सीआरपीसी की धारा 347 | रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा | CrPC Section- 347 in hindi| When Registrar or Sub-Registrar to be deemed a Civil Court.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 347 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 347 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 347 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 347 के अन्तर्गत जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब कोई भी रजिस्ट्रार या कोई भी उप-रजिस्ट्रार, जो रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का 16) के अधीन नियुक्त है, धारा 345 और 346 के अर्थ में सिविल न्यायालय समझा जाएगा।

सीआरपीसी की धारा 347 के अनुसार

रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा-
जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब कोई भी रजिस्ट्रार या कोई भी उप-रजिस्ट्रार, जो [***] रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का 16) के अधीन नियुक्त है, धारा 345 और 346 के अर्थ में सिविल न्यायालय समझा जाएगा।

When Registrar or Sub-Registrar to be deemed a Civil Court-
When the State Government so directs, any Registrar or any Sub-Registrar appointed under the [***] Registration Act, 1908 (16 of 1908), shall be deemed to be a Civil Court within the meaning of Sections 345 and 346.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 347 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

 

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