सीआरपीसी की धारा 402 | उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापस लेने या अन्तरित करने की शक्ति | CrPC Section- 402 in hindi| Power of High Court to withdraw or transfer revision cases.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 402 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 402 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 402 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 402 के अन्तर्गत किसी मामले मे एक ही विचारण में दोषसिद्ध एक या अधिक व्यक्ति पुनरीक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को करते हैं और उसी विचारण में दोषसिद्ध कोई अन्य व्यक्ति पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को करता है तब उच्च न्यायालय, पक्षकारों की सुविधा और अन्तर्ग्रस्त प्रश्नों के महत्व को ध्यान में रखते हुए यह विनिश्चय करेगा कि उन दोनों में से कौन सा न्यायालय पुनरीक्षण के लिए आवेदनों को अन्तिम रूप से निपटाएगा और जब उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरीक्षण के लिए सभी आवेदन उसी के द्वारा निपटाए जाने चाहिए तब उच्च न्यायालय यह निदेश देगा कि सेशन न्यायाधीश के समक्ष लम्बित पुनरीक्षण के लिए आवेदन उसे अन्तरित कर दिए जाएं और जहां उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरीक्षण के आवेदन उसके द्वारा निपटाए जाने आवश्यक नहीं हैं वहां वह यह निदेश देगा कि उसे किए गए पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को अन्तरित किए जाएं।

सीआरपीसी की धारा 402 के अनुसार

उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापस लेने या अन्तरित करने की शक्ति–

(1) जब एक ही विचारण में दोषसिद्ध एक या अधिक व्यक्ति पुनरीक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को करते हैं और उसी विचारण में दोषसिद्ध कोई अन्य व्यक्ति पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को करता है तब उच्च न्यायालय, पक्षकारों की सुविधा और अन्तर्ग्रस्त प्रश्नों के महत्व को ध्यान में रखते हुए यह विनिश्चय करेगा कि उन दोनों में से कौन सा न्यायालय पुनरीक्षण के लिए आवेदनों को अन्तिम रूप से निपटाएगा और जब उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरीक्षण के लिए सभी आवेदन उसी के द्वारा निपटाए जाने चाहिए तब उच्च न्यायालय यह निदेश देगा कि सेशन न्यायाधीश के समक्ष लम्बित पुनरीक्षण के लिए आवेदन उसे अन्तरित कर दिए जाएं और जहां उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरीक्षण के आवेदन उसके द्वारा निपटाए जाने आवश्यक नहीं हैं वहां वह यह निदेश देगा कि उसे किए गए पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को अन्तरित किए जाएं।
(2) जब कभी पुनरीक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को अन्तरित किया जाता है तब वह न्यायालय उसे इस प्रकार निपटाएगा मानो वह उसके समक्ष सम्यक्त किया गया आवेदन है।
(3) जब कभी पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को अन्तरित किया जाता है तब वह न्यायाधीश उसे इस प्रकार निपटाएगा मानो वह उसके समक्ष सम्यक्त किया गया आवेदन है।
(4) जहां पुनरीक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय द्वारा सेशन न्यायाधीश को अन्तरित किया जाता है। वहां उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों की प्रेरणा पर जिनके पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश द्वारा निपटाए गए हैं पुनरीक्षण के लिए कोई और आवेदन उच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय में नहीं होगा।

Power of High Court to withdraw or transfer revision cases-
(1) Whenever one or more persons convicted at the same trial makes or make application to a High Court for revision and any other person convicted at the same trial makes an application to the Sessions Judge for revision, the High Court shall decide, having regard to the general convenience of the parties and the importance of the question involved. Which of the two Courts should finally dispose of the applications for revision and when the High Court decides that all the applications for revision should be disposed of by itself, the High Court shall direct that the applications for revision pending before the Sessions Judge be transferred to itself and where the High Court decides that it is not necessary for it to dispose of the applications for revision, it shall direct that the applications for revision made to it be transferred to the Sessions Judge.
(2) Whenever any application for revision is transferred to the High Court, that Court shall deal with the same as if it were an application duly made before itself.
(3) Whenever any application for revision is transferred to the Sessions Judge, that Judge shall deal with the same as if it were an application duly made before himself.
(4) Where an application for revision is transferred by the High Court to the Sessions Judge, no further application for revision shall lie to the High Court or to any other Court at the instance of the person or persons whose applications for revision have been disposed of by the Sessions Judge.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 402 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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