सीआरपीसी की धारा 379 | कुछ मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किए जाने के विरुद्ध अपील | CrPC Section- 379 in hindi| Appeal against conviction by High Court in certain cases.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 379 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 379 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 379 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 379 के अन्तर्गत यदि उच्च न्यायालय ने अभियुक्त व्यक्ति की दोषमुक्ति के आदेश को अपील में उलट दिया है और उसे दोषसिद्ध किया के है तथा उसे मृत्यु या आजीवन कारावास या दस वर्ष अथवा अधिक की अवधि के कारावास का दण्ड दिया है। तो वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।

सीआरपीसी की धारा 379 के अनुसार

कुछ मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किए जाने के विरुद्ध अपील-
यदि उच्च न्यायालय ने अभियुक्त व्यक्ति की दोषमुक्ति के आदेश को अपील में उलट दिया है और उसे दोषसिद्ध किया के है तथा उसे मृत्यु या आजीवन कारावास या दस वर्ष अथवा अधिक की अवधि के कारावास का दण्ड दिया है। तो वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।

Appeal against conviction by High Court in certain cases-
Where the High Court has, on appeal, reversed an order of acquittal of an accused person and convicted him and sentenced him to death or to imprisonment for life or to imprisonment for a term of ten years or more, he may appeal to the Supreme Court.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 379 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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