सीआरपीसी की धारा 301 | लोक अभियोजकों द्वारा हाजिरी | CrPC Section- 301 in hindi| Appearance by Public Prosecutors.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 301 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 301 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 301 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 301 के अन्तर्गत जब किसी मामले मे भारसाधक लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक किसी न्यायालय में, जिसमें वह मामला जांच, विचारण या अपील के अधीन है, यदि कोई प्राइवेट व्यक्ति किसी न्यायालय में किसी व्यक्ति को अभियोजित करने के लिए किसी प्लीडर को अनुदेश देता है तो मामले का भारसाधक लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक अभियोजन का संचालन करेगा और ऐसे अनुदिष्ट प्लीडर उसमें लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के निदेश के अधीन कार्य करेगा और न्यायालय की अनुज्ञा से उस मामले में साक्ष्य की समाप्ति पर लिखित रूप में तर्क पेश कर सकेगा। किसी लिखित प्राधिकार के बिना हाजिर हो सकता है और अभिवचन कर सकता है।

सीआरपीसी की धारा 301 के अनुसार

लोक अभियोजकों द्वारा हाजिरी-

(1) किसी मामले का भारसाधक लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक किसी न्यायालय में, जिसमें वह मामला जांच, विचारण या अपील के अधीन है, किसी लिखित प्राधिकार के बिना हाजिर हो सकता है और अभिवचन कर सकता है।
(2) किसी ऐसे मामले में यदि कोई प्राइवेट व्यक्ति किसी न्यायालय में किसी व्यक्ति को अभियोजित करने के लिए किसी प्लीडर को अनुदेश देता है तो मामले का भारसाधक लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक अभियोजन का संचालन करेगा और ऐसे अनुदिष्ट प्लीडर उसमें लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के निदेश के अधीन कार्य करेगा और न्यायालय की अनुज्ञा से उस मामले में साक्ष्य की समाप्ति पर लिखित रूप में तर्क पेश कर सकेगा।

Appearance by Public Prosecutors-
(1) The Public Prosecutor or Assistant Public Prosecutor in charge of a case may appear and plead without any written authority before any Court in which that case is under inquiry, trial or appeal.
(2) If in any such case any private person instructs a pleader to prosecute any person in any Court, the Public Prosecutor or Assistant Public Prosecutor in charge of the case shall conduct the prosecution, and the pleader so instructed shall act therein under the directions of the Public Prosecutor or Assistant Public Prosecutor, and may, with the permission of the Court, submit written arguments after the evidence is closed in the case.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 301 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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