सीआरपीसी की धारा 257 | परिवाद को वापस लेना | CrPC Section- 257 in hindi| Withdrawal of complaint.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 257 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 257 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 257 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 257 के अन्तर्गत यदि परिवादी किसी मामले में इस अध्याय के अधीन अंतिम आदेश पारित किए जाने के पूर्व किसी समय मजिस्ट्रेट का समाधान कर देता है कि अभियुक्त के विरुद्ध, या जहां एक से अधिक अभियुक्त हैं वहां उन सब या उनमें से किसी के विरुद्ध उसका परिवाद वापस लेने की उसे अनुज्ञा देने के लिए पर्याप्त आधार है तो मजिस्ट्रेट उसे परिवाद वापस लेने की अनुज्ञा दे सकेगा और तब उस अभियुक्त की, जिसके विरुद्ध परिवाद इस प्रकार वापस लिया जाता है, दोषमुक्त कर देगा।

सीआरपीसी की धारा 257 के अनुसार

परिवाद को वापस लेना-

यदि परिवादी किसी मामले में इस अध्याय के अधीन अंतिम आदेश पारित किए जाने के पूर्व किसी समय मजिस्ट्रेट का समाधान कर देता है कि अभियुक्त के विरुद्ध, या जहां एक से अधिक अभियुक्त हैं वहां उन सब या उनमें से किसी के विरुद्ध उसका परिवाद वापस लेने की उसे अनुज्ञा देने के लिए पर्याप्त आधार है तो मजिस्ट्रेट उसे परिवाद वापस लेने की अनुज्ञा दे सकेगा और तब उस अभियुक्त की, जिसके विरुद्ध परिवाद इस प्रकार वापस लिया जाता है, दोषमुक्त कर देगा।

Withdrawal of complaint-
If a complainant, at any time before a final order is passed in any case under this Chapter, satisfies the Magistrate that there are sufficient grounds for permitting him to withdraw his complaint against the accused, or if there be more than one accused, against all or any of them, the Magistrate may permit him to withdraw the same, and shall thereupon acquit the accused against whom the complaint is so withdrawn.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 257 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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