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सीआरपीसी की धारा 398 | जांच करने का आदेश देने की शक्ति | CrPC Section- 398 in hindi| Power to order inquiry.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 398 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 398 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 398 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 398 के अन्तर्गत किसी अभिलेख की धारा 397 के अधीन परीक्षा करने पर या अन्यथा उच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को निदेश दे सकता है कि वह, ऐसे किसी परिवाद की, जो धारा 203 या धारा 204 की उपधारा (4) के अधीन खारिज कर दिया गया है, या किसी अपराध के अभियुक्त ऐसे व्यक्ति के मामले की, जो उन्मोचित कर दिया गया है, अतिरिक्त जांच स्वयं करे या अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेटों में से किसी के द्वारा कराए तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऐसी अतिरिक्त जांच स्वयं कर सकता है या उसे करने के लिए अपने किसी अधीनस्थ मजिस्ट्रेट को निदेश दे सकता है, परन्तु कोई न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जो उन्मोचित कर दिया गया है, इस धारा के अधीन जांच करने का कोई निदेश तभी देगा जब इस बात का कारण दर्शित करने के लिए कि ऐसा निदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, ऐसे व्यक्ति को अवसर मिल चुका हो।

सीआरपीसी की धारा 398 के अनुसार

जांच करने का आदेश देने की शक्ति–

किसी अभिलेख की धारा 397 के अधीन परीक्षा करने पर या अन्यथा उच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को निदेश दे सकता है कि वह, ऐसे किसी परिवाद की, जो धारा 203 या धारा 204 की उपधारा (4) के अधीन खारिज कर दिया गया है, या किसी अपराध के अभियुक्त ऐसे व्यक्ति के मामले की, जो उन्मोचित कर दिया गया है, अतिरिक्त जांच स्वयं करे या अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेटों में से किसी के द्वारा कराए तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऐसी अतिरिक्त जांच स्वयं कर सकता है या उसे करने के लिए अपने किसी अधीनस्थ मजिस्ट्रेट को निदेश दे सकता है :
परन्तु कोई न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में, जो उन्मोचित कर दिया गया है, इस धारा के अधीन जांच करने का कोई निदेश तभी देगा जब इस बात का कारण दर्शित करने के लिए कि ऐसा निदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, ऐसे व्यक्ति को अवसर मिल चुका हो।

Power to order inquiry-
On examining any record under Section 397 or otherwise, the High Court or the Sessions Judge may direct the Chief Judicial Magistrate by himself or by any of the Magistrates subordinate to him to make, and the Chief Judicial Magistrate may himself make or direct any subordinate Magistrate to make, further inquiry into any complaint which has been dismissed under Section 203 or sub-section (4) of Section 204, or into the case of any person accused of an offence who has been discharged:
Provided that no Court shall make any direction under this section for inquiry into the case of any person who has been discharged unless such person has had an opportunity of showing cause why such direction should not be made.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 398 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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