के अनुसार
परिवादी की अनुपस्थिति-
जब कार्यवाही परिवाद पर संस्थित की जाती है और मामले की सुनवाई के लिए नियत किसी दिन परिवादी अनुपस्थित है और अपराध का विधिपूर्वक शमन किया जा सकता है या वह संज्ञेय अपराध नहीं है तब मजिस्ट्रेट, इसमें इसके पूर्व किसी बात के होते हुए भी, आरोप के विरचित किए जाने के पूर्व किसी भी समय अभियुक्त को, स्वविवेकानुसार, उन्मोचित कर सकेगा।
Absence of complainant–
When the proceedings have been instituted upon complaint, and on any day fixed for the hearing of the case, the complainant is absent, and the offence may be lawfully compounded or is not a cognizable offence, the Magistrate may, in his discretion, notwithstanding anything hereinbefore contained, at any time before the charge has been framed, discharge the accused.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 249 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।